अतिरिक्त >> तीसरी दुनिया का विज्ञान तीसरी दुनिया का विज्ञानभोजराज द्विवेदी
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तीसरी दुनिया का विज्ञान
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
पुस्तक के बारे में
भविष्य जानने की विविध विधाएं अर्थात् यह इंद्रियातीत ज्ञान का
वह
संसार है जिसका सम्पादन विश्लेषण करना भौतिक विज्ञान की सीमा के बाहर का
विषय है। जहाँ छठीं इन्द्रिय का ज्ञान जाग्रत होता है वहां भौतिक विज्ञान
के सभी उपकरण निस्तेज एवं अर्थहीन हो उठते हो जाते हैं। भविष्य
जानने की जिज्ञासा मानवीय कमजोरी तो कही जा सकती है पर संसार में ऐसा कोई
भी व्यक्ति नहीं है जिसने अपने-अपने ढंग से भविष्य जानने की प्रक्रिया में
हिस्सा न लिया हो। दुनिया की प्रत्येक सभ्यता एवं संस्कृति ने भिविष्य
जानने की प्रक्रिया को जितना विवादस्पद बनाया, उतना ही इसका प्रसार-प्रचार
अनंत गुणित होकर बढ़ता ही चला जाता गया क्योंकि यदि सुनहरे भविष्य की आशा
न होती तो व्यक्ति मृत्यु का आलिंगन श्रेयकर मानता। उसे दूर नींद से उठने
की आवश्यकता ही नहीं रह जाती, अतः भविष्य के बारे में सोचना एवं जानना
जीवन की एक आवश्यक प्रतिक्रिया है जिसके बिना मनुष्य जीवित ही नहीं रह
सकता।
दुनिया में ज्योंतिष ही एक ऐसा विज्ञान है जो दुनिया का विज्ञान कहलाता है, जो भौतिक विज्ञान एवं आध्यात्मिक विज्ञान से कुछ हटकर एक चित्र-विचित्र दुनिया का विज्ञान है संसार की प्रत्येक सभ्यता में ज्योतिष देखने व बताने की भिन्न-भिन्न विधाएँ हैं। इस पुस्तक में संसार भर की उन सभी विधाओं का सुन्दर समाहार सही ढंग हैं। सँजोकर प्रस्तुत किया गया है। इसे सफल भविष्यवक्ता होने का स्वांग कर सकता है। इस पुस्तक को भविष्य जानने की विविध विविध विधाओं का मिनी साइक्लोपीडिया भी कह सकते है। हथेली में सरसों पैदा करने वाली कहावत तो कुछ अतिश्योक्तिपूर्ण हो सकती है परन्तु इस पुस्तक को पढते ही आप की लगभग सभी रहस्यपूर्ण विधाओं के जानकार होकर अपने आपकों अतिविशिष्ट व्यक्तियों की श्रेणी में खड़ा पायेंगे। यह कथन कोई अतिश्योक्ति नहीं है। इसका प्रमाण यह पुस्तक स्वयं है जो इस वक्त आपके कर कमलों में हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विद्वान लेखक पं० भोजराज द्विवेदी देश-विदेश में पत्राचार पाठ्यक्रमों के माध्यम से इन विधाओं का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। अतः इस पुस्तक में भारतीय ज्योतिष ही नहीं अपितु विदेशी शैली के अनेक अनसुलझे रहस्यमय विषयों को अनुभवी एवं विद्वान लेखक में क्रमवार अत्यन्त सरल एवं रोचक शैली में पहली बार प्रश्नोत्तरी के माध्यम से हमारे प्रबुद्ध पाठकों हेतु वैज्ञानिक विश्लेषण के साथ प्रस्तुत किया है। यद्यपि इस पुस्तक में सभी बातों का संक्षिप्त समाधान कर दिया गया है तथापि यदि कोई शंका हो तो आप सीधा लेखक से पत्र-व्यवहार कर सकते हैं।
