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नार्निया की कहानियाँ चाँदी की कुर्सी

सी.एस.लुइस

प्रकाशक : हार्परकॉलिंस पब्लिशर्स इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :318
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 6413
आईएसबीएन :978-81-7223-742

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नार्निया....जहाँ राक्षस तहलका मचाते हैं...जहाँ छल जाल बुनती है...जहाँ जादू राज करता है...

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

नार्निया

एक राजकुमार बंदी एक देश ख़तरे में
नार्निया......जहाँ राक्षस तहलका मचाते है......जहाँ छल जाल बुनती है......जहाँ जादू राज करता है।

अनकहे ख़तरों और अंधेरी गुफ़ाओं के बीच बंदी बने राजकुमार को छुड़ाने दोस्तों की एक टोली को भेजा जाता है। ज़मीन के नीचे सामना होता है उनका उस बुराई से जो बेहद खूबसूरत और खतरनाक है।

चाँदी की कुर्सी


शरद के एक दिन जिल अपने स्कूल से उकताई हुई दुखी बैठी थी। यूस्टॅस उसका ध्यान बटाने के लिए उस मायावी देश की कहानियाँ सुनाता है, जहाँ वह पिछली छुट्टियों में गया था। वह तय करती है कि उनकी आख़िरी उम्मीद है स्कूल से भाग कर उस जादुई सरज़मी को ढूँढना।

पहुँच जाते हैं वे स्कूल से बाहर, इंग्लैंड से बाहर, हमारी दुनिया से निकल उस जगह में, जहाँ शुरू होता है नार्निया का सबसे दिलचस्प और मुश्किल रोमांच। क्योंकि आस्लान बच्चों को रिलियन को ढूँढने का काम सौंपता है। रिलियन राजा कैस्पियन का चेहता बेटा है जो अपनी माँ के खूनी को ढूँढते हुए खो गया है। जिल और यूस्टॅस की मदद के लिए आस्लान उन्हें चार चिन्ह देता है पर जल्दी में जिल और यूस्टॅस उन महत्त्वपूर्ण चिन्हों में से तीन चिन्ह भूल जाते हैं। समय और किस्मत शुरू से ही उनके ख़िलाफ़ लगते हैं।

नार्निया की कहानियों का यह छठा जोश भरा किस्सा है।

जिम के पीछे


वह एक बोझल शरद का दिन था और जिल पोल जिम के पीछे बैठी रो रही थी।

वह रो रही थी क्योंकि उसे सताया जा रहा था। यह स्कूल की कहानी नहीं है, इसलिए मैं जिल के स्कूल के बारे में कम से कम कहूँगा क्योंकि यूं भी वो खुशी का विषय तो नहीं है। वह एक को-एजुकेशनल स्कूल था, दोनों लड़के और लड़कियों के लिए जिसे मिक्सड स्कूल कहते थे; कुछ कहते थे कि वह इतना मिश्रित नहीं था जितने उन लोगों के दिमाग थे जो उसे चलाते थे। इन लोगों का सोचना था कि लड़कियों और लड़कों को जो वो चाहें करने देना चाहिए। बदनसीबी से दस-पन्द्रह बड़े लड़के और लड़कियों को पसंद था दूसरों पर धौंस जमाना। और स्कूल चलाने वालों को उन बदमाश बच्चों की हरकतों का पता लग भी जाता तो ना तो उन्हें निकाला जाता और ना ही उन्हें सज़ा दी जाती। मुख्याध्यापक कहते कि वे रोचक मनोवैज्ञानिक विषय है और उन्हें बुलाकर उनसे घंटों बातें करते। और यदि आपको मुख्याध्यापक को खुश करने वाली बातें आती हों, तो आप उनके प्यारे ‘फेवरिट’ बच्चे बन जाते और सज़ा की हो जाती छुट्टी।

इसलिए जिल पोल उस दिन उस गीले रस्ते पर बैठी रो रही थी जिम के पीछे से होते हुए झाड़ियों के बीच से जाता था। तभी एक लड़का सीटी बजाते जेब में हाथ डाले जिम के कोने से निकल कर आया। वह लगभग उससे भिड़ गया। ‘‘देख कर नहीं चल सकते ?’’ जिल ने कहा।

लड़का बोला, ‘‘तुम्हें अब शुरू हो जाने की ज़रूरत नहीं-’’ तब उसने उसका चेहरा देखा। ‘‘हे भगवान ! पोल, ‘‘वह बोला। ‘‘क्या हुआ ?’’
जिल मुँह बनाने लगी, वैसे जो आप तब बनाते हैं जब आप कुछ कहने की कोशिश कर रहे हों और आपको लगे कि आप रो पड़ेंगे।
‘‘लगता है, हमेशा की तरह वही जिम्मेदार हैं।’’ लड़के ने दुखी होकर अपने हाथ जेब में और अंदर डालते हुए कहा।
जिल ने सिर हिलाया। उसे कुछ कहने की ज़रूरत नहीं थी। उन दोनों को मालूम था।
‘‘अब, यहाँ देखो,’’ लड़के ने कहा, ‘‘हम सब किसी लायक नहीं हैं-’’
उसका इरादा तो ठीक था वह बात ऐसे कर रहा था जैसे कोई लेक्चर शुरू कर रहा हो। जिल एक दम से बिगड़ गयी (जो होता ही है जब आपको रोने से बीच में रोक दिया जाए)।
‘‘ओह, चले जाओ और अपने आप से मतलब रखो,’’ वह बोली। ‘‘बड़े आए हम सबको बताने के लिए हमें कि हमें क्या करना चाहिए। मैं समझती हूँ तुम्हारा मतलब है कि हमें सारा वक्त उनकी चापलूसी करते हुए बिताना चाहिए, उनकी हाज़िरी बजाते हुए, जैसा कि तुम करते हो।’’
‘‘हे भगवान् !’’ हरी-भरी झाड़ियों की किनारी पर बैठते हुए लड़के ने कहा, और फिर जल्दी से उठते हुए क्योंकि वह बहुत गीली थी। बद्किस्मती से उसका नाम यूस्टॅस स्क्रब था। पर वह लड़का बुरा नहीं था।
‘‘पोल,’’ वह बोला। ‘‘क्या यह सही है ? क्या मैंने पूरे साल में ऐसा कुछ भी किया है ? क्या मैं खरगोश के लिए कारटर के खिलाफ नहीं खड़ा हुआ था ? और क्या मैंने स्पिविनस का राज़ नहीं रखा था-इतना कुछ सहकर भी ? और क्या मैंने....’’
‘‘मुझे नहीं मालूम और ना ही मुझे कोई परवाह है,’’ जिल सुबकी।
स्क्रब ने उसको पेपरमिंट की गोली दी। खुद भी एक खाई। जल्दी-ही जिल को चीज़ें साफ दिखाई देने लगीं।
‘‘मुझे माफ़ कर दो, स्क्रब,’’ उसने कहा।
‘‘मैं ग़लत थी। तुमनें यह सब किया है इस साल।’’
‘‘तो फिर पिछली टर्म को अगर भूल सकती हो तो भूल जाओ,’’ यूस्टॅस ने कहा। ‘‘मैं तब एक अलग लड़का था। हे भगवान ! कितना झक्की था मैं।’’

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