जीवनी/आत्मकथा >> शब्द और सुर का संगम शब्द और सुर का संगमदानबहादुर सिंह
|
8 पाठकों को प्रिय 363 पाठक हैं |
यह पुस्तक काजी नज़रुल इस्लाम के काल की विषम परिस्थितियों का आकलन करते हुए इस महान चितेरे की शाश्वत और मानवीय मूल्यों से आपूर्ण बहुमुखी प्रतिभा की झलक प्रस्तुत करती है....
|
लोगों की राय
No reviews for this book