विविध >> बोर्ड परीक्षा में सफल कैसे हों बोर्ड परीक्षा में सफल कैसे होंसुनील वैद
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प्रमाणित वैज्ञानिक शोध पर आधारित स्मार्टर स्टडी तकनीकें...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
आप तीन वर्षों तक परीक्षा की तैयारी करते हैं, तीन घंटों
में परीक्षा देते हैं और 3 मिनट में आपकी योग्यता का अनुमान कर लिया जाता
है।
–डॉ. राजेंद्र प्रसाद
जी हाँ, ये तीन मिनट ही तो सफलता व असफलता का इतना बड़ा अंतर पैदा कर सकते हैं। प्रमाणित वैज्ञानिक शोध पर आधारित स्मार्टर स्टडी तकनीकें, उन 3 मिनटों को सार्थक कर सकती हैं।
परीक्षा में सफल कैसे हों
हमने अलग-अलग लोगों से एक ही प्रश्न पूछा–‘‘परीक्षा क्या है?’’ इसके कई रोचक उत्तर मिले। सबसे ज्यादा आम जवाब यही था ‘परीक्षा सिर्फ हमें डराने या खून सुखाने के लिए होती हैं (एक ने कहा–बस पैंट गीली करने के
लिए होती है) कुल मिलाकर यह परीक्षा सबके लिए किसी हौव्वे से कम नहीं थी।
मुश्किल तो यही है कि हम इसे ‘हौवा’ या ऐसा भूत मानते हैं जिसका डर और तनाव से गहरा नाता है। यही परीक्षा में सफलता की सबसे बड़ी बाधा बन जाता है।
मैं मानता हूँ कि जो छात्र परीक्षा को भी पढ़ाई या काम की तरह जीवन का एक हिस्सा मानते हैं, वे बड़ी आसानी से इससे पार पा लेते हैं और सफल भी होते हैं।
सबसे पहले तो सफलता के साथ लुका-छिपी के इस खेल में यह पक्का करें कि आप परीक्षा को उचित नजरिए से लेंगे। इसे एक ऐसी जरूरत के रूप में लें, जो आपके स्तर को बढ़ाने के लिए, प्रदर्शन में निखार लाने के लिए आवश्यक है। यह दुनिया को अपनी क्षमता दिखाने का एक अवसर है; एक ऐसी सीढ़ी है, जिस पर चढ़कर आप अपने जीवन के अगले स्तर तक पहुँचेंगे–ये उसी तरह रोमांचित कर देने वाली होती है, जैसे आप वीडियो गेम के अगले लेवल पर जाते समय रोमांचित होते हैं।
वैसे परीक्षा के बारे में एक बात याद रखें–अगर आप इस जंगली CAT (Common Admission Test) को पालतू बनाना चाहते हैं तो इसे RAT में बदल दें (A routinely administered test) भगवान के लिए, इसे Tiger न बनाएँ, वरना यह आपको खा जाएगा। ये कर लें तो मानें कि टेस्ट का पहला हिस्सा पास कर लिया।
मुश्किल तो यही है कि हम इसे ‘हौवा’ या ऐसा भूत मानते हैं जिसका डर और तनाव से गहरा नाता है। यही परीक्षा में सफलता की सबसे बड़ी बाधा बन जाता है।
मैं मानता हूँ कि जो छात्र परीक्षा को भी पढ़ाई या काम की तरह जीवन का एक हिस्सा मानते हैं, वे बड़ी आसानी से इससे पार पा लेते हैं और सफल भी होते हैं।
सबसे पहले तो सफलता के साथ लुका-छिपी के इस खेल में यह पक्का करें कि आप परीक्षा को उचित नजरिए से लेंगे। इसे एक ऐसी जरूरत के रूप में लें, जो आपके स्तर को बढ़ाने के लिए, प्रदर्शन में निखार लाने के लिए आवश्यक है। यह दुनिया को अपनी क्षमता दिखाने का एक अवसर है; एक ऐसी सीढ़ी है, जिस पर चढ़कर आप अपने जीवन के अगले स्तर तक पहुँचेंगे–ये उसी तरह रोमांचित कर देने वाली होती है, जैसे आप वीडियो गेम के अगले लेवल पर जाते समय रोमांचित होते हैं।
वैसे परीक्षा के बारे में एक बात याद रखें–अगर आप इस जंगली CAT (Common Admission Test) को पालतू बनाना चाहते हैं तो इसे RAT में बदल दें (A routinely administered test) भगवान के लिए, इसे Tiger न बनाएँ, वरना यह आपको खा जाएगा। ये कर लें तो मानें कि टेस्ट का पहला हिस्सा पास कर लिया।
परीक्षा में कौन जीतता है – उचित रवैया
(Right Attitude) ?
