इतिहास और राजनीति >> परिवर्तन और राजनीति परिवर्तन और राजनीतिएन. के. सिंह
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भारत की राजनीति एवं अर्थव्यवस्था की झलक...
Aaj Ka Bharat - Nana Palkhiwala
एन. के. सिंह की लालित्यपूर्ण रचना शैली से आर्थिक मुद्दे सहज ही सजीव हो उठते हैं। भारत के पिछले कुछ वर्षों के कीर्तिमानों को लेकर सिंह के पास कहने को एक गौरवपू्रण गाथा भी विद्यमान है। भारत के परिबल को बनाए रखने के एवं उसके स्वरूप को समझने के इच्छुक प्रत्येक व्यक्ति को यह पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए। -लॉरेंस एच. समर्स, अमरीका के भूतपूर्व ट्रेज़री सेक्रेटरी और अभी कुछ समय पहले तक हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अध्यक्ष
ये लेख भारत के बहुलतापूर्ण लोकतन्त्र तथा भारतीय अर्थव्यवस्था को सुधारने में निहित जटिल आर्थिक एवं राजनीतिक प्रक्रियाओं का एक गहन विश्लेषण प्रस्तुत कर रहें। -प्रो. टी. एन श्रीनिवासन, येल विश्वविद्यालय
एन. के. सिंह एक विश्व स्तर के नीति विश्लेषक, युक्ति निर्माता और नीतियों को व्यावहारिक रूप प्रदान करने वाले व्यक्ति हैं। इन प्रतिभाओं के साथ उनके व्यापक ज्ञान और भारतीय एवं अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक नीति निर्धारण एवं अनुपालन के विशाल अनुभव के संयोग से उनसे राज्य अर्थनीति और आर्थिक निर्धारण के विषय में बहुत कुछ सीखा जा सकता है। -एन. ओ. क्रूगर, भूतपूर्व उप प्रबंध निदेशक,अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष, संप्रति जॉन हॉपकिन्स विशविद्यालय में प्रोफेसर
एक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में अपने सेवाकाल में एन. के. सिंह ने अपने प्रदेश स्तर पर वाणिज्य तथा उद्योग मंत्रालयों और केंद्र में वित्त मंत्रालय में अनेक महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। अतिरिक्त सचिव (आर्थिक कार्य), व्यय सचिव, राजस्व सचिव, प्रधानमंत्री के सचिव और बाद में योजना आयोग के सदस्य के रूप में एन. के. सिंह ने भारत की उदारीकरण की नौका का 1991 से 2004 तक व्यवस्थाओं के जंजाल से भरे रास्तों पर मार्गदर्शन करने में महती योगदान दिया है। इंडियन एक्सप्रेस में अपनी साप्ताहिक लेखमाला फ्रॉम द रिंगसाइड में श्री सिंह आधारभूत संरचना, केंद्र राज्य संबंध, बीमा क्षेत्र को विदेश एवं निजी निवेश के लिए खोलने, तेल कीमतों और उनके विनिमय, तथा भारत के विषय में विश्व स्तर पर बदल रहे परिप्रेक्ष्यों सहित अनेक विषयों की व्याख्या और समालोचना करते आ रहे हैं। प्रस्तुत पुस्तक, परिवर्तन और राजनीति, एन. के. सिंह की अनुभवी दृष्टि के सहारे पाठक को भारत की राजनीति एवं अर्थव्यवस्था की झलक दिखा रही है, साथ ही साझा सरकारों की राजनीति की वास्तविकताओं और अंतर्राष्ट्रीय विभाजन रेखाओं पर भी एक पैनी दृष्टि डालने का अवसर प्रदान कर रही है। प्रस्तुत विश्लेषण यह स्पष्ट कर देता है कि क्यों कुछ पहलकदमियां तो आर्थिक परिदृश्य को परिवर्तित करने में सफल रही हैं किन्तु किन कारणोंवश अनेक विधेयक, योजनाएं और कार्यक्रम अप्रभावी रह गए या वर्षों के टकराव संघर्ष के बाद भी बुरी तरह से विकृत और विफल हो गए। भले ही उनको बड़े सदाशय के साथ प्रारंभ किया गया था, किन्तु विपक्षी दलों के प्रहारों के कारण उन्हें पूरे मनोयोग से व्यावहारिक रूप देना संभव नहीं रह पाया। यह पुस्तक तीव्र गति से परिवर्तित हो रहे आर्थिक एवं सामाजिक परिवेश के साथ कदम मिलाकर प्रशासन की उपयुक्त व्यवस्था रचने और नवीन संस्थागत संरचनाओं के निर्माण की चुनौतियों की ओर भी ध्यान आकर्षित कर रही है।
