अतिरिक्त >> तन्त्र सिन्धु तन्त्र सिन्धुनरेन्द्र सिंह
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तन्त्र के प्रति अधिकांशजनों में एकमेव यही भाव दिखाई देता है कि तन्त्र मारण, उच्चारण, वशीकरण तथा विद्वेषण आदि षट्कर्मों का ही शास्त्र है। अधिक-से अधिक तन्त्र को अपना कर व्यक्ति भूत प्रेत आदि निकृष्ट सिद्धियों से समाज को कष्ट दे सकता है इससे अधिक कुछ नहीं।
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- आत्म निवेदन
- तन्त्र सिन्धु
- तन्त्र और तन्त्र का वर्गीकरण
- आम्नाय
- प्रमुख तांत्रिक सम्प्रदाय
- गुरु और दीक्षा
- तान्त्रिक साधना के सन्दर्भ में योनि चिन्तन
- तन्त्रोक्त नायिकाएँ (शक्तियाँ) एवं उनके फल
- नारी-रज साधनम्
- शक्ति-साधन विधान
- तन्त्रोक्त मन्त्रों के प्रयोग
- विद्वेषण के सरल प्रयोग
- तन्त्र के सन्दर्भ में यन्त्र-साधना
- तन्त्र-संदर्भ में वनस्पति प्रयोग
- शक्तिपात साधन
- अन्य तांत्रिक प्रयोग
अनुक्रम
विनामूल्य पूर्वावलोकन
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