व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> कामयाबी कैसे कामयाबी कैसेस्वाति शैलेश लोढ़ा
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कामयाबी कैसे
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
‘यह पुस्तक एक ऐसे संदेश को समाहित करती है जो उम्र क्षेत्र और
धर्म के बंधनों से ऊपर है। जरूर पढ़िए।’
-द हिन्दू
‘यह पुस्तक सरल, सहज शैली में बिना किसी जटिल बातों के लिखी गई
है।
यह आपको अंदर की उत्कृष्टता को उभारने के वायदे पर भी खरी उतरती है
।’
-द पायनियर
‘यह सूचना संप्रेषित करनेवाली अत्यंत प्रभावपूर्ण पुस्तक है।
मैं
मानता हूं कि यह पुस्तक उन सभी के लिए है जो सपने देखते हैं और उन्हें
साकार करने का उत्साह रखते हैं। एक ओजस्वी युगल द्वारा एक ऊर्जावान
प्रयास।’
-महेश भट्ट
(प्रख्यात निर्देशक एवं लेखक)
(प्रख्यात निर्देशक एवं लेखक)
‘यह पुस्तक चरित्र निर्माण में सहायक है। कहीं भी, किसी भी समय,
किसी भी उम्र, किसी भी व्यवसाय में सभी के लिए आवश्यक। सभी को पढ़ना
चाहिए। आत्मावलोकन के लिए एक मील का पत्थर’।
-किरण वेदी
(आई.पी.एस. और मैगसेसे अवार्ड विजेता)
(आई.पी.एस. और मैगसेसे अवार्ड विजेता)
‘सफलता पाने के लिए यह सरल, किन्तु अत्यंत प्रभावपूर्ण पुस्तक
है। सफल होने के लिए आइए, बैठिए, और तुरंत पढ़ डालिए।’
-सुरेन्द्र शर्मा
(सुप्रसिद्ध हास्य कवि)
(सुप्रसिद्ध हास्य कवि)
‘अद्भुत युगल प्रशिक्षक की अद्भुत पुस्तक’
-सुनील शाह
(हाइटेक इन्टरनेशनल, न्यूयार्क)
(हाइटेक इन्टरनेशनल, न्यूयार्क)
सफल होने के लिए,
पहले पढ़िए —क्या नहीं करना चाहिए ?
फिर पढ़िए —क्या करना चाहिए ?
पहले पढ़िए —क्या नहीं करना चाहिए ?
फिर पढ़िए —क्या करना चाहिए ?
अक्सर लोग कहते हैं—एक और एक ग्यारह होते हैं। जहां तक इस लेखक
युगल
का सम्बन्ध है यह एक और एक पूर्ण हैं। दो ऐसी प्रतिभाएं जिन्होंने बड़ी
अल्पायु में लिखना शुरू किया, दो सृजनात्मक मस्तिष्क जो सदा सृजन के
पर्याय रहे हैं, ऐसे दो लोग जो सदा एक दूसरे के पूरक हैं।
स्वैश—एक ऐसी अद्वितीय संस्था जो लोगों को विकसित करती है इनकी संयुक्त सोच और विचार विमर्श का परिणाम है। इनका अद्वितीय कार्यक्रम—‘‘Communication Connoisseur’’ अंतर्ज्ञान की अद्वितीय यात्रा है। वर्ष 1999 में स्कूल ऑफ बिजनेस, हार्डिंग विश्वविद्यालय अमेरिका का प्रमाण-पत्र उनकी दृढ़ता का परिणाम है।
स्वैश के प्रतिभागी जिन्हें स्वैशियन कहा जाता है — इस प्रशिक्षक युगल के अनन्य प्रशंसक हैं और उन्होंने अपने दोस्त, दार्शनिक और पथ प्रदर्शक के सम्पर्क में रहने हेतु स्वैश एलुमनी संगठन का निर्माण किया है।
