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ओशो साहित्य >> संभोग से समाधि की ओर

संभोग से समाधि की ओर

ओशो

प्रकाशक : डायमंड पब्लिकेशन्स प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :440
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7286
आईएसबीएन :9788171822126

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संभोग से समाधि की ओर...


यह आदमी पैदा हुआ है-पांच-छह हजार, दस हजार वर्ष की संस्कृति का यह आदमी फल है। लेकिन संस्कृति गलत नहीं है, यह आदमी गलत है। आदमी मरता जा रहा है रोज और संस्कृति की दुहाई चलती चली जाती है कि महान-संस्कृति, महान धर्म, महान सब-कुछ! और उसका यह फल है आदमी। और उसी संस्कृति से गुजरा है और यह परिणाम है उसका। लेकिन नहीं, आदमी गलत है और आदमी को बदलना चाहिए अपने को।

और कोई कहने की हिम्मत नहीं उठाता कि कही ऐसा तो नही है कि दस हजार वर्षो में जो संस्कृति और धर्म आदमी को प्रेम से नही भर पाए, वह संस्कृति और धर्म गलत हो। और अगर दस हजार वर्षों मे आदमी प्रेम से नही भर पाया तो आगे कोई संभावना है इसी धर्म और इसी संस्कृति के आधार पर कि आदमी कभी प्रेम से भर जाए? दस हजार वर्षों में जो नही हो पाया, वह आगे भी दस हजार वर्षों मे होनेवाला नही है। क्योकि आदमी यही है, कल भी यही होगा आदमी। आदमी हमेशा से यही है और हमेशा यही होगा। और संस्कृति और धर्म जिनके हम नारे दिए चले जातै हैं और संत और महात्मा जिसकी दुहाइयां दिए चले जाते हैं! सोचने के लिए भी हम तैयार नही कि कही हमारी बुनियादी चिंतन की दिशा ही तो गलत नहीं है 7
मैं कहना चाहता हूं कि वह गलत है। और गलत--सबूत है यह आदमी। और क्या सबूत होता है?
एक बीज को हम बोए और फल जहरीले और कडुवे हों तो क्या सिद्ध होता है? सिद्ध होता है कि वह बीज जहरीला रहा होगा। हालांकि, बीज में पता लगाना मुश्किल है कि उससे जो फल पैदा होंगे, वे कडुवे पैदा होंगे। बीज में कुछ खोजबीन नहीं की जा सकती। बीज को तोड़ो-फोड़ो, कोई पता नहीं चल सकता कि इससे जो फल पैदा होते होंगे, वे कडुवे होंगे। बीज को बीओ, सों वर्ष लग जाएंगे-वृक्ष होगा, बड़ा होगा, आकाश में फैलेगा, तब फल आएं और तब पता चलेगा कि वे कडुवे हैं।
दस हजार वर्ष में संस्कृति और धर्म के बीज जो बोए गए हैं, यह आदमी उसका फल है और यह कडुवा है और घृणा से भरा हुआ है। लेकिन उसी की दुहाई दिए चले जाते हैं हम और सोचते हैं उससे प्रेम हो जाएगा। मैं आपसे कहना चाहता हूं उससे प्रेम नहीं हो सकता है। क्योंाइउकु प्रेम के पैदा होने की जो बुनियादी संभावना है, धर्मों ने उसकी ही हत्या कर दी है,?और उसमे ही जहर घोल दिया है। मनुष्य से भी ज्यादा प्रेम पशु और पक्षियों में और पौधों में दिखाई पड़ता है।

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Bakesh  Namdev

mujhe sambhog se samadhi ki or pustak kharidna hai kya karna hoga