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जीवनी/आत्मकथा >> योगी कथामृत

योगी कथामृत

परमहंस योगानंद

प्रकाशक : योगोदय सत्संग सोसाइटी आफ इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :686
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7292
आईएसबीएन :9788190256216

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एक योगी की आत्मकथा (Autobiography of a Yogi)

Yogi Kathamrit (Autobiography of a Yogi) - A Hindi Book - by Paramhans Yogananda

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

यह व्यापक रुप से प्रशंसित आत्मकथा मानवीय अस्तित्व के सर्वोच्च रहस्यों में अविलम्ब गहरे तक प्रवेश कर उनका अविस्मरणीय विवेचन करती है, और हमारे युग की महान आध्यात्मिक विभूतियों में से एक का आकर्षक शब्द चित्र प्रस्तुत करती है। परमहंस योगानन्दजी ने मनमोहक सुस्पष्टता वक्तृता और विनोदपूर्ण रूप से अपने जीवन का यह प्रेरणाप्रद वृत्तान्त-- अपने विलक्षण बाल्यकाल के अनुभव, किशोरावस्था में एक दिव्य गुरु की खोज करते हुए विविध संतों एवं ऋषियों के साथ अपनी भेंट, अपने ईश्वर-साक्षात्कार प्राप्त गुरु के आश्रम में प्रशिक्षण के दस वर्ष, और बहुत से वर्ष जो उन्होंने आध्यात्मिक गुरु के रूप में सारे विश्व में सत्य की खोज कर रहे साधकों के प्रशिक्षण में व्यतीत किये-- प्रस्तुत किया है। रमन महर्षि, आनन्दमयी माँ, मास्टर महाशय (रामकृष्ण परमहंस के संत सदृश शिष्य), महात्मा गाँधी, रवीन्द्रनाथ टैगोर एवं जगदीशचंद्र बोस के साथ उनकी मुलाकातों का भी उल्लेख किया गया है।

आधुनिक समय की श्रेष्ठ आध्यात्मिक कृति के रूप में स्वीकृत इस पुस्तक का इक्कीस भाषाओँ में अनुवाद हो चुका है। विश्व भर में विभिन्न महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में यह पाठ्य-पुस्तक एवं संदर्भ ग्रंथ के रूप में प्रयुक्त हो रही है। हजारों पाठकों ने योगी-कथामृत को अपने जीवनकाल का सर्वाधिक आकर्षक पठन घोषित किया है।

"योग की इस प्रस्तुति के समान अंग्रेजी या किसी भी अन्य यूरोपीय भाषा में इससे पूर्व कुछ भी नहीं लिखा गया है।"

--कोलंबिया यूनिवर्सिटी प्रेस, यू.एस.ए.

"इस महात्मा की आत्मकथा का पठन मंत्रमुग्ध कर देता है।"


--द टाइम्स ऑफ इण्डिया"

"इस महत्वपूर्ण आत्मकथा को हमें अवश्य ही एक आध्यात्मिक क्रान्ति ला सकने की शक्ति का श्रेय देना चाहिए।"


शेल्सविग-होस्टीनीशे टाजेस्पोस्ट, जर्मनी
"एक ऐसी पुस्तक जो मन और आत्मा के द्वार खोल देती है।"


--इण्डिया जर्नल

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