मैं अपनी पढ़ाई में ज्यादा से ज्यादा अंक कैसे पा सकता हूँ ?
एक छात्र होने के नाते मैंने यह सवाल पूछा तो जवाब मिला–‘‘पढ़ाई का कोई शॉर्ट-कट नहीं होता, बस मेहनत करो।’’ अब पूरे पंद्रह वर्षों का शिक्षा मनोविज्ञान का अनुभव लेने के बाद मुझे लगता है कि मैं ज्यादा बेहतर जानता हूँ।
आप उतनी ही पढ़ाई व जानकारी के माध्यम से 10% अतिरिक्त अंक पा सकते हैं।
स्मार्ट स्टडी – (Smart Study with Scientific Techniques) प्रमाणित वैज्ञानिक तकनीकों व सकारात्मक रवैए (Positive Attitude) से।
क्या आपमें यह प्रवृत्ति है ? चलिए, एक छोटा सा टेस्ट लेते हैं :
पहला चरण– टेस्ट तो सादा है पर कृपया वैसे ही करें, जैसे मैं कहूँ। टेस्ट शुरू होता है–
अगर आपको लगता है कि प्रवेश परीक्षा में 80% से ज्यादा अंक पा लेंगे तो झट से बायाँ हाथ उठाएँ– सचमुच उठाएं, जल्दी से।
दूसरा चरण– निम्नलिखित के अनुसार नतीजे देखें।
1. क्या आपने सचमुच अपना हाथ उठाया (हाथ उठाया नाकि सिर्फ उस बारे में सोचा ?) लिखिए ‘हाँ’।
2. आपने हाथ नहीं उठाया क्योंकि आप 80% से कम सफलता की उम्मीद रखते हैं तो लिखें ‘नहीं’।
3. 80% से ज्यादा की उम्मीद के बावजूद हाथ नहीं उठाया–लिखें; ‘हाँ’ – ‘नहीं’
तीसरा चरण– अनुमान/निष्कर्ष
यदि उत्तर ‘हाँ’ था तो आपमें तकनीकें जानने की प्रवृत्ति पहले से मौजूद है।
आइडिया बेहतर तकनीक+सकारात्मक रवैया= 10% अधिक अंक
परंतु अगर जवाब ‘हाँ-नहीं’ था तो आपको अपने रवैए पर ध्यान देने होगा। आपने हाथ क्यों नहीं उठाया ?
शायद आपको लगा कि किताब के सामने हाथ उठाने से मूर्ख कहलाएँगे। आपको लगा कि ये बचकाना हरकत न करके, आपने अक्लमंदी की है। लेकिन मेरे प्यारे अक्लमंद मित्र ! जिन लोगों ने सचमुच हाथ उठाया, उनके आगे बढ़ने के अवसर 20% ज्यादा हैं।
पता है, क्यों ?
क्योंकि आपमें से जिन लोगों ने सफलता की गारंटी होने के बावजूद हाथ नहीं उठाया वे सामाजिक व्यवहार को सफलता से ऊपर मानते हैं।
ऐसे लोगों के साथ रवैए से जुड़ी परेशानियाँ कभी नहीं आतीं। वे कोई भी संदेह होने पर बेवकूफाना सवाल तक पूछने से नहीं हिचकिचाते, यदि उन्हें कोई जानकारी उपयोगी लगे तो वे उसे लेने में नहीं शरमाते लेकिन हिम्मत न हारें, आपका रवैया भी ठीक हो सकता है। कैसे ? चौथा चरण देखें।
चौथा चरण–रवैए में सुधार कैसे लाएँ ?
यह चरण बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यदि सफलता आपका लक्ष्य है तो आपको सामाजिक कायदे-कानूनों की परवाह न करते हुए इसकी तरफ बढ़ना होगा।
क्या आप सहमत हैं ?
