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बॉडी लैंग्वेज

एलन पीज़

प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :260
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7173
आईएसबीएन :978-81-86775-28

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लोग जो कहते हैं वह अक्सर वह नहीं होता जो वे सोचते या महसूस करते हैं। अब बॉडी लैंग्वेज से आप दूसरों के हाव-भाव से उनके विचारों को पढ़ना सीख सकते हैं।...

Body Languauge - A Hindi Book - by Alan Peas

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

लोग जो कहते हैं वह अक्सर वह नहीं होता जो वे सोचते या महसूस करते हैं। अब बॉडी लैंग्वेज से आप दूसरों के हाव-भाव से उनके विचारों को पढ़ना सीख सकते हैं। यह असंभव सा लगता है, परंतु बॉडी लैंग्वेज को समझना बहुत आसान है और इसका प्रयोग करना बहुत मज़ेदार भी है। पाँच लाख लोगों से भी अधिक ने एलन पीज़ से बॉडी लैंग्वेज के गुर सीखे हैं। एलन पीज़ अशाब्दिक संप्रेषण के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विशेषज्ञ हैं। यह जानने के लिये बॉडी लैंग्वेज पढ़ें :

किस तरह जानें कि कोई झूठ बोल रहा है
किस तरह खुद को लोगों का चहेता बनाया जाये
किस तरह दूसरे लोगों से सहयोग प्राप्त किया जाये
किस तरह साक्षात्कार और व्यावसायिक चर्चाओं में सफलता प्राप्त की जाये।
किस तरह अपने साथी को ढूंढा जाये

प्रस्तावना

जब 1971 में मैंने पहली बार बॉडी लैंग्वेज (Body Language) के बारे में एक सेमिनार में सुना तो मैं इसको लेकर बहुत ज़्यादा रोमांचित हो गया। मैं इसके बारे में और ज़्यादा जानना चाहता था। भाषण देने वाले ने हमें लुईविले विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रे बर्डव्हिसल द्वारा किये गये शोध के बारे में बताया। उस शोध का निष्कर्ष यह था कि मानवीय संप्रेषण संकेतों, मुद्राओं, स्थितियों और दूरियों से जितना ज़्यादा होता है, उतना किसी दूसरे तरीके से नहीं होता। उस समय मैं कमीशन सेल्समेन के रूप में कई सालों से काम कर रहा था और बिक्री की तकनीक के बारे में कई लंबे और गहन पाठयक्रमों में शामिल हो चुका था, परंतु इनमें से किसी भी पाठ्यक्रम में मुझे आमने-सामने की मुलाकात या बातचीत में अशाब्दिक पहलुओं या प्रभावों के बारे में नहीं बताया गया था।

मेरे खुद के परीक्षणों ने बताया कि बॉडी लैंग्वेज के विषय पर बहुत कम उपयोगी जानकारी उपलब्ध थी। हालांकि मुझे पुस्तकालयों और विश्वविद्यालयों में इस विषय पर हुये अध्ययनों के बहुत से रिकॉर्ड मिले, परंतु उनमें दी हुई जानकारी इतनी बारीक लिखावट में थी कि उसे पढ़ना आसान नहीं था। और उसे समझना तो और भी कठिन था क्योंकि उसमें केवल सैद्धांतिक मान्यताओं का तकनीकी विश्लेषण किया गया था। इस जानकारी को ऐसे लोगों ने निरपेक्ष रूप से इकट्ठा किया था जिन्हें दूसरे लोगों के साथ संप्रेषण करने का बहुत कम अनुभव था या बिलकुल भी अनुभव नहीं था। इसका यह मतलब नहीं है कि इन सैद्धांतिक विशेषज्ञों का कार्य महत्वपूर्ण नहीं था; इसका केवल यह अर्थ है कि इसमें से ज़्यादातर जानकारी इतनी तकनीकी थी कि वह एक आम आदमी के काम की नहीं थी और व्यावहारिक रूप से इसकी उपयोगिता लगभग शून्य थी।

