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ईजी सक्सैस

राजीव अग्रवाल

प्रकाशक : भगवती पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :76
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6271
आईएसबीएन :81-7775-022-4

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यह पुस्तक उन असफल व्यक्तियों के लिए है, जो अपनी जिन्दगी में एक नई क्रान्ति लाना चाहते हैं, जिसे सफलता कहते हैं।

Easy Success A Hindi Book by Rajeev Agarwal

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

अपनों से अपनी बात


‘‘फेंग शुई’’ और लिखावट से व्यक्तित्व जानिए’’ पुस्तकों के क्रम में मेरी यह नवीन रचना आपके सामने है।
यह पुस्तक उन असफल व्यक्तियों के लिए है, जो अपनी जिन्दगी में एक नई क्रान्ति लाना चाहते हैं, जिसे सफलता कहते हैं।
यह पुस्तक उन सफल व्यक्तियों के लिए है जो और भी ऊँची और उत्तम सफलता के इंतजार में खड़े हैं। यह पुस्तक आपको हर कदम पर सफलता का सपना देखने से लेकर उन सपनों को पूरा करने के लिए अचूक नुस्खों से लबालब एक खुशहाल और कामयाब जिन्दगी का खाका खींचने में भरपूर सहायता करती है।
पुस्तक के प्रत्येक नुस्खे को धीरे-धीरे समझते हुए गम्भीरता से मनन करे और अपने खास दोस्तों से चर्चा करें, जो आपकी खूबियों और खामियों से अच्छी तरह वाकिफ हों। उनकी बेबाक राय आपके लिए काफी मददगार साबित होगी।
इस पुस्तक को लिखने में मेरे अपनों ने जो सहयोग मुझे दिया है, सराहनीय है।
मैं आभारी हूँ भाई समान राजदीपक मिश्रा का जिन्होने मुझसे पुरजोर स्वर में हाल ही में कहा कि ‘‘भाई अब आपको लिखना है और लिखते ही जाना है’’।
मैं पाठकों का भी आभारी हूँ कि उन्होंने मेरे पुस्तकों को बेहद पसन्द किया। मुझे विश्वास है कि पूर्व की भाँति ही वे इस पुस्तक को भी अपनायेंगे।
पुस्तक के सम्बन्ध में आपके विचार एवं सुझाव का मुझे हमेशा ही इंतजार रहेगा।

राजीव

1
आत्मविश्वास : सफलता की कुंजी


जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए आत्मविश्वास होना बहुत जरूरी है। आत्मविश्वासी होने का मतलब यह नहीं है कि आप घमण्डी हो जायें जिसके फलस्वरूप सफलता प्राप्त होने के बजाय हमारे हाथों से निकल जाये।
आत्मविश्वासी अपने नम्र स्वभाव को नहीं भूलता क्योंकि नम्रता ने ही उसे सफलता की ओर बढ़ाया है, लेकिन घमण्डी कभी भी नम्र नहीं बन सकता।
आत्मविश्वासी हमेशा सब की बातें (विचार) बड़ी नम्रता से सुनता है और फिर उन पर विचार भी करता है जो उसके आत्मविश्वास को और बल देती हैं। वह हमेशा नई बातें जानने को उत्सुक रहता है, लोगों से हिल-मिलकर रहना चाहता है, प्यार बाँटना चाहता है और प्यार चाहता भी है।
आत्मविश्वासी समाज में सभी के साथ अपने सम्बन्ध मधुर रखता है और सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता है।
 आत्मविश्वास बढ़ाने की नीति यह है कि तुम वह काम करो जिसे तुम करते हुए डरते हो, इस प्रकार ज्यों-ज्यों तुम्हें सफलता मिलती जायेगी तुम्हारा आत्म-विश्वास बढ़ता जायेगा।
आत्मविश्वास से लबालब होने के कारण वह प्रत्येक कार्य बड़े विश्वास से करता है और इसके फलस्वरूप शीघ्र ही सफलता आपकी पॉकेट में।
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आत्मविश्वास की कमी ही हमारी बहुत सी असफलताओं का कारण है। शक्ति में विश्वास ही शक्ति है। वह सबसे कमजोर है, चाहे वह कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो, जिसे अपने आप तथा अपनी शक्ति पर विश्वास नहीं है।

2
स्पष्ट सोच जरूरी


सफलता प्राप्त करने के लिए आपकी सोच स्पष्ट होनी चाहिए, जिसके लिए निम्न बिन्दुओं को ध्यान में रखना आवश्यक है—
 किसी भी विषय के सम्बन्ध में जो भी जानकारी या तथ्य मिलें, उनको गलत, सही या अपर्याप्त न मानें। सलाह-मशविरा कर सही निर्णय पर पहुँचें, जो सिर्फ आपका हो, फिर भी मन में यदि कोई शंका है तो उसे स्वीकार न करें, बल्कि इन्कार ही करें, यानि आपका सन्तुष्ट होना जरूरी है।
 कोई भी निर्णय करने में शीघ्रता न करें। अक्सर ऐसा होता है कि जरूरी फैसला अधिक समय तक टाला नहीं जाता, परन्तु सोच स्पष्ट होना जरूरी है। अतः उसे नुकसान न होने तक टालें। हर सम्भव प्रयत्न करें कि आपको अपना निर्णय लेने में एक रात का वक्त मिल जाये, क्योंकि ठण्डे दिमाग एवं आराम की अवस्था में हमें निर्णय लेने में बहुत सहायता मिलती है।
 सबके प्रति एक ही विचारधारा या मानसिकता न बनायें; जैसे—राजनीतिज्ञ सभी भ्रष्टाचारी होते हैं, उन्हें पैसे से खरीदा जा सकता है, पुलिस विभाग बहुत ही भ्रष्ट विभाग है, औरत की आजादी यानी प्रतिष्ठा की धज्जियाँ उड़ाना आदि। सभी व्यक्ति एक जैसे नहीं होते, अतः सबके प्रति एक सी मानसिकता बना लेना या अपने किसी पूर्वाग्रह को ही सत्य मान लेना ठीक नहीं है। ऐसी सोच से सफलता हासिल नहीं होगी। स्पष्ट सोच होने पर उचित निर्णय ले सकेंगे और फिर जल्द ही सफलता आपकी पॉकेट में।
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कहने से या सोचने से कुछ भी काम नहीं चलता, काम चलता है करने से।