इनकी कार्यशालाओं में हास्य व शिक्षा का अनूठा मिश्रण होता है। कुल पचास घंटों की ये कार्यशालाएँ प्रतिभागियों के व्यावहार तथा अभिवृत्तियों को परिवर्तित करने में पूर्णतः सक्षम हैं।
इस युगल का विश्वास है अगर हमने एक व्यक्ति को भी परिवर्तित कर दिया तो हमने एक पूरे संसार को परिवर्तित कर दिया।
स्वैश—एक ऐसी अद्वितीय संस्था जो लोगों को विकसित करती है इनकी संयुक्त सोच और विचार विमर्श का परिणाम है। इनका अद्वितीय कार्यक्रम—‘‘Communication Connoisseur’’ अंतर्ज्ञान की अद्वितीय यात्रा है। वर्ष 1999 में स्कूल ऑफ बिजनेस, हार्डिंग विश्वविद्यालय अमेरिका का प्रमाण-पत्र उनकी दृढ़ता का परिणाम है।
स्वैश के प्रतिभागी जिन्हें स्वैशियन कहा जाता है — इस प्रशिक्षक युगल के अनन्य प्रशंसक हैं और उन्होंने अपने दोस्त, दार्शनिक और पथ प्रदर्शक के सम्पर्क में रहने हेतु स्वैश एलुमनी संगठन का निर्माण किया है।
इनकी कार्यशालाओं में हास्य व शिक्षा का अनूठा मिश्रण होता है। कुल पचास घंटों की ये कार्यशालाएँ प्रतिभागियों के व्यावहार तथा अभिवृत्तियों को परिवर्तित करने में पूर्णतः सक्षम हैं।
इस युगल का विश्वास है अगर हमने एक व्यक्ति को भी परिवर्तित कर दिया तो हमने एक पूरे संसार को परिवर्तित कर दिया।
कामयाबी कैसे की यात्रा .....
सफलता की राह सदैव निर्माणाधीन है
सफलती की यात्रा अनवरत है
सफलती की यात्रा अनवरत है
चूँकि आपने इस किताब को खोला है तो निश्चित ही आप इस विचार से सहमत होंगे
हमें विश्वास है इस वक्त या तो आप अपनी सफलता की राह के निर्माण में लगे होंगे या शायद उस राह में आने वाली बाधाओं को दूर करने में व्यस्त होंगे या हो सकता है कि आप अपनी सही राह चुन रहे हों।
यदि आपने यह पुस्तक महज जिज्ञासा की वजह से खोली है, तो माफ कीजिएगा हो सकता है आपका सफलता के राजमार्ग के प्रति कोई रुझान नहीं हो, फिर तो आपको यह किताब जरूर पढ़नी चाहिये। हम दावा तो नहीं करते लेकिन विश्वास रखते हैं कि यह पुस्तक आपको जीवन बिताना नहीं बल्कि जीवन जीना सिखायेगी।
यह पुस्तक हम दोनों के जी जान से मिलजुल कर काम करने का नतीजा है। इसका प्रारम्भ हमारी ‘‘बेहिसाब बहसों’’ से शुरू हुआ जो कि अन्ततः ‘‘अन्तहीन लेखन’’ में बदल गया। खूब सारे तरह-तरह के विचारों के आदान-प्रदान का कारण एक ही था। सही सिद्धांत, सही शब्द और अन्ततः सही किताब की खोज।
जब हम खूब सारी बहसें कर चुके तब कहीं कुछ-कुछ स्पष्ट होने लगा। हमारे विचारों ने अन्ततोगत्वा सही शब्दों का रूप लिया और शब्दों ने मूर्त रूप लिया ‘कामयाबी कैसे’ के रूप में।
इस पुस्तक के माध्यम से हम स्पष्ट रूप से सिर्फ एक संदेश देना चाहते हैं ‘‘स्वयं को पहचानिये और बेहतर बनने के लिए स्वयं को बदल डालिये।’’
सामान्यतः सफलता और प्रेरणा से जुड़ी सभी पुस्तकें किसी भी अध्याय से शुरुआत कर के पढ़ी जा सकती हैं, यानी जरूरी नहीं कि आप प्रारम्भ से अंत की दिशा में ही पढ़ें। ये पुस्तक इंसानों के नजरिये, प्रेरणा या संप्रेषण के बारे में बताती है। लेकिन आपसे आग्रह है कि कामयाबी कैसे...को एक साथ प्रारम्भ से अंत तक पढ़ें। इसे लगातार पढ़ना आवश्यक है। यह किसी भी अध्याय से शुरू कर पढ़ने वाली पुस्तक है।
यह पुस्तक अगर एक साथ लगातार पढ़ी जाए तो अद्भुत परिणाम देगी। प्रथम से अंतिम पृष्ठ तक यह विभिन्न चरित्रों के मनुष्यों की अन्तर्यात्रा है।
धीरे-धीरे सभी अध्यायों की यात्रा और अंततः आपको मिलेगा आपके भीतर एक नैया ‘मैं’ यानी आपका नया रूप
हमें विश्वास है इस वक्त या तो आप अपनी सफलता की राह के निर्माण में लगे होंगे या शायद उस राह में आने वाली बाधाओं को दूर करने में व्यस्त होंगे या हो सकता है कि आप अपनी सही राह चुन रहे हों।
यदि आपने यह पुस्तक महज जिज्ञासा की वजह से खोली है, तो माफ कीजिएगा हो सकता है आपका सफलता के राजमार्ग के प्रति कोई रुझान नहीं हो, फिर तो आपको यह किताब जरूर पढ़नी चाहिये। हम दावा तो नहीं करते लेकिन विश्वास रखते हैं कि यह पुस्तक आपको जीवन बिताना नहीं बल्कि जीवन जीना सिखायेगी।
यह पुस्तक हम दोनों के जी जान से मिलजुल कर काम करने का नतीजा है। इसका प्रारम्भ हमारी ‘‘बेहिसाब बहसों’’ से शुरू हुआ जो कि अन्ततः ‘‘अन्तहीन लेखन’’ में बदल गया। खूब सारे तरह-तरह के विचारों के आदान-प्रदान का कारण एक ही था। सही सिद्धांत, सही शब्द और अन्ततः सही किताब की खोज।
जब हम खूब सारी बहसें कर चुके तब कहीं कुछ-कुछ स्पष्ट होने लगा। हमारे विचारों ने अन्ततोगत्वा सही शब्दों का रूप लिया और शब्दों ने मूर्त रूप लिया ‘कामयाबी कैसे’ के रूप में।
इस पुस्तक के माध्यम से हम स्पष्ट रूप से सिर्फ एक संदेश देना चाहते हैं ‘‘स्वयं को पहचानिये और बेहतर बनने के लिए स्वयं को बदल डालिये।’’
सामान्यतः सफलता और प्रेरणा से जुड़ी सभी पुस्तकें किसी भी अध्याय से शुरुआत कर के पढ़ी जा सकती हैं, यानी जरूरी नहीं कि आप प्रारम्भ से अंत की दिशा में ही पढ़ें। ये पुस्तक इंसानों के नजरिये, प्रेरणा या संप्रेषण के बारे में बताती है। लेकिन आपसे आग्रह है कि कामयाबी कैसे...को एक साथ प्रारम्भ से अंत तक पढ़ें। इसे लगातार पढ़ना आवश्यक है। यह किसी भी अध्याय से शुरू कर पढ़ने वाली पुस्तक है।
यह पुस्तक अगर एक साथ लगातार पढ़ी जाए तो अद्भुत परिणाम देगी। प्रथम से अंतिम पृष्ठ तक यह विभिन्न चरित्रों के मनुष्यों की अन्तर्यात्रा है।
धीरे-धीरे सभी अध्यायों की यात्रा और अंततः आपको मिलेगा आपके भीतर एक नैया ‘मैं’ यानी आपका नया रूप
शुभ यात्रा
स्वाति-शैलेश लोढ़ा
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