तो यहाँ आपकी समस्या का समाधान मौजूद है–एक बड़े से गत्ते के (2’×1’) टुकड़े पर लिखें।
यह गत्ता अपने बुलेटिन बोर्ड पर टाँगें ताकि इसे सभी देख सकें।
प्रवृत्ति की समस्या का समाधान
दरअसल, मनोवैज्ञानिक रूप से आप स्वयं ही अपने मस्तिष्क को सबसे बेहतर तरीके से प्रोत्साहित कर सकते हैं कि आप कोई काम कर सकते हैं। प्यारे दोस्तों, आधी जंग तो यहीं जीती गई। बाकी आधी आपकी तकनीकों व बेहतर तरीके से काम करने पर निर्भर करती है।
एक छात्र होने के नाते मैंने यह सवाल पूछा तो जवाब मिला–‘‘पढ़ाई का कोई शॉर्ट-कट नहीं होता, बस मेहनत करो।’’ अब पूरे पंद्रह वर्षों का शिक्षा मनोविज्ञान का अनुभव लेने के बाद मुझे लगता है कि मैं ज्यादा बेहतर जानता हूँ।
आप उतनी ही पढ़ाई व जानकारी के माध्यम से 10% अतिरिक्त अंक पा सकते हैं।
स्मार्ट स्टडी – (Smart Study with Scientific Techniques) प्रमाणित वैज्ञानिक तकनीकों व सकारात्मक रवैए (Positive Attitude) से।
क्या आपमें यह प्रवृत्ति है ? चलिए, एक छोटा सा टेस्ट लेते हैं :
पहला चरण– टेस्ट तो सादा है पर कृपया वैसे ही करें, जैसे मैं कहूँ। टेस्ट शुरू होता है–
अगर आपको लगता है कि प्रवेश परीक्षा में 80% से ज्यादा अंक पा लेंगे तो झट से बायाँ हाथ उठाएँ– सचमुच उठाएं, जल्दी से।
दूसरा चरण– निम्नलिखित के अनुसार नतीजे देखें।
1. क्या आपने सचमुच अपना हाथ उठाया (हाथ उठाया नाकि सिर्फ उस बारे में सोचा ?) लिखिए ‘हाँ’।
2. आपने हाथ नहीं उठाया क्योंकि आप 80% से कम सफलता की उम्मीद रखते हैं तो लिखें ‘नहीं’।
3. 80% से ज्यादा की उम्मीद के बावजूद हाथ नहीं उठाया–लिखें; ‘हाँ’ – ‘नहीं’
तीसरा चरण– अनुमान/निष्कर्ष
यदि उत्तर ‘हाँ’ था तो आपमें तकनीकें जानने की प्रवृत्ति पहले से मौजूद है।
आइडिया बेहतर तकनीक+सकारात्मक रवैया= 10% अधिक अंक
परंतु अगर जवाब ‘हाँ-नहीं’ था तो आपको अपने रवैए पर ध्यान देने होगा। आपने हाथ क्यों नहीं उठाया ?
शायद आपको लगा कि किताब के सामने हाथ उठाने से मूर्ख कहलाएँगे। आपको लगा कि ये बचकाना हरकत न करके, आपने अक्लमंदी की है। लेकिन मेरे प्यारे अक्लमंद मित्र ! जिन लोगों ने सचमुच हाथ उठाया, उनके आगे बढ़ने के अवसर 20% ज्यादा हैं।
पता है, क्यों ?
क्योंकि आपमें से जिन लोगों ने सफलता की गारंटी होने के बावजूद हाथ नहीं उठाया वे सामाजिक व्यवहार को सफलता से ऊपर मानते हैं।
ऐसे लोगों के साथ रवैए से जुड़ी परेशानियाँ कभी नहीं आतीं। वे कोई भी संदेह होने पर बेवकूफाना सवाल तक पूछने से नहीं हिचकिचाते, यदि उन्हें कोई जानकारी उपयोगी लगे तो वे उसे लेने में नहीं शरमाते लेकिन हिम्मत न हारें, आपका रवैया भी ठीक हो सकता है। कैसे ? चौथा चरण देखें।
चौथा चरण–रवैए में सुधार कैसे लाएँ ?
यह चरण बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यदि सफलता आपका लक्ष्य है तो आपको सामाजिक कायदे-कानूनों की परवाह न करते हुए इसकी तरफ बढ़ना होगा।
क्या आप सहमत हैं ?
तो यहाँ आपकी समस्या का समाधान मौजूद है–एक बड़े से गत्ते के (2’×1’) टुकड़े पर लिखें।
यह गत्ता अपने बुलेटिन बोर्ड पर टाँगें ताकि इसे सभी देख सकें।
प्रवृत्ति की समस्या का समाधान
दरअसल, मनोवैज्ञानिक रूप से आप स्वयं ही अपने मस्तिष्क को सबसे बेहतर तरीके से प्रोत्साहित कर सकते हैं कि आप कोई काम कर सकते हैं। प्यारे दोस्तों, आधी जंग तो यहीं जीती गई। बाकी आधी आपकी तकनीकों व बेहतर तरीके से काम करने पर निर्भर करती है।
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