दुनिया में ज्योंतिष ही एक ऐसा विज्ञान है जो दुनिया का विज्ञान कहलाता है, जो भौतिक विज्ञान एवं आध्यात्मिक विज्ञान से कुछ हटकर एक चित्र-विचित्र दुनिया का विज्ञान है संसार की प्रत्येक सभ्यता में ज्योतिष देखने व बताने की भिन्न-भिन्न विधाएँ हैं। इस पुस्तक में संसार भर की उन सभी विधाओं का सुन्दर समाहार सही ढंग हैं। सँजोकर प्रस्तुत किया गया है। इसे सफल भविष्यवक्ता होने का स्वांग कर सकता है। इस पुस्तक को भविष्य जानने की विविध विविध विधाओं का मिनी साइक्लोपीडिया भी कह सकते है। हथेली में सरसों पैदा करने वाली कहावत तो कुछ अतिश्योक्तिपूर्ण हो सकती है परन्तु इस पुस्तक को पढते ही आप की लगभग सभी रहस्यपूर्ण विधाओं के जानकार होकर अपने आपकों अतिविशिष्ट व्यक्तियों की श्रेणी में खड़ा पायेंगे। यह कथन कोई अतिश्योक्ति नहीं है। इसका प्रमाण यह पुस्तक स्वयं है जो इस वक्त आपके कर कमलों में हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विद्वान लेखक पं० भोजराज द्विवेदी देश-विदेश में पत्राचार पाठ्यक्रमों के माध्यम से इन विधाओं का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। अतः इस पुस्तक में भारतीय ज्योतिष ही नहीं अपितु विदेशी शैली के अनेक अनसुलझे रहस्यमय विषयों को अनुभवी एवं विद्वान लेखक में क्रमवार अत्यन्त सरल एवं रोचक शैली में पहली बार प्रश्नोत्तरी के माध्यम से हमारे प्रबुद्ध पाठकों हेतु वैज्ञानिक विश्लेषण के साथ प्रस्तुत किया है। यद्यपि इस पुस्तक में सभी बातों का संक्षिप्त समाधान कर दिया गया है तथापि यदि कोई शंका हो तो आप सीधा लेखक से पत्र-व्यवहार कर सकते हैं।
प्रकाशक
तीसरी दुनिया का विज्ञान
भविष्य जानने की कितनी विद्याएँ हैं ?
उत्तर-भविष्य जानने की अनेक विधाएँ संसार में भिन्न-भिन्न मान्यताओं के अनुसार प्रचलित हैं। उनमें से कुछ प्रमुख हैं।
1. ज्योंतिष शास्त्र
2. प्रश्न विधा से भविष्य
3. अंक विधा
4. हस्तरेख विज्ञान
5. सामुद्रिक अंक लक्षण
6. रमल शास्त्र, फालनामा
7. मुखाकृति विज्ञान
8. पक्षी शकुन शास्त्र
9. प्राकृतिक शकुनों से भविष्यवाणियाँ
10. ताश के पत्तों से भविष्य
11. हस्ताक्षर विज्ञान
12. क्रिस्टल बाल
13. टैरट कार्ड
14. प्लेन चिट्ट
15. ग्राफेलोजी
16. मृतात्माओं का आवाहन द्वारा
17. स्वप्न विधा
18. आइचिंग सिस्टम
19. फर्नोलोजी
20. सम्मोहन
21. भविष्य देखने का पिरामिट सिस्टम
22. चाय के प्याले में भविष्य
23. ऐन्थ्रोलोजी
24. हाजरात
25. पंचागुली देवी
26. त्राटक द्वारा
27. नाड़ी भविष्य
प्रश्न-भविष्य जानने की उपरोक्त विधाओं में से सबसे प्रामाणिक एवं वैज्ञानिक विधा कौन सी है ?
