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धर्म एवं दर्शन >> कल्पवृक्ष

कल्पवृक्ष

महेन्द्रनाथ केदार (सम्पादक)

प्रकाशक : भारतीय प्राच्य एवं सनातन विज्ञान संस्थान प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :350
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 7397
आईएसबीएन :81-86089-03-9

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स्तोत्र, नामावली, सहस्रनाम एवं मंत्र संकलन (हिन्दी अनुवाद सहित)

Kalpvriksh - A Hindi Book by - Mahendranath Kedar (editor)

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

गेयं गीतानामसहस्त्रं ध्येयं श्रीपतिरूपमजस्त्रम।
नेयं सज्जनसंगे चित्तं देयं दीनजनाय च वित्तम्।।

गीता और विष्णुसहस्त्रनाम का नित्य पाठ करना चाहिए,
भगवान विष्णु के स्वरूप का निरन्तर ध्यान करना चाहिए,
चित्त को संतजनों के संग में लगाना चाहिए और दीनजनों
के लिए धन दान करना चाहिए

Recite the Gita and Vishnu Sahasranama.
Contemplate on Lakshmi-pati Vishnu.
Seek the Company of the devout.
Be Charitable to the needy

मा कुरु धनजनयौवनगर्वं हरति निमेषात्कालं सर्वम्।
मायामयमिदमखिलं हित्वा ब्रह्मपदं त्वम् पविश विदित्वा।।

धन, जन और यौवन का गर्व मत कर, काल पलक मारते
ही इन सबको नष्ट कर देता हैं, इस सम्पूर्ण मायामय प्रपंच
को छोड़कर, ब्रह्मपद को जानकर उसी में प्रवेश कर।

Do not proud of money, kin or youth
Time destroys it all within blinking of an eye.
Break the enticing bonds of Maya.
Enter the state of blissful salvation


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