ये लेख भारत के बहुलतापूर्ण लोकतन्त्र तथा भारतीय अर्थव्यवस्था को सुधारने में निहित जटिल आर्थिक एवं राजनीतिक प्रक्रियाओं का एक गहन विश्लेषण प्रस्तुत कर रहें। -प्रो. टी. एन श्रीनिवासन, येल विश्वविद्यालय
एन. के. सिंह एक विश्व स्तर के नीति विश्लेषक, युक्ति निर्माता और नीतियों को व्यावहारिक रूप प्रदान करने वाले व्यक्ति हैं। इन प्रतिभाओं के साथ उनके व्यापक ज्ञान और भारतीय एवं अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक नीति निर्धारण एवं अनुपालन के विशाल अनुभव के संयोग से उनसे राज्य अर्थनीति और आर्थिक निर्धारण के विषय में बहुत कुछ सीखा जा सकता है। -एन. ओ. क्रूगर, भूतपूर्व उप प्रबंध निदेशक,अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष, संप्रति जॉन हॉपकिन्स विशविद्यालय में प्रोफेसर
एक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में अपने सेवाकाल में एन. के. सिंह ने अपने प्रदेश स्तर पर वाणिज्य तथा उद्योग मंत्रालयों और केंद्र में वित्त मंत्रालय में अनेक महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। अतिरिक्त सचिव (आर्थिक कार्य), व्यय सचिव, राजस्व सचिव, प्रधानमंत्री के सचिव और बाद में योजना आयोग के सदस्य के रूप में एन. के. सिंह ने भारत की उदारीकरण की नौका का 1991 से 2004 तक व्यवस्थाओं के जंजाल से भरे रास्तों पर मार्गदर्शन करने में महती योगदान दिया है। इंडियन एक्सप्रेस में अपनी साप्ताहिक लेखमाला फ्रॉम द रिंगसाइड में श्री सिंह आधारभूत संरचना, केंद्र राज्य संबंध, बीमा क्षेत्र को विदेश एवं निजी निवेश के लिए खोलने, तेल कीमतों और उनके विनिमय, तथा भारत के विषय में विश्व स्तर पर बदल रहे परिप्रेक्ष्यों सहित अनेक विषयों की व्याख्या और समालोचना करते आ रहे हैं। प्रस्तुत पुस्तक, परिवर्तन और राजनीति, एन. के. सिंह की अनुभवी दृष्टि के सहारे पाठक को भारत की राजनीति एवं अर्थव्यवस्था की झलक दिखा रही है, साथ ही साझा सरकारों की राजनीति की वास्तविकताओं और अंतर्राष्ट्रीय विभाजन रेखाओं पर भी एक पैनी दृष्टि डालने का अवसर प्रदान कर रही है। प्रस्तुत विश्लेषण यह स्पष्ट कर देता है कि क्यों कुछ पहलकदमियां तो आर्थिक परिदृश्य को परिवर्तित करने में सफल रही हैं किन्तु किन कारणोंवश अनेक विधेयक, योजनाएं और कार्यक्रम अप्रभावी रह गए या वर्षों के टकराव संघर्ष के बाद भी बुरी तरह से विकृत और विफल हो गए। भले ही उनको बड़े सदाशय के साथ प्रारंभ किया गया था, किन्तु विपक्षी दलों के प्रहारों के कारण उन्हें पूरे मनोयोग से व्यावहारिक रूप देना संभव नहीं रह पाया। यह पुस्तक तीव्र गति से परिवर्तित हो रहे आर्थिक एवं सामाजिक परिवेश के साथ कदम मिलाकर प्रशासन की उपयुक्त व्यवस्था रचने और नवीन संस्थागत संरचनाओं के निर्माण की चुनौतियों की ओर भी ध्यान आकर्षित कर रही है।
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