उत्तर-इन सबमें से अधिक प्रमाणिक एवं वैज्ञानिक विधा ‘‘त्रिस्कन्ध’’ ज्योतिष शास्त्र ही है। उसके बाद ‘‘ऐन्थ्रोलॉजी’’ एवं हस्तरेखाओं को भी वैज्ञानिक मान्यता मिल चुकी है। इसके अतिरिक्त अधिक भविष्य बताने वाली अन्य विधाएँ विज्ञान की अपेक्षा ज्योतिष के कलात्मक पक्ष को अधिक मुखारित करती हैं। देशकाल एवं परिस्थियों के अनुसार किसी विधा की कहीं अधिक मान्यता है, तो किसी विधा की कहीं। प्रस्तुत पुस्तक के माध्यम से हम भविष्य जानने की सर्वाधिक और सर्वत्र प्रामाणिक, ‘‘ज्योतिष विधा’’ पर विशेष रूप से चर्चा करेंगे।
प्रश्न-ज्योतिष शास्त्र द्वारा भविष्य कैसे जाना जाता है ?
उत्तर-ज्योतिष शास्त्र के मोटेतौर पर दो भाग हैं- गणित एवं फलित। ‘‘गणित ज्योतिष द्वारा आकाशीय ग्रह-नक्षत्रों की गणना करके जन्म कुण्डली पर विस्तार से फलादेश किया जाता है। जिससे भूत-भविष्य एवं वर्तमान आदि तीनों कालों की घटनाओं का पता चलता है। भृगु-संहिता, वारद संहिता, सूर्य संहिता वरुण संहिता, वाराही संहिता, जातक दीपक, जातकालंकार, चमत्कार चिन्तामणि फल दीपिका, मानसागरी आदि ऐसे ही प्रसिद्ध जाकत ग्रन्थ हैं जिनके माध्यम से जातक के भूत –भविष्य-वर्तमान की सभी घटनाओं का पता चलता है।
प्रश्न- भृगु संहिता क्या है ? क्या इसमें संसार के सभी प्राणियों का भविष्य लिखा है ? असली भृगु संहिता उपलब्ध है ?
उत्तर- भृगु संहिता महर्षि भृगु द्वारा लिखा गया एक अनुपम विशाल ज्योतिष ग्रन्थ है। असली भृगु संहिता सम्भवता उपलब्ध नहीं है। भृगु संहिता के बिना प्रायः सभी की प्रामाणिकता संदिग्ध है। दरअसल सभी भृगु संहिता के नाम से कमा रहे हैं। भृगु संहिता के निर्माण के पीछे एक बहुत रहस्यपूर्ण कथा है। उपलब्ध प्रमाणों एवं जनश्रुतिय़ों के अनुसार एक बार महर्षि भृगु ने विश्राम करते हुए भगवान विष्णु के सीने पर जोर से लात मार दी। वास्तव में महर्षि भृगु भगवान विष्णु की सहनशीलता व धैर्य की परीक्षा चाहते थे। भगवान विष्णु ने आगे बढ़कर महर्षि के चरणों में स्पर्श करते हुए कहा- ‘‘हे तपोनिष्ठ महर्षि ! आपने अकारण कष्ट क्यों किया। हे मुनिराज ! मेरी छाती दैत्य-दावनों के नित्य संघर्ष व युद्ध के कारण वज्र सी कठोर है। आपके चरण कमल नाजुक हैं अतः जो कष्ट आपको हुआ उसके लिये मैं हृदय से क्षमा चाहता हूँ। ऋषिराज ! आप किस कारण से पधारे वह सब कहिये और किंचित आपकी सेवा का अवसर देकर अनुग्रहीत कीजिये।’’ महर्षि भृगु विष्णु की विनम्रता देखकर गदगद हो गये।
