अतिरिक्त >> फेंग शुई फेंग शुईराजीव अग्रवाल रूबी अग्रवाल
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फेंग शुई एक चीनी विज्ञान या विधा है। इस पुस्तक में फेंग शुई से संबंधित कार्य प्रणालियों एवं पद्धतियों को सरल सुझावों के रूप में वर्णित किया गया है।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
फेंग शुई एक चीनी विज्ञान या विधा है। इस पुस्तक में फेंग शुई से संबंधित
कार्य प्रणालियों एवं पद्धतियों को सरल सुझावों के रूप में वर्णित किया
गया है।
जैसे-
• मुख्य द्वार के सामने कोई अवरोध नहीं होना चाहिये।
• अपने घर या ऑफिस में नेम-प्लेट जरूर लगाकर रखें जिससे सम्भावनाएँ आपके घर का रास्ता आसानी से ढूँढ़ लें।
• आप स्वस्थ रहना चाहते हैं तो अपने रसोईघर से दवाइयाँ आदि हटाकर अपनी बैठक में रखिये।
• कभी भी शयनकक्ष में विण्ड चाइम न लगायें।
• दर्पण को हमेशा स्वच्छ रखें। वरना उसका प्रभाव कम हो जाता है।
• बीम के नीचे आपके बैठने का स्थान नहीं होना चाहिये जिससे अनचाहा मानसिक दबाव बना रहता है।
• भवन के मुख्य द्वार पर बाहर की ओर मांगलिक चिन्ह, जैसे-ऊँ, गणपति, मंगल कलश, स्वास्तिक आदि अवश्य लगायें।
जैसे-
• मुख्य द्वार के सामने कोई अवरोध नहीं होना चाहिये।
• अपने घर या ऑफिस में नेम-प्लेट जरूर लगाकर रखें जिससे सम्भावनाएँ आपके घर का रास्ता आसानी से ढूँढ़ लें।
• आप स्वस्थ रहना चाहते हैं तो अपने रसोईघर से दवाइयाँ आदि हटाकर अपनी बैठक में रखिये।
• कभी भी शयनकक्ष में विण्ड चाइम न लगायें।
• दर्पण को हमेशा स्वच्छ रखें। वरना उसका प्रभाव कम हो जाता है।
• बीम के नीचे आपके बैठने का स्थान नहीं होना चाहिये जिससे अनचाहा मानसिक दबाव बना रहता है।
• भवन के मुख्य द्वार पर बाहर की ओर मांगलिक चिन्ह, जैसे-ऊँ, गणपति, मंगल कलश, स्वास्तिक आदि अवश्य लगायें।
दो शब्द
फेंग शुई का ज्ञाता होने के कारण काफी समय से यह विचार बन रहा था कि फेंग
शुई पर एक ऐसी पुस्तक की रचना की जाये जिसके अध्ययन से साधारण व्यक्ति
अपनी सम्पत्ति, स्वास्थ्य, पारिवारिक सम्बन्धों तथा जीवन के अन्य पहलुओं
के लिए स्वयं अपनी मदद करने के लिए प्रयत्न कर सके।
प्रस्तुत पुस्तक में फेंग शुई से संबंधित कार्य प्रणालियाँ एवं पद्धतियों को बिल्कुल सरल एवं छोटे सुझावों के रूप में वर्णित किया गया है ताकि सामान्य व्यक्ति को इन्हें अपनाने में कोई दिक्कत न हो। पुस्तक के अन्त में ‘‘फेंग शुई टोटके’’ के अन्तर्गत संक्षिप्त में ‘‘फेंग शुई’’ उपाय भी दिये हैं।
इस पुस्तक की रचना में मेरी पत्नी ने काफी सहयोग किया है। उनका इस पुस्तक की सह लेखिका होना ही इस बात को दर्शाता है कि फेंग शुई के बारे में उनका ज्ञान मुझसे कुछ कम नहीं है।
अन्त में मैं यहीं कहूँगा कि इस पुस्तक से पाठक अवश्य लाभान्वित होंगे और अपनी समस्याओं का समाधान करने में सफल होंगे।
प्रस्तुत पुस्तक में फेंग शुई से संबंधित कार्य प्रणालियाँ एवं पद्धतियों को बिल्कुल सरल एवं छोटे सुझावों के रूप में वर्णित किया गया है ताकि सामान्य व्यक्ति को इन्हें अपनाने में कोई दिक्कत न हो। पुस्तक के अन्त में ‘‘फेंग शुई टोटके’’ के अन्तर्गत संक्षिप्त में ‘‘फेंग शुई’’ उपाय भी दिये हैं।