3
अपने आपको पहचानें


ज्यादातर लोग अपनी क्षमताओं को नहीं जानते हैं और न ही जानने का प्रयत्न करते हैं। मेरा-मेरा की दौड़ में वे सारी जिन्दगी व्यर्थ कर देते हैं।
 जीवन में सफल होने के लिए आपको अधिकार और क्षमता के अन्तर का ज्ञान होना बहुत जरूरी है। आप ज्यादातर अपने अधिकारों के लिए लड़ते रहते हैं, जिसके फलस्वरूप आप इस लड़ाई में अपनी क्षमता को आँकना भूल जाते हैं। आपको पता ही नहीं होता कि आप क्या खो रहे हैं।
उदाहरण के तौर पर आपके परम मित्र ने आपसे स्कूटर उधार लिया था और फिर वापिस नहीं दिया। अब आप अपना स्कूटर वापस लेने के लिए उससे लड़े जा रहे हैं, जबकि आपके पास क्षमता है हवाई जहाज में उड़ने की, परन्तु अधिकार की होड़ में आप अपना समय बरबाद कर रहे हैं और स्कूटर के लिए लड़े जा रहे हैं। नहीं मिलता स्कूटर न सही, आप हवाई जहाज में बैठें और उड़ें। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आप अपनी क्षमता और अधिकार को अलग-अलग समझने का प्रयत्न करें। अधिकार को तो हम जता सकते हैं, परन्तु क्षमता एकदम से नहीं जानी जाती।
यदि अधिकार के लिए लड़ते रहेंगे तो अपनी क्षमता कब पहचानेंगे। अधिकार से पहले अपनी क्षमता को जानना बहुत जरूरी है। यदि आप सही समय पर अपनी क्षमता का आँकलन कर लें तो फिर क्या कहना। क्षमता को पहचानकर हम सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँच सकते हैं और यही हमारी मंजिल है। और फिर जल्द ही सफलता आपकी पॉकेट में।
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जो सहता है, वही जीतता है।

4
निर्णय तो लेना ही होगा।


ज्यादातर लोग कार्य प्रारम्भ करने का निर्णय तो ले लेते हैं, परन्तु कार्य कब शुरू करें यह तय नहीं कर पाते और कार्य शुरू नहीं हो पाता है। वास्तव में आप कार्य प्रारम्भ करने की  हिम्मत नहीं जुटा पा रहे है और कहीं न कहीं डर रहे है कि कार्य शुरू कर दिया और नहीं हुआ तो फजीहत होगी। आपने योजना पर भलीभाँति सोच-विचार कर लिया है, लेकिन बस बात सोच-विचार तक ही रहती है। ‘स्टार्ट’ नहीं ले पाते हैं। इसके पीछे यही बहाना चलता रहता है कि अभी पूर्ण जानकारियाँ नहीं है और जानकारियाँ एकत्र कर लें, फिर प्रारम्भ करेंगे कभी आप कहते हैं कि ‘‘जल्दी करने से काम खराब होता है’’ यानि आप कार्य प्रारम्भ न करने के नये-नये बहाने तलाशते रहते हैं। आप बहाने बनाते रहें और सालों रुके रहे, इस प्रकार तो आप सफलता की आशा भी सालों बाद ही करें। इस कशमकश से निकलना बहुत जरूरी है और इसके लिए सबसे पहले शुभ दिन निश्चित कीजिए। मसलन शिवरात्रि, दीपावली आदि कोई मांगलिक दिवस तय कर लें। उस दिवस से आप हर सूरत में कार्य प्रारम्भ कर दें। जो भी जानकारियाँ लेनी हैं, उसी दिवस तक ले लें। पर्याप्त जानकारियाँ मिलते ही निश्चित दिवस पर कार्य का शुभ आरम्भ कर दीजिए।
अब, फाइनल स्टार्ट की बात न सोचें, आपको तो सिर्फ स्टार्ट लेना है। जिद न करें, अड़ें नहीं कि अभी नहीं प्रारम्भ करेंगे। ऐसे तो सफलता की ओर कभी स्टार्ट नहीं ले सकेंगे।
सफलता के लिए जरूरी है कि प्रत्येक जानकारी का हम पुरजोरी से स्वागत करें और उन्हीं को समझते हुए अपने निर्णय में सुधार कर उसे एक ठोस और अच्छा निर्णय बनाकर आगे बढ़ जायें और जल्द ही सफलता आपकी पॉकेट में।
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अपना निर्णय किसी से न कहो।

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