भगवती लक्ष्मी उस समय त्रिभुवन जयी भगवान विष्णु की चरण सेवा कर रही थीं, वह इस रहस्य को नहीं समझ पाईं। महर्षि पर लक्ष्मी तुरन्त अप्रसन्न हो गईं और उन्होंने श्राप दिया कि ‘‘पत्नी की उपस्थिति में पति का तिरस्कार किया है इसलिये आज से मैं तुम्हारा घर त्याग करती हूँ। तुम्हारा ही नहीं मैं ब्राह्मण मात्र के घर का त्याग करती हूँ। मैं कभी भी तुम्हारे यहां स्थाई रूप से नहीं रहूँगी तुम लोग सदा ही ‘‘मेरी उपासना करते रहोगे तथा मेरी प्राप्ति के लिये तरसते रहोगे।’’
भगवती लक्ष्मी के इन कथनों को सुनकर तपोनिष्ठ भृगु ने कहा-‘‘हे लक्ष्मी तू तो जन्म से ही चंचला है। हमें तुम्हारी कामना भी नहीं है, इसलिये तुम्हारा यह अहंकार वृथा है। भगवान विष्णु सर्व सामर्थवान हैं, तीनों लोकों के स्वामी हैं, तुम्हारे भी स्वामी हैं, उन्हों ने तो हमें कुछ नहीं दिया, पर तुम्हारे द्वारा इस तरह से बोलना अनुचित है। अतः मैं मरने से पूर्व एक ऐसे दिव्य ग्रन्थ की रचना करूंगा जिसको पढ़ने पर ब्राह्मण का कोई भी बालक निर्धन नहीं रहेगा। तू ब्रह्मणों के चरणों में लोटेगी फिर ब्रह्मण तेरा ज्यादा मान नहीं करेंगे।
उत्तर-भविष्य जानने की अनेक विधाएँ संसार में भिन्न-भिन्न मान्यताओं के अनुसार प्रचलित हैं। उनमें से कुछ प्रमुख हैं।
1. ज्योंतिष शास्त्र
2. प्रश्न विधा से भविष्य
3. अंक विधा
4. हस्तरेख विज्ञान
5. सामुद्रिक अंक लक्षण
6. रमल शास्त्र, फालनामा
7. मुखाकृति विज्ञान
8. पक्षी शकुन शास्त्र
9. प्राकृतिक शकुनों से भविष्यवाणियाँ
10. ताश के पत्तों से भविष्य
11. हस्ताक्षर विज्ञान
12. क्रिस्टल बाल
13. टैरट कार्ड
14. प्लेन चिट्ट
15. ग्राफेलोजी
16. मृतात्माओं का आवाहन द्वारा
17. स्वप्न विधा
18. आइचिंग सिस्टम
19. फर्नोलोजी
20. सम्मोहन
21. भविष्य देखने का पिरामिट सिस्टम
22. चाय के प्याले में भविष्य
23. ऐन्थ्रोलोजी
24. हाजरात
25. पंचागुली देवी
26. त्राटक द्वारा
27. नाड़ी भविष्य
प्रश्न-भविष्य जानने की उपरोक्त विधाओं में से सबसे प्रामाणिक एवं वैज्ञानिक विधा कौन सी है ?
उत्तर-इन सबमें से अधिक प्रमाणिक एवं वैज्ञानिक विधा ‘‘त्रिस्कन्ध’’ ज्योतिष शास्त्र ही है। उसके बाद ‘‘ऐन्थ्रोलॉजी’’ एवं हस्तरेखाओं को भी वैज्ञानिक मान्यता मिल चुकी है। इसके अतिरिक्त अधिक भविष्य बताने वाली अन्य विधाएँ विज्ञान की अपेक्षा ज्योतिष के कलात्मक पक्ष को अधिक मुखारित करती हैं। देशकाल एवं परिस्थियों के अनुसार किसी विधा की कहीं अधिक मान्यता है, तो किसी विधा की कहीं। प्रस्तुत पुस्तक के माध्यम से हम भविष्य जानने की सर्वाधिक और सर्वत्र प्रामाणिक, ‘‘ज्योतिष विधा’’ पर विशेष रूप से चर्चा करेंगे।
प्रश्न-ज्योतिष शास्त्र द्वारा भविष्य कैसे जाना जाता है ?