इस पुस्तक की रचना में मेरी पत्नी ने काफी सहयोग किया है। उनका इस पुस्तक की सह लेखिका होना ही इस बात को दर्शाता है कि फेंग शुई के बारे में उनका ज्ञान मुझसे कुछ कम नहीं है।
अन्त में मैं यहीं कहूँगा कि इस पुस्तक से पाठक अवश्य लाभान्वित होंगे और अपनी समस्याओं का समाधान करने में सफल होंगे।
राजीव अग्रवाल
फेंग शुई एक चीनी विज्ञान
फेंग शुई एक चीनी विज्ञान या विधा है। इसका
अर्थ है-
‘‘वायु
तथा जल’’। इसकी शुरुआत कब हुई, यह कोई नहीं जानता
परन्तु एक
किंवदन्ती के अनुसार लगभग पाँच हजार वर्ष पूर्व शिया का बू और उनके आदमी
सिंचाई के लिए पीली नदी में खुदाई का कार्य कर रहे थे। खुदाई के दौरान
विशालकाय कछुआ निकला जिसकी पीठ पर एक चमत्कारी वर्ग बना था। चीन में तब यह
मान्यता थी कि कछुए की खोपड़ी के अन्दर देवता का वास होता है इसलिए कछुए
का अचानक निकलना शुभ संकेत माना गया।
इस वर्ग की प्रत्येक पंक्ति चाहे आड़ी हो या तिरछी- का कुल योग पन्द्रह आता है। चीनी विद्वानों ने इस पर विचार विमर्श किया और इस प्रक्रिया में न केवल फेंग शुई के मूल सिद्धान्त उनके मस्तिष्क में उभरकर आये बल्कि आई-चिंग, चीनी अंकशास्त्र तथा ज्योतिष शास्त्र की भी शुरूआत हुई। यही चमत्कारी वर्ग बाद में आठ दिशाओं वाला पाकुआ की आकृति बन गया।
इसलिए फेंग शुई की दृष्टि से आठ कोणों वाली आकृति शुभ मानी गई है। इसके अन्तर्गत सम्पूर्णता की दृष्टि से दिखाएँ दर्शाई गई हैं और आठों दिशाओं को अलग-अलग क्षेत्रों में बाँट दिया गया है।
अपने घर या ऑफिस में इस वर्ग के इस्तेमाल के लिए आपको बिल्डिंग के प्रमुख प्रवेश द्वार की दिशा दिशासूचक यन्त्र (कम्पास) से ज्ञात करनी होगी। अपने घर या ऑफिस के नक्शे पर पाकुआ की आकृति रखकर उसका अर्थ समझना होगा।
इस वर्ग की प्रत्येक पंक्ति चाहे आड़ी हो या तिरछी- का कुल योग पन्द्रह आता है। चीनी विद्वानों ने इस पर विचार विमर्श किया और इस प्रक्रिया में न केवल फेंग शुई के मूल सिद्धान्त उनके मस्तिष्क में उभरकर आये बल्कि आई-चिंग, चीनी अंकशास्त्र तथा ज्योतिष शास्त्र की भी शुरूआत हुई। यही चमत्कारी वर्ग बाद में आठ दिशाओं वाला पाकुआ की आकृति बन गया।
इसलिए फेंग शुई की दृष्टि से आठ कोणों वाली आकृति शुभ मानी गई है। इसके अन्तर्गत सम्पूर्णता की दृष्टि से दिखाएँ दर्शाई गई हैं और आठों दिशाओं को अलग-अलग क्षेत्रों में बाँट दिया गया है।
अपने घर या ऑफिस में इस वर्ग के इस्तेमाल के लिए आपको बिल्डिंग के प्रमुख प्रवेश द्वार की दिशा दिशासूचक यन्त्र (कम्पास) से ज्ञात करनी होगी। अपने घर या ऑफिस के नक्शे पर पाकुआ की आकृति रखकर उसका अर्थ समझना होगा।
2
अपनी शुभ दिशा जानिए
फेंग शुई जानने के लिए सबसे पहले आपको अपनी शुभ दिशा ज्ञात करनी होगी।
कुछ नम्बर तथा भाग्यांक
अपनी शुभ दिशा जानने के लिए आपको अपना कुआ
नम्बर
ज्ञात करना होगा। अगर
आपका जन्म 1 जनवरी से 20 फरवरी के मध्य हुआ है तो आप को यह देखना होगा कि
आपको जन्म के वर्ष में लूनर नव वर्ष (चन्द्र वर्ष ) किस दिन से आरम्भ हुआ
था।
अगर आप नववर्ष से पहले पैदा हुए हैं तो आप अपने जन्म के वर्ष में से एक अंक घटा दें। जैसे अगर आपका जन्म 29 जनवरी, 1965 को हुआ है तो आप अपना जन्म का वर्ष 1964 (1965-1) मान लें क्योंकि उस साल चन्द्र वर्ष 2 फरवरी से शुरू हुआ था।
