महान व्यक्तित्व >> गुरु नानक देव गुरु नानक देवनवतेज अलग
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नवतेज द्वारा बच्चों के लिए विशेष आग्रह पूर्ण पुस्तक गुरूनानक देव......
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
गुरु नानक देव
सिख धर्म के संस्थापक तथा सिख धर्म में गुरु परम्परा को प्रारम्भ करने
वाले सिखों के प्रथम गुरु ‘गुरु नानक देव’ का जन्म
विश्व के
महान संतों की श्रेणी में प्रमुख स्थान रखता है। अपने विचारों व अमर
रचनाओं से समाज के कल्याण के लिए निरन्तर प्रयास करने वाले गुरु नानक देव
का जन्म उस समय हुआ, जब समस्त भारतवर्ष में अन्याय व अत्याचारों का
बोल-बाला था। मुगलों के आधीन भारत अपनी दुर्दशा की ओर अग्रसर था।
देश अनेक छोटे-बड़े राज्यों में बँटा था, जो अपने स्वार्थो के लिए आपस में ही लड़-मर रहे थे। ऐसी परिस्थितियों में समाज में जात-पात, अंधविश्वास एवं धार्मिक कट्टरवाद अपनी चरम सीमा पर था। ऐसे में समाज को कोई नई दिशा देने के लिए 15 अप्रैल, वर्ष 1469 (संवत् 1526, वैशाख सुदी-तीन) को पंजाब के तलवंडी नामक गाँव में इस महान संत का जन्म हुआ। वर्तमान में तलवंडी पाकिस्तान में है तथा ‘ननकाना साहिब’ के नाम से जाना जाता है।
नानक जी के पिता का नाम कालूराम मेहता तथा माता का नाम तृप्ता देवी था। कालूराम मेहता उस क्षेत्र के जमींदार रायबुलार के यहाँ सलाहकार के पद पर नौकरी करते थे। जिस समय बालक नानक का जन्म हुआ, उस समय उनका घर एक विचित्र आलौकिक प्रकाश से जगमगा उठा था। पंडितों और ज्योतिषियों ने बालक नानक को देखकर कहा कि ‘‘यह बालक बड़ा होकर संसार को नया मार्ग दिखाएगा तथा समस्त प्राणी इसके सामने नतमस्तक होंगे।’’
देश अनेक छोटे-बड़े राज्यों में बँटा था, जो अपने स्वार्थो के लिए आपस में ही लड़-मर रहे थे। ऐसी परिस्थितियों में समाज में जात-पात, अंधविश्वास एवं धार्मिक कट्टरवाद अपनी चरम सीमा पर था। ऐसे में समाज को कोई नई दिशा देने के लिए 15 अप्रैल, वर्ष 1469 (संवत् 1526, वैशाख सुदी-तीन) को पंजाब के तलवंडी नामक गाँव में इस महान संत का जन्म हुआ। वर्तमान में तलवंडी पाकिस्तान में है तथा ‘ननकाना साहिब’ के नाम से जाना जाता है।
नानक जी के पिता का नाम कालूराम मेहता तथा माता का नाम तृप्ता देवी था। कालूराम मेहता उस क्षेत्र के जमींदार रायबुलार के यहाँ सलाहकार के पद पर नौकरी करते थे। जिस समय बालक नानक का जन्म हुआ, उस समय उनका घर एक विचित्र आलौकिक प्रकाश से जगमगा उठा था। पंडितों और ज्योतिषियों ने बालक नानक को देखकर कहा कि ‘‘यह बालक बड़ा होकर संसार को नया मार्ग दिखाएगा तथा समस्त प्राणी इसके सामने नतमस्तक होