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सम्पूर्ण चाणक्य नीति

रामचन्द्र वर्मा शास्त्री

प्रकाशक : किताबघर प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :230
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 6625
आईएसबीएन :81-7016-781-7

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सम्पूर्ण चाणक्य नीति

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

संस्कृत भाषा में लिखा गया ‘कौटिलीय अर्थशास्त्र’ राजनीति पर लिखा गया एक अत्यन्त महत्वपूर्ण ग्रन्थ है, जिसमें वर्णित राज्य सिद्धांतों के साथ-साथ राज्य-प्रबंध संबंधी सूक्ष्म तत्त्वों को देखकर विश्व-भर के बड़े-से-बड़े कूटनीतिज्ञ भी दाँतों तले अँगुलि दबा लेते हैं और भारतवासियों के राजनीतिक ज्ञान की प्रौढ़ता का लोहा मानते हैं। इस ग्रन्थ की एक बड़ी विशेषता यह है कि इसमें सिद्धांत और व्यवहार का, आदर्श और यथार्थ का, तथा ज्ञान और क्रिया का बड़ा ही सुन्दर एवं अद्भुत सामंजस्य देखने को मिलता है। इसीलिए इस ग्रन्थ का महत्व अरस्तू के ग्रन्थों से भी कहीं अधिक आँका जाता है।

कौटिल्य अर्थात् चाणक्य ने अपने अर्थशास्त्र के प्रारंभ में लिखा है -

 

"पृथिव्यां लाभे पालने च यावन्त्यर्थशास्त्राणि पूवाचार्येः
प्रस्थापितानि प्रायशस्तानि संहृव्यैकमिदर्भर्थशास्त्रं कृतम्।"



अर्थात् प्राचीन आचार्यों ने राज्य की प्राप्ति और उसकी सुरक्षा संबंधी जितने भी राजनीतिशास्त्रों की रचना की, उन सबके सार का संग्रह करके मैंने अपना अर्थशास्त्र लिखा है।

इस प्रकार स्पष्ट है कि भारत में राजनीतिक विषयों पर लिखे गये ग्रन्थों की विस्तृत परंपरा रही है, परन्तु आज ये ग्रन्थ नहीं मिलते। सौभाग्यवश, आज कौटिलीय अर्थशास्त्र सुलभ है, जिसमें राजनीति-विज्ञान का सांगोपांग एवं समग्र रूप से वर्णन हुआ है।

निस्संदेह, ‘चाणक्य नीति’ भारतीय चिन्तन-पद्धति का ऐसा विश्वकोश है, जिसने अनेक पाश्चात्य विद्वानों की बोली बंद कर दी है तथा जिसकी तुलना का ग्रन्थ पूरे विश्व में कहीं नहीं मिलता।

इस ग्रन्थ में लोक-व्यवहार, धर्म एवं राजनीति से संबंधित ऐसी अनेक शिक्षाप्रद व उपयोगी जानकारी समाविष्ट है, जिसे जानकर कोई भी व्यक्ति, जीवन के किसी भी क्षेत्र में पूर्ण सफलता प्राप्त कर सकता है।

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