अब अपने जन्म के वर्ष की आखिरी दो संख्या यानि 65=6+5 जोड़ें। 6+5 जोड़कर 11 (ग्यारह) हुआ। पुन: जोड़ने पर कुल योग 1+1=2 हुआ। अगर आप पुरुष है तो आप 10 में से अपना आया हुआ नम्बर जैसे कि यह 2 अंक घटा दें। 10-2=8 ये आठ आपका कुआ नम्बर हुआ।
अगर आप स्त्री हैं तो आप अपने नम्बर में 5 जोड़ दें। जैसे कि 5+7 तो आपका कुआ नम्बर 7 है। इसका मतलब यह है कि 1965 में 29 जनवरी को जन्म लेने वाले पुरुष का कुआ नम्बर 8 है और स्त्री का कुआ नम्बर 7 है। इस कुआ नम्बर से आप अपनी शुभ दिशा ज्ञात कर सकते हैं और यह पता कर सकते हैं कि आप पूर्व ग्रुप मनुष्य हैं य़ा पश्चिम ग्रुप मनुष्य ।
आपका आपकी पूर्व ग्रुप या
कुआ शुभ दिशाएँ पश्चिम ग्रुप मनुष्य
नम्बर
1. दक्षिण-पूर्व, पूर्व, पूर्व
दक्षिण, उत्तर
2. उत्तर-पूर्व, पश्चिम, पश्चिम
उत्तर-पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम
3. दक्षिण, उत्तर, पूर्व
दक्षिण-पूर्व, पूर्व
4. उत्तर, दक्षिण, पूर्व
पूर्व, दक्षिण-पूर्व
5. उत्तर-पूर्व, पश्चिम, पश्चिम
उत्तर-पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम
6. पश्चिम, उत्तर-पूर्व, पश्चिम
दक्षिण-पश्चिम, उत्तर-पश्चिम
7. उत्तर-पश्चिम, पश्चिम
दक्षिण-पश्चिम, उत्तर-पूर्व, पश्चिम
8. दक्षिण-पश्चिम, पश्चिम
उत्तर-पश्चिम, पश्चिम, उत्तर-पू र्व
9. पूर्व, दक्षिण-पूर्व, पूर्व
उत्तर, दक्षिण
पूर्व ग्रुप मनुष्य पश्चिम ग्रुप मनुष्य के लिए शुभ नहीं है।
अगर आप नववर्ष से पहले पैदा हुए हैं तो आप अपने जन्म के वर्ष में से एक अंक घटा दें। जैसे अगर आपका जन्म 29 जनवरी, 1965 को हुआ है तो आप अपना जन्म का वर्ष 1964 (1965-1) मान लें क्योंकि उस साल चन्द्र वर्ष 2 फरवरी से शुरू हुआ था।
अब अपने जन्म के वर्ष की आखिरी दो संख्या यानि 65=6+5 जोड़ें। 6+5 जोड़कर 11 (ग्यारह) हुआ। पुन: जोड़ने पर कुल योग 1+1=2 हुआ। अगर आप पुरुष है तो आप 10 में से अपना आया हुआ नम्बर जैसे कि यह 2 अंक घटा दें। 10-2=8 ये आठ आपका कुआ नम्बर हुआ।
अगर आप स्त्री हैं तो आप अपने नम्बर में 5 जोड़ दें। जैसे कि 5+7 तो आपका कुआ नम्बर 7 है। इसका मतलब यह है कि 1965 में 29 जनवरी को जन्म लेने वाले पुरुष का कुआ नम्बर 8 है और स्त्री का कुआ नम्बर 7 है। इस कुआ नम्बर से आप अपनी शुभ दिशा ज्ञात कर सकते हैं और यह पता कर सकते हैं कि आप पूर्व ग्रुप मनुष्य हैं य़ा पश्चिम ग्रुप मनुष्य ।
आपका आपकी पूर्व ग्रुप या
कुआ शुभ दिशाएँ पश्चिम ग्रुप मनुष्य
नम्बर
1. दक्षिण-पूर्व, पूर्व, पूर्व
दक्षिण, उत्तर
2. उत्तर-पूर्व, पश्चिम, पश्चिम
उत्तर-पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम
3. दक्षिण, उत्तर, पूर्व
दक्षिण-पूर्व, पूर्व
4. उत्तर, दक्षिण, पूर्व
पूर्व, दक्षिण-पूर्व
5. उत्तर-पूर्व, पश्चिम, पश्चिम
उत्तर-पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम
6. पश्चिम, उत्तर-पूर्व, पश्चिम
दक्षिण-पश्चिम, उत्तर-पश्चिम
7. उत्तर-पश्चिम, पश्चिम
दक्षिण-पश्चिम, उत्तर-पूर्व, पश्चिम
8. दक्षिण-पश्चिम, पश्चिम
उत्तर-पश्चिम, पश्चिम, उत्तर-पू र्व
9. पूर्व, दक्षिण-पूर्व, पूर्व
उत्तर, दक्षिण
पूर्व ग्रुप मनुष्य पश्चिम ग्रुप मनुष्य के लिए शुभ नहीं है।
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लोगों की राय
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