कहानी संग्रह >> रावी पार रावी पारगुलजार
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रावी पार
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
गुलजार की कहानियों का उर्दु से हिन्दी में अनुवादित यह पहला संग्रह है। इस प्रतिभाशाली लेखक ने असल जीवन व घटनाओं से प्रभावित कहानियाँ लिखी हैं। हर लम्हे को वे शब्दों के आइने में समेट लेते हैं। यही वो कहानियाँ हैं जो दिल की गहराईयों को छू जाती हैं। यही गुलज़ार हैं।
गुलज़ार का जन्म सन् 1936 में दीना (पाकिस्तान) में हुआ और पालन-पोषण दिल्ली में। इसके बाद वे बंबई चले गए।
फिल्मी दुनिया में उन्होंने कई नामी लोगों के साथ काम किया जिसमें विमल राय, ऋषिकेश मुखर्जी, हेमन्त कुमार आदि मुख्य हैं। अपने जीवन-वृत्त के इस लम्बे व सुनहरे सोपान में उन्होंने कई मधुर व मीठे गीतों को रचा। उसके बाद उन्होंने कथा व पट-कथा लेखना शुरु किया जो फिल्मी दुनिया के लिए ताज़ी हवा के झोंके की तरह था। इसी बीच वे निर्देशन के क्षेत्र में आए और कई संवेदनशील व अर्थपूर्ण फिल्में निर्देशित भी की है।
गुलज़ार ने अब तक पचास के लगभग फिल्मों की कथा लिखी है और कुछ फिल्में निर्देशित भी की हैं। उनकी प्रसिद्ध फिल्मों में ‘मेरे अपने’, ‘आंधी’, ‘मौसम’, ‘खुशबू’, ‘किनारा’, ‘मीरा’, ‘परिचय’, ‘लेकिन’, ‘लिबास’ और हाल में बनाई गई फिल्म ‘माचिस’ है जो 1997 में बनी। ‘माचिस’ के लिए उनको राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार व ख्याति मिली। गुलजार ने टेलीविज़न के लिए भी ‘किरदार’ व ‘मिर्ज़ा ग़ालिब’ दो धारावाहिक बनाए। आजकल उनकी नई फिल्म ‘हू-तू-तू’ चर्चे में हैं।
जब गीत लिखे तो कहानियों से प्रसिद्धि मिली।
कहानियाँ रचीं तो निर्देशन में प्रसिद्धि पाई।
और कुछ इसी तरह यह सिलसिला चल रहा है।
गुलज़ार का जन्म सन् 1936 में दीना (पाकिस्तान) में हुआ और पालन-पोषण दिल्ली में। इसके बाद वे बंबई चले गए।
फिल्मी दुनिया में उन्होंने कई नामी लोगों के साथ काम किया जिसमें विमल राय, ऋषिकेश मुखर्जी, हेमन्त कुमार आदि मुख्य हैं। अपने जीवन-वृत्त के इस लम्बे व सुनहरे सोपान में उन्होंने कई मधुर व मीठे गीतों को रचा। उसके बाद उन्होंने कथा व पट-कथा लेखना शुरु किया जो फिल्मी दुनिया के लिए ताज़ी हवा के झोंके की तरह था। इसी बीच वे निर्देशन के क्षेत्र में आए और कई संवेदनशील व अर्थपूर्ण फिल्में निर्देशित भी की है।
गुलज़ार ने अब तक पचास के लगभग फिल्मों की कथा लिखी है और कुछ फिल्में निर्देशित भी की हैं। उनकी प्रसिद्ध फिल्मों में ‘मेरे अपने’, ‘आंधी’, ‘मौसम’, ‘खुशबू’, ‘किनारा’, ‘मीरा’, ‘परिचय’, ‘लेकिन’, ‘लिबास’ और हाल में बनाई गई फिल्म ‘माचिस’ है जो 1997 में बनी। ‘माचिस’ के लिए उनको राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार व ख्याति मिली। गुलजार ने टेलीविज़न के लिए भी ‘किरदार’ व ‘मिर्ज़ा ग़ालिब’ दो धारावाहिक बनाए। आजकल उनकी नई फिल्म ‘हू-तू-तू’ चर्चे में हैं।
जब गीत लिखे तो कहानियों से प्रसिद्धि मिली।
कहानियाँ रचीं तो निर्देशन में प्रसिद्धि पाई।
और कुछ इसी तरह यह सिलसिला चल रहा है।
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