विविध >> घर की व्यवस्था कैसे करें ? घर की व्यवस्था कैसे करें ?रामकृष्ण
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घर की व्यवस्था कैसे करें ?...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
डॉ. राम कृष्ण
7 जून, 1919 में ग्राम भदस्याना, जिला गाजियाबाद, उत्तरप्रदेश में जन्में
डॉ. राम कृष्ण ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कृषि में स्नातक की डिग्री तथा
वाराणसी से वनस्पति शास्त्र से स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त करने के
पश्चात् आगरा विश्वविद्यालय से एग्रोनोमी में पी-एच-डी. की उपाधि अर्जित
की और उत्तरप्रदेश सरकार में कृषि निदेशक के पद पर आसीन हुए। उसके बाद तीन
वर्षों तक रामगंगा कमांड एरिया अथोरिटी उ.प्र. के अध्यक्ष एवं प्रशासन
रहे। उन्होंने एशिया, यूरोप, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप के लगभग
25 देशों का भ्रमण अध्ययन एवं प्रशिक्षण क लिए किया। उन्होंने कृषि के
विषय पर दो पुस्तकें अंग्रेजी में लिखी हैं और उनमें से एक का हिन्दी में
अनुवाद छप चुका है। 1970 में नौकरी से अवकाश प्राप्त करने के बाद वह
निरन्तर समाजसेवी कार्यों में जुटे रहे और देश के कई समाजसेवी संस्थाओं के
सक्रिय सदस्य हैं।
लेखकीय कथन
जीवन धारा-प्रवाह के भाँति निरन्तर गतिशील रहता है। यह धारा प्रवाह कभी
तेज, कभी बन्द मन्द चलता है, क्योंकि इसकी गति हमेशा एक सी नहीं रहती। इसी
की वजह से बहुत से देश अमीर हैं और बहुत गरीब। आजकल नई-नई खोंजे हो रही
हैं। इन खोजों से कुछ देश से कुछ देश आगे हैं। कुछ पीछे। इन नई-नई खोजों
का ज्ञान बढ़ाने का काम सूचना-प्रसारण स्त्रोतों का है, जो लोगों को अपने
प्रसारण में जानकारी देते हैं, परन्तु वह पूरी तरह व्यवहारिक जानकारी नहीं
दे पाते हैं। नए-नए ज्ञान को आम लोगों तक पहुँचाकर देश के लोगों का जीवन
स्तर आगे बढ़ाया जा सकता है। इस पुस्तक ‘घर की व्यवस्था कैसे
करें ?
का मुख्य उद्देश्य आधुनिक एवं प्राचीन ज्ञान को बटोरकर पाठकों तक पहुँचाना
है। नई-नई खोजें जो हमारे देश में होती हैं, जैसे कि स्वामी रामदेव जी
द्वारा प्रचारित किया गया योग जो आज विश्व के अनेक देशों में प्रसारित हो
चुका है, वह हमारी प्राचीन संस्कृति से ही लिया गया है, जैसे पहले एक शिशु
के लिए माँ के दूध को ही सर्वोतम माना गया था किन्तु धीरे-धीरे
बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ आई और उन्होंने यह प्रचार किया कि माँ के दूध से
शिशु को पूरा पोषण नहीं मिलता है। इस भ्रांति के कारण माताओं ने अपने बच्चों
को इन कम्पनियों द्वारा तैयार डिब्बाबन्द दूध या अन्य खाद्य पदार्थ खिलाने
शुरू कर दिए, किन्तु अब जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस तथ्य को निराधार
बताया तो पूरी दुनिया इस बात को मान गई कि माँ का दूध ही सर्वोत्तम होता
है।
इसी प्रकार इस पुस्तक में दिए गए सुझाव हमारी प्राचीन ऋषियों, मुनियों व मनीषियों की बातों को मानने से इनकार करते हैं। यहाँ तक कि आजकल के एलोपैथिक डाक्टर्स भी पुरानी आयुर्वेदिक पद्धतियों की दवाइयों पर यकीन नहीं करते। हमारे वैद्य-हकीम मात्र नब्ज को देखकर ही मर्ज बताकर उसका इलाज करते थे। आजकल डाक्टर्स नब्ज को देखते ही नहीं और न ही उन्हें इतना ज्ञान ही है जबकि आज आवश्यकता है कि नई पीढ़ी पुरानी पद्धतियों पर अनुसंधान करें। कहा जाता है कि रुद्रक्ष को रात में पानी में डालकर रखें और सुबह उस पानी का सेवन करने से रक्तचाप सामान्य रहता है। इसको साबित करने के लिए हमें रुद्राक्ष के भी औषधीय गुणों पर अनुसंधान करना होगा, जिसका हमारे स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है। हम अगर रत्नों के बारे में सोचें तो वह मात्र श्रृंगार के लिए नहीं हैं। यह हमारी प्राचीन आस्था का प्रतीक है। आज सभी यह मानते हैं कि रत्न औषधीय गुणों से युक्त होते हैं। इस पर अनुसंधान की आवश्यकता है, जिससे इनके औषधिय गुणों को अगर वैज्ञानिक आधार मिल सके तो इससे औषधि विज्ञान में नया मोड़ आयेगा, जिससे देश को व्यापारिक दृष्टि से बड़ा लाभ होगा।
यह पुस्तक घरेलू समस्याओं से निजात दिलाने के साथ-साथ घर का सभी सदस्यों के स्वास्थ्य, समृद्धि, शिष्टाचार के अलावा खान-पान तथा मिलावट में जानकारी देती है।
इसी प्रकार इस पुस्तक में दिए गए सुझाव हमारी प्राचीन ऋषियों, मुनियों व मनीषियों की बातों को मानने से इनकार करते हैं। यहाँ तक कि आजकल के एलोपैथिक डाक्टर्स भी पुरानी आयुर्वेदिक पद्धतियों की दवाइयों पर यकीन नहीं करते। हमारे वैद्य-हकीम मात्र नब्ज को देखकर ही मर्ज बताकर उसका इलाज करते थे। आजकल डाक्टर्स नब्ज को देखते ही नहीं और न ही उन्हें इतना ज्ञान ही है जबकि आज आवश्यकता है कि नई पीढ़ी पुरानी पद्धतियों पर अनुसंधान करें। कहा जाता है कि रुद्रक्ष को रात में पानी में डालकर रखें और सुबह उस पानी का सेवन करने से रक्तचाप सामान्य रहता है। इसको साबित करने के लिए हमें रुद्राक्ष के भी औषधीय गुणों पर अनुसंधान करना होगा, जिसका हमारे स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है। हम अगर रत्नों के बारे में सोचें तो वह मात्र श्रृंगार के लिए नहीं हैं। यह हमारी प्राचीन आस्था का प्रतीक है। आज सभी यह मानते हैं कि रत्न औषधीय गुणों से युक्त होते हैं। इस पर अनुसंधान की आवश्यकता है, जिससे इनके औषधिय गुणों को अगर वैज्ञानिक आधार मिल सके तो इससे औषधि विज्ञान में नया मोड़ आयेगा, जिससे देश को व्यापारिक दृष्टि से बड़ा लाभ होगा।
यह पुस्तक घरेलू समस्याओं से निजात दिलाने के साथ-साथ घर का सभी सदस्यों के स्वास्थ्य, समृद्धि, शिष्टाचार के अलावा खान-पान तथा मिलावट में जानकारी देती है।
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