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नेहरू बाल पुस्तकालय >> आंखों देखी

आंखों देखी

गिजुभाई बधेका

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :44
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6442
आईएसबीएन :978-81-237-5043

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लीजिए, ये बाल-कथाएं। बच्चे इन्हें खुशी-खुशी बार-बार पढ़ेंगे और सुनेंगे...

Aankhon Dekhi

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

शिक्षक भाई-बहनों से

लीजिए, ये हैं बाल-कथाएँ। आप बचचों को इन्हें सुनाइए। बच्चे इनको खुशी-खुशी और बार-बार सुनेंगे। आप इन्हें रसीले ढंग से कहिए, कहानी सुनाने के लहजे से कहिए। कहानी भी ऐसी चुनें, जो बच्चे की उम्र से मेल खाती हो। भैया मेरे, एक काम आप कभी न करना। ये कहानियाँ आप बच्चों को रटाना नहीं। बल्कि, पहले आप खुद अनुभव करें कि ये कहानियाँ जादू की छड़ी-सी हैं यदि आपको बच्चों के साथ प्यार का रिश्ता जोड़ना है तो उसकी नींव कहानी से डालें। यदि आपको बच्चों का प्यार पाना है तो कहानी भी एक जरिया है। पंडित बनकर भी कहानी नहीं सुनाना। कील की तरह बोध ठोकने की कोशिश नहीं करना। कभी थोपना भी नहीं। यह तो बहती गंगा है। इसमें पहले आप डुबकी लगाएँ, फिर बच्चों को भी नहलाएं।
गिजुभाई

चोर चकार और चिड़िया


एक था किसान। उसने खेत जोत कर ज्वार बोई। ज्वार में बड़े-बड़े भुट्टे लगे। किसान ने सोचा....अब एक चौकीदार रखना होगा। वह पहरा देगा और चिड़ियों को भी उड़ायेगा।
चौकीदार रात में गश्त लगाता। दिन में परिंदों को उड़ाता। यों काम करते हुए कई दिन गुजर गए। एकरात चोर आए और चौकीदार को पीट कर भुट्टे चुरा ले गये। दूसरे रोज चौकीदार भी भाग निकला। किसान ने नया चौकीदार रखा। चोरों ने मार-मार कर उसको भी दुंबा बना डाला और भुट्टे चुरा कर चंपत हो गए।
किसान सोचने लगा....यह तो बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई। इसका कोई उरपाय तो खोजना होगा। सोचते-सोचते उसे भगवान खेतो जी की याद आ गई। खेतो जी तो बड़े महाप्रतापी देवता हैं। उनके इशारे पर सूरज निकलता है और उनके संकेत पर दिन ढल जाता है। उन्हीं को दुहाई देनी पड़ेगी।
उसी रात भगवान खेतो जी उसके सपने में आये। उन्होंने किसान से पूछा, ‘भक्त, तुमने हमें याद किया ?’ किसान ने हाँ कहते हुए हाथ जोड़ कर बताया, ‘भगवान, आपकी कृपा से ज्वार में बड़े-बड़े भुट्टे लगते हैं पर चोर रहने नहीं देते। उन्होंने दो चौकीदारों को मार भगाया है। भगवान अब आप ही कोई उपाय कीजिए।। कोई रास्ता दिखाइए।’
खेतो जी बोले, ‘भक्त, आज से तुम्हारी चिंता खत्म और हमारी शुरू। खेत में एक बांस गाड़ दो, फिर देखो तमाशा।’
सवेरे आंखें खुलते ही किसान ने सबसे पहले भगवान के आदेश के अनुसार खेत के बीच एक बांस गाड़ दिया सूरज ढला। आकाश में लाली छाई। शाम हुई। भगवान तो चिड़िया बन कर उस बांस पर बैठ गए। आधी रात हुई। चोर आए। वे दबे पांप खेत में घूमने लगे। यह देख चिड़िया बोली,
घूमना-फिरना अब छोड़ो जी
आज रखवाला है खेतो जी

चोर चौंके। ‘अरे, यह कौन बोली ?’ इधर-उधर देखा तो कोई दिखाई नहीं दिया। चोरों ने भुट्टे काटना शुरु कर दिया। यह देख चिड़िया बोली,

काटना-वाटना अब छोड़ो जी
आज रखवाला है खेतो जी

चोरों ने चारों तरफ देखा, लेकिन कोई दिखाई नहीं पड़ा। उन्होंने भुट्टों की गठरी बांध ली। यह देख चिड़िया बोली,

बांधना-वांधना अब छोड़ो जी
आज रखवाला है खेतो जी

चोर बौखला कर यहां-वहां देखने लगे। तभी उनकी नजर बांस पर बैठी चिड़िया पर ठहरी। वे पत्थर फेंक कर उसे मारने लगे। चिड़िया बोली,

मारना–वारना अब छोड़ो जी
आज रखवाला है खेतो जी

तभी चोर चिड़िया पर टूट पड़े और उसे बुरी तरह पीटने लगे। चिड़िया फिर बोली,
पीटना-वीटना अब छोड़ो जी
आज रखवाला है खेतो जी

अब चोर ऐसे आगबबूला हुए कि वे चिड़िया को काट कर उसके टुकड़े-टुकड़े करने लगे। फिर भी चिड़िया बोली,
काटना-वाटना अब छोड़ो जी
आज रखवाला है खेतो जी

चोरों ने अलाव जलाया और चिड़िया कि टुकड़े भूनने लगे। तभी चिड़िया का एक टुकड़ा बोला,
भूनना-वूनना अब छोड़ो जी
आज रखवाला है खेतो जी

फिर सब चोर चिड़िया को खाने बैठे। सभी ने एक-एक टुकड़ा उठाया। जैसे ही वे मुँह में डालने लगे कि एक साथ सारे टुकड़े एक ही सुर में बोल उठे,

चोरी-चकारी अब छोड़ो जी
आज रखवाला है खेतो जी

चोरों का सरदार अब घबड़ाया। वह बोला, ‘यह तो बड़ी हैरतंगेज बात है। यहीं कहीं जरूर कोई दैत्य छिपा होगा। यह सब उसी का करिश्मा है। वह हमारा कलेवा कर जाए इससे पहले यहां से नौ-दो ग्यारह हो जाने में ही हमारी भलाई है।’
सभी चोर इतने डरे हुए थे कि सबकुछ वहीं छोड़कर भाग निकले। इसके बाद वे लौट कर फिर कभी नहीं आए।

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