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मोहन राकेश की श्रेष्ठ कहानियां

मोहन राकेश

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :196
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7253
आईएसबीएन :978-81-237-5531

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मोहन राकेश की श्रेष्ठ कहानियों का संकलन...

Mohan Rakesh Ki Shreshtha Kahaniyan - A Hindi Book - by Mohan Rakesh

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

‘बकलम खुद’ में मोहन राकेश लिखते हैं, ‘‘लेखक का वास्तविक कमिटमेंट किसी विचारधारा से न होकर, अपने समय से और समय के जीवन से होता है। यदि वह सचमुच अंदर से कमिटेड है, तो वह अंधे की तरह लकड़ी लेकर अंधेरे में अपने अकेले के लिए रास्ता नहीं टटोलता, बल्कि अंधेरे और आतंक को पैदा करने वाली शक्तियों के साथ अपने समूचे अस्तित्व से लड़ जाना चाहता है।’’ यही जीवन-विवेक मोहन राकेश की रचनाशीलता का प्राण-तत्त्व है। कहानीकार, नाटककार और उपन्यासकार–तीनों रूपों में से सृजन के नए प्रश्नों को अपने लेखन में स्थान दिया जो जीवन मूल्यों के सघन द्वंद्व से उपजे थे। अतिरिक्त आग्रह से भरी परंपरावादिता और अतिवादी अस्वीकार से युक्त आधुनिकता के बीच राकेश एक मानवीय ऊष्मा को पहचानने के लिए बेचैन दिखते हैं। वे कहा करते थे कि मैं एक असंभव लेकिन बहुत ईमानदार आदमी हूं। राकेश के व्यक्तित्व की अमिट छाप उनकी रचनाओं को अर्थ के नये आयाम प्रदान करती है। ये आयाम मोहन राकेश की कहानियों में भांति-भांति से प्रकट होकर जीवन मूल्यों का नया भाष्य रचते हैं। यही कारण है कि राकेश ‘नई कहानी’ और उसके उत्तरवर्ती कथा-समय के एक महत्त्वपूर्ण रचनाकार के रूप में प्रतिष्ठित हैं।

संकलन की कहानियां


१. मिस पाल
२. आर्द्रा
३. अपरिचित
४. सुहागिनें
५. मलबे का मालिक
६. उसकी रोटी
७. एक और जिंदगी
८. मंदी
९. जानवर और जानवर
१॰. मवाली
११. फौलाद का आकाश
१२. गुनाह बेलज्जत
१३. परमात्मा का कुत्ता
१४. मिस्टर भाटिया
१५. जीनियस
१६. पांचवें माले का फ्लैट


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