लोगों की राय

विविध >> बैंकिंग व्यवसाय एवं पूंजी पर्याप्तता

बैंकिंग व्यवसाय एवं पूंजी पर्याप्तता

आर.के. मूलचन्दानी

प्रकाशक : आधार प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 7145
आईएसबीएन :81-7675-199-5

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

319 पाठक हैं

इस पुस्तक का प्रयोजन पाठक को बैंकिंग व्यवसाय के लिए आवश्यक मानदंडों से अवगत कराना है...

Banking Vyavsayay Evam Puji Ki Paryaptata - A Hindi Book - by R K Moolchandani

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

बैंकों के लिए पूंजी पर्याप्तता वर्ष 1999 से, जब बासल समिति ने वर्ष 1988 में हुए पूंजी समझौते में संशोधन करने के लिए पहला परामर्श दस्तावेज जारी किया, एक अंतर्राष्ट्रीय वाद एवं चिन्तन का विषय बना हुआ है। कुल मिलाकर तीन परामर्श दस्तावेजों व बासल-2 में निहित प्रस्तावों के परिमाणात्मक प्रभावों पर कई अध्ययनों के पश्चात् जून 2004 में संशोधित ‘पूंजी पर्याप्तता ढांचे’ पर अंतर्राष्ट्रीय सहमति प्राप्त प्रलेख जारी किया गया था। बासल-1 से बासल-2 की यह यात्रा अपने आप में एक अनुसंधान का विषय है।

इस पुस्तक का प्रयोजन पाठक को बैंकिंग व्यवसाय के लिए पूंजी पर्याप्तता की आवश्यकता, जोखिम आधारित पूंजी मानदंडों के प्रादुर्भाव, बासल-1 के पूंजी मानदंडों में परिवर्तन की आवश्यकता, बासल-2 के मानदंड एवं उससे सम्बन्धित मुद्दों एवं बैंकों के समक्ष इन नियमों को लागू करने में संभावित चुनौतियों से अवगत कराना है। हालांकि यह एक तकनीकी विषय है तथा बासल-2 के प्रस्ताव बासल-1 की तुलना में बहुत गूढ़ हैं, यह प्रयास किया गया है कि पुस्तक की भाषा को जितना हो सके सरल रखा जाए ताकि एक नवनियुक्त बैंकर जिसे इस विषय का ज्ञान ‘शून्य’ समान हो, वह भी इसकी आवश्यकता एवं महत्त्व को समझ सके। इस पुस्तक की सामयिक उपयोगिता इस बात में निहित है कि भारत सहित सभी प्रमुख देश इन नए पूंजी नियमों को अगले कुछ वर्षों में लागू करने को कटिबद्ध हैं।

अनुक्रम


१. बैंक एवं पूंजी पर्याप्तता - एक परिचय
२. जोखिम आधारित पूंजी मानदंडों का प्रादुर्भाव
३. बासल-1 के प्रमुख घटक
४. परिवर्तन की आवश्यकता
५. नवीन बासल पूंजी समझौता (बासल-2)
६. पूंजी खाते की परिवर्तनीयता और पूंजी पर्याप्तता
७. आस्तियों की गुणवत्ता, जोखिम रेटिंग और आस्ति प्रतिभूतिकरण
८. मुद्दे और चुनौतियां
९. भारतीय बैंकों की स्थिति
१॰. सन्दर्भ सूची
११. प्रकाशित पुस्तकें


प्रथम पृष्ठ

लोगों की राय

No reviews for this book