इस पुस्तक में मैंने प्रमुख व्यवहारविद्-वैज्ञानिकों के शोध का सार दिया है और इसके साथ ही अन्य व्यवसायों–समाजविज्ञान, नृविज्ञान, प्राणीशास्त्र, शिक्षा, मनोविज्ञान, पारिवारिक परामर्श, व्यावसायिक विनिमय एवं विक्रय–में हुये शोध को भी शामिल किया है।
इस पुस्तक में कई ‘किस तरह करें’ के सुझाव भी दिये गये हैं। ऑस्ट्रेलिया और दूसरे देशों में मेरे और दूसरे लोगों द्वारा बनाये गये अनगिनत वीडियो टेपों और फिल्मों की रीलों के अध्ययन के बाद इन सुझावों को विकसित किया गया है। पिछले पंद्रह सालों में मैंने हजा़रों लोगों का इंटरव्यू लिया, उन्हें नौकरियाँ दीं, प्रशिक्षित किया, उनका प्रबंधन किया (साथ ही वे भी जिन्हें मैंने सामान बेचा)। इस पुस्तक में इन सभी लोगों के साथ हुये अनुभवों और साक्षात्कारों का भी निचोड़ है।
यह पुस्तक किसी भी तरह से बॉडी लैंग्वेज पर अंतिम शब्द नहीं है, न ही इसमें उस तरह के कोई जादुई नुस्खे हैं जिनका वादा कई पुस्तकों में किया जाता है। इसका उद्देश्य पाठक को उसके अशाब्दिक संकेतों और मुद्राओं के बारे में ज़्यादा जागरुक बनाना है। साथ ही, इसका मक़सद यह बतलाना भी है कि इस माध्यम के द्वारा लोग-बाग एक-दूसरे के साथ अपनी भावनाओं को किस तरह संप्रेषित करते हैं।

यह पुस्तक बॉडी लैंग्वेज और मुद्राओं के हर पहलू का अलग-अलग अध्ययन करती है, हालांकि मैं यह बता दूँ कि बहुत कम मुद्रायें दूसरी मुद्राओं की मदद के बिना अकेले ही इस्तेमाल की जाती हैं। इसके साथ ही मैंने अतिसामान्यीकरण से परहेज करने की कोशिश भी की है। अशाब्दिक संप्रेषण आखिरकार एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें लोगों के साथ-साथ उनके शब्द, उनकी आवाज की टोन और शरीर की गतिविधियाँ भी शामिल हैं।

ऐसे लोग हमेशा रहेंगे जो घबराकर अपने हाथ आतंक में खड़े कर देंगे और यह दावा करेंगे कि बॉडी लैंग्वेज का अध्ययन एक और तरीका है जिसके द्वारा वैज्ञानिक ज्ञान दूसरों के रहस्यों या विचारों को पढ़कर उन्हें शोषित करने या दबाने के लिये प्रयुक्त किया जा सकता है। यह पुस्तक पाठक को अपने साथी इन्सानों के साथ होने वाले संप्रेषक में ज़्यादा गहरी अंतर्दृष्टि विकसित करने की कोशिश करती है, ताकि उसमें दूसरे लोगों की ज़्यादा गहरी समझ विकसित हो सके और इस तरह ख़ुद की भी। जब हम यह समझ लेते हैं कि कोई चीज़ किस तरह काम करती है, तो हमारे लिये उसके साथ रहना, ज़्यादा आसान हो जाता है। इसकी विपरीत स्थिति में, समझ की कमी और अज्ञान से डर और अंधविश्वास पैदा होते हैं और हम दूसरों की ज़्यादा आलोचना करते हैं। एक पक्षी-प्रेमी पक्षियों का इसलिये अध्ययन नहीं करता ताकि वह उन्हें गोली से मार सके और विजयचिन्हों के रूप में उन्हें सजाकर रख सके। इसी तरह अगर हमें अशाब्दिक संप्रेषण का ज्ञान हो और हम इसमें दक्षता हासिल कर लें तो हर आदमी के साथ हमारी मुलाकात एक ज़्यादा रोमांचक अनुभव बन सकती है।
यह पुस्तक मूल रूप से सेल्समेन, सेल्स मैनेजर, एग्ज़ीक्युटिव्ज़ इत्यादि के वर्किंग मैन्युअल के रूप में लिखी जाने वाली थी। परंतु इस विषय पर दस साल तक हुये शोध और परीक्षण के बाद यह इतनी ज़्यादा बड़ी हो गयी है और विकसित हो चुकी है कि इससे कोई भी व्यक्ति लाभान्वित हो सकता है, चाहे उसका व्यवसाय कुछ भी हो या जीवन में वह कुछ भी करता हो। इस पुस्तक को पढ़ने से आपको जीवन की सबसे जटिल घटना की ज़्यादा बेहतर समझ मिलती है और वह जटिल घटना है–किसी दूसरे व्यक्ति के साथ आमने-सामने की मुलाक़ात।

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