उत्तर-ज्योतिष शास्त्र के मोटेतौर पर दो भाग हैं- गणित एवं फलित। ‘‘गणित ज्योतिष द्वारा आकाशीय ग्रह-नक्षत्रों की गणना करके जन्म कुण्डली पर विस्तार से फलादेश किया जाता है। जिससे भूत-भविष्य एवं वर्तमान आदि तीनों कालों की घटनाओं का पता चलता है। भृगु-संहिता, वारद संहिता, सूर्य संहिता वरुण संहिता, वाराही संहिता, जातक दीपक, जातकालंकार, चमत्कार चिन्तामणि फल दीपिका, मानसागरी आदि ऐसे ही प्रसिद्ध जाकत ग्रन्थ हैं जिनके माध्यम से जातक के भूत –भविष्य-वर्तमान की सभी घटनाओं का पता चलता है।
प्रश्न- भृगु संहिता क्या है ? क्या इसमें संसार के सभी प्राणियों का भविष्य लिखा है ? असली भृगु संहिता उपलब्ध है ?
उत्तर- भृगु संहिता महर्षि भृगु द्वारा लिखा गया एक अनुपम विशाल ज्योतिष ग्रन्थ है। असली भृगु संहिता सम्भवता उपलब्ध नहीं है। भृगु संहिता के बिना प्रायः सभी की प्रामाणिकता संदिग्ध है। दरअसल सभी भृगु संहिता के नाम से कमा रहे हैं। भृगु संहिता के निर्माण के पीछे एक बहुत रहस्यपूर्ण कथा है। उपलब्ध प्रमाणों एवं जनश्रुतिय़ों के अनुसार एक बार महर्षि भृगु ने विश्राम करते हुए भगवान विष्णु के सीने पर जोर से लात मार दी। वास्तव में महर्षि भृगु भगवान विष्णु की सहनशीलता व धैर्य की परीक्षा चाहते थे। भगवान विष्णु ने आगे बढ़कर महर्षि के चरणों में स्पर्श करते हुए कहा- ‘‘हे तपोनिष्ठ महर्षि ! आपने अकारण कष्ट क्यों किया। हे मुनिराज ! मेरी छाती दैत्य-दावनों के नित्य संघर्ष व युद्ध के कारण वज्र सी कठोर है। आपके चरण कमल नाजुक हैं अतः जो कष्ट आपको हुआ उसके लिये मैं हृदय से क्षमा चाहता हूँ। ऋषिराज ! आप किस कारण से पधारे वह सब कहिये और किंचित आपकी सेवा का अवसर देकर अनुग्रहीत कीजिये।’’ महर्षि भृगु विष्णु की विनम्रता देखकर गदगद हो गये।
भगवती लक्ष्मी उस समय त्रिभुवन जयी भगवान विष्णु की चरण सेवा कर रही थीं, वह इस रहस्य को नहीं समझ पाईं। महर्षि पर लक्ष्मी तुरन्त अप्रसन्न हो गईं और उन्होंने श्राप दिया कि ‘‘पत्नी की उपस्थिति में पति का तिरस्कार किया है इसलिये आज से मैं तुम्हारा घर त्याग करती हूँ। तुम्हारा ही नहीं मैं ब्राह्मण मात्र के घर का त्याग करती हूँ। मैं कभी भी तुम्हारे यहां स्थाई रूप से नहीं रहूँगी तुम लोग सदा ही ‘‘मेरी उपासना करते रहोगे तथा मेरी प्राप्ति के लिये तरसते रहोगे।’’
भगवती लक्ष्मी के इन कथनों को सुनकर तपोनिष्ठ भृगु ने कहा-‘‘हे लक्ष्मी तू तो जन्म से ही चंचला है। हमें तुम्हारी कामना भी नहीं है, इसलिये तुम्हारा यह अहंकार वृथा है। भगवान विष्णु सर्व सामर्थवान हैं, तीनों लोकों के स्वामी हैं, तुम्हारे भी स्वामी हैं, उन्हों ने तो हमें कुछ नहीं दिया, पर तुम्हारे द्वारा इस तरह से बोलना अनुचित है। अतः मैं मरने से पूर्व एक ऐसे दिव्य ग्रन्थ की रचना करूंगा जिसको पढ़ने पर ब्राह्मण का कोई भी बालक निर्धन नहीं रहेगा। तू ब्रह्मणों के चरणों में लोटेगी फिर ब्रह्मण तेरा ज्यादा मान नहीं करेंगे।
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- पुस्तक के बारे में
- भविष्य जानने की कितनी विधाएँ हैं?
