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कविता संग्रह >> अक्खर खम्भा

अक्खर खम्भा

देवशंकर नवीन

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :357
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7420
आईएसबीएन :978-81-237-5408

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स्वातन्त्र्योत्तर मैथिली कविता संग्रह...

Akkhar Khambha - A Hindi Book - by Devshankar Naveen

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

स्वातन्त्र्योत्तरकालीन मिथिलाक नागरिक जीवन-यापन आ आर्थिक-सामाजिक-राजनीतिक-सांस्कृतिक परिस्थितिमे अनेक परिवर्त्तन भेल अछि। अनेक रूढ़ि आ पाखण्डसँ समाज मुक्त भेल। बाल विवाह, बहुविवाह, बेमेल विवाह सन कुप्रथाक अन्त भेल आ वंशवाद, जातिवाद, सम्प्रदायवाद सन दुर्वृत्ति पर नव दृष्टिएँ विचार होअए लागल। महाकवि वैद्यनाथ मिश्र ‘यात्री’ आ राजकमल चौधरी सन अनेक कविक कविता एहि परिशोधनमे सहायक भेल। समस्त औद्योगिक विकास आ वैज्ञानिक अनुसन्धानक परिणतिसँ मिथिला निरन्तर वंचित, उपेक्षित रहल। प्राकृतिक आपदा, पारम्परिक कृषि व्यवस्था आ दैवयोगक अभिशाप भोगैत मैथिल नागरिक निरन्तर अपमान आ हताशामे जीबैत रहल। राजनीतिक उथल-पुथल आ अनस्थिरताक कारणें श्रम अवमूल्यन होइत गेल। स्त्री आ किसान-मजदूरक सम्वेदना पर सोच-विचार आवश्यक नाहि बूझल जाए लागल। मिथिलासँ श्रम आ बुद्धिक पलायन भेल। सांस्कृतिक संवर्द्धन आ प्रदूषण दुनू भेल। विश्व साहित्यक समस्त नव विचार-पद्धति संग मैथिलीक कवि लोकनि अइ परिदृश्यक संज्ञान लेलनि। अक्खर खम्भा शीर्षक अइ पोथीमे संकलित उनसैठ कविक बीछल कविता अइ बातक प्रमाण दैत अछि। ई पोथी एक दिश स्वातन्त्र्योत्तर मैथिली कविताक उपलब्धिक द्योतक थिक, तँ दोसर दिश उज्ज्वल आ ऊर्जास्वित समाजक निर्माणक संकेत।

माटिक महादेव



बलवान मानवक हाथक बलसँ
बैसल छह तों सराइ पर
बनि गेलह अछि पूज्य
पाबैत छह धूप-दीप-नैवेद
कबुलापाती सेहो होइ छह
लोक अछि आन्हर परबुद्धी
जानैत अछि स्थानक टा सम्मान
नहि तँ, जकर बलें रुचिगर
बनैत छै, भोज्य पदार्थ
तै लोढ़ी सिलौटकें ओंघड़ा
मन्दिरमें पड़ल निरर्थक
पाषाण पिण्डकें क्यो की करैत प्रणाम
तैं हे माटिक महादेव ! नहि करह कनेको अहंकार
जखनहि हेतह विसर्जन
लगतह सभ बोकिआबए
हँ, अक्षत चानन फूल
पूज्य पदक किछु चेन्ह
जा धरि रहतह लागल
लत-खुर्दनिसँ रहि सकै छह बाँचल
किन्तु निष्पक्ष परीक्षाक
कालक प्रहारसँ पाबि ने सकबह त्राण
झड़ि धोखरि जेतह सब चेन्ह।
तखन की हेबह ? से करह कने अनुमान
पदें प्रतिष्ठित केर होइत अछि
की अन्तिम परिणाम
से जनै छह
केवल पद-सत्कार

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