कहानी संग्रह >> अंत का आरंभ तथा अन्य कहानियाँ अंत का आरंभ तथा अन्य कहानियाँप्रकाश माहेश्वरी
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‘अंत का आरंभ तथा अन्य कहानियाँ’ समाज के इर्द-गिर्द घूमती कहानियों का संग्रह है।
Ant Ka ArambhTatha Anya Kahaniyan a hindi book by Prakash Maheshwari - अंत का आरंभ तथा अन्य कहानियाँ - प्रकाश माहेश्वरी
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
भूमिका
‘अंत का आरंभ तथा अन्य कहानियाँ’ समाज के इर्द-गिर्द घूमती कहानियों का संग्रह है। व्यक्ति और समाज एक-दूसरे के पूरक हैं। इस संग्रह की कहानियों में मैंने समाज के मध्यम वर्ग की वर्तमान समस्याओं का उजागर करने का प्रयत्न किया है। ये कहानियाँ जीवन के उन पहलुओं को स्पर्श करती हैं जो हृदयस्पर्शी व मार्मिक हैं और जिन्हें हम अक्सर अनुभव करते हैं।
इन कहानियों में हमारा समाज ही प्रतिबिंम्बित हुआ है। समाज में व्याप्त सत्यं, शिवं, सुंदरम् को मुखरित करना ही मेरा उद्देश्य रहा है। समाज की इस संवेदना को पकड़ पाने में मैं कितना सफल रहा हूँ इसका निर्णय तो पाठकगण ही करेंगे।
अपने इस प्रथम संग्रह के प्रकाशन के लिए मैं ‘मध्यप्रदेश साहित्य परिषद, भोपाल’ का आभारी हूँ। साथ ही मेरे अग्रज-सम कन्हैयालालजी चांडक, एक्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर, दी वेस्ट कोस्ट पेपर मिल्स लिमिटेड, दांडेली (कर्नाटक) और आर्य बुक डिपो; करोल बाग, नई दिल्ली के श्री सुखपाल गुप्त एवं श्री अशोक गुप्त जी का हृदय से आभारी हूँ, जिनकी व्यक्तिगत रुचि एवं आत्मीय प्रेरणा से मेरा यह चिर-संचित स्वप्न साकार हुआ।
अपने इस प्रथम संग्रह के प्रकाशन के लिए मैं ‘मध्यप्रदेश साहित्य परिषद, भोपाल’ का आभारी हूँ। साथ ही मेरे अग्रज-सम कन्हैयालालजी चांडक, एक्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर, दी वेस्ट कोस्ट पेपर मिल्स लिमिटेड, दांडेली (कर्नाटक) और आर्य बुक डिपो; करोल बाग, नई दिल्ली के श्री सुखपाल गुप्त एवं श्री अशोक गुप्त जी का हृदय से आभारी हूँ, जिनकी व्यक्तिगत रुचि एवं आत्मीय प्रेरणा से मेरा यह चिर-संचित स्वप्न साकार हुआ।
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- पापा, आओ !
- आव नहीं? आदर नहीं...
- गुरु-दक्षिणा
- लतखोरीलाल की गफलत
- कर्मयोगी
- कालिख
- मैं पात-पात...
- मेरी परमानेंट नायिका
- प्रतिहिंसा
- अनोखा अंदाज़
- अंत का आरंभ
- लतखोरीलाल की उधारी
अनुक्रम
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