- भविष्य जानने की उपरोक्त विधाओं में से सबसे प्रामाणिक एवं वैज्ञानिक विधा कौन-सी है?
- ज्योतिषशास्त्र द्वारा भविष्य कैसे जाना जाता है?
- भृगु संहिता क्या है? क्या इसमें संसार के सभी प्राणियों का भविष्य लिखा है? क्या भृगु संहिता उपलब्ध है?
- प्रश्न विधा क्या है? इससे भविष्य कैसे जाना जा सकता है?
- मूक प्रश्न किसे कहते हैं?
- मूक प्रश्न का उत्तर कैसे दें?
- अंक विधा क्या है? इससे भविष्य कैसे जाना जाता है?
- अंकों के माध्यम से नष्ट या खोई हुई वस्तु का पता कैसे लगाया जा सकता है?
- हस्तरेखा विज्ञान से भविष्य कैसे जाना जा सकता है?
- सामुद्रिक अंग लक्षण किसे कहते हैं? इसमें भविष्य कथन कैसे ज्ञात होता है?
- रमलशास्त्र क्या है? इससे भविष्य कैसे जाना जाता है?
- मुखाकृति विज्ञान किसे कहते हैं?
- पक्षी शकुनशास्त्र क्या होता है? इससे विषय कैसे जाना जाता है?
- मेटोपोस्कॉपी क्या होती है?
- मोलियोस्कॉपी क्या है? इससे भविष्य कैसे जाना जाता है?
- प्राकृतिक शकुनों से भविष्यवाणियाँ कैसे होती हैं?
- 'कारटोमेन्सी' क्या है एवं ताश के पत्तों से भविष्य कैसे जाना जाता है?
- ग्रेफोलोजी किसे कहते हैं? यह क्या होती है?
- हस्ताक्षर विज्ञान क्या है? इससे क्या पता चल सकता है?
- क्रिस्टल बॉल क्या होती है? इससे भविष्य का पता कैसे चलता है?
- त्राटक क्या है? इससे दिव्य शक्ति कैसे प्राप्त होती है?
- टेरोट कार्ड क्या है? इससे भविष्य कैसे देखा जाता है?
- प्लेनचिट क्या है? प्लेनचिट द्वारा आत्माओं का आह्वान कैसे किया जाता है?
- मृतात्माओं से भविष्य कैसे जाना जाता है?
- स्वप्न विधा क्या है? इससे भविष्य कैसे जाना जा सकता है?
- आइचिंग सिस्टम क्या है?
- फ्रेनोलॉजी क्या है? इससे भविष्य कैसे जाना जाता है?
- सम्मोहन क्या है? इसमें भविष्य कैसे जाना जाता है?
- सम्मोहन कैसे करें एवं इसके कितने चरण होते हैं? विधिपूर्वक समझाइये।
- सम्मोहनकर्ता के लिये आवश्यक चेतावनियाँ क्या हैं?
- भविष्य बताने की त्रिकोणीय पद्धति क्या है?
- टॉसिओग्राफी क्या है? यह कैसे होती है?
- हाजरात विद्या क्या है व कैसे होती है?
- कर्ण पिशाचिनी क्या है? इससे भविष्य कैसे जाना जाता है?
- ऐन्थ्रोलोजी किसे कहते हैं? हस्तरेखा एवं ऐन्थ्रोलोजी में क्या अन्तर है?
- पंचागुली देवी क्या है? इससे भविष्य कैसे जाना जाता है?
- नाड़ीशास्त्र क्या है? इस विधा से भविष्य कैसे ज्ञात कर सकते हैं?
- आस्था चिकित्सा क्या है? इससे अशुभ निवारण (विशेषतः रुद्राक्ष, रत्न तथा वास्तु आदि के सहयोग से) किस प्रकार किया जा सकता है?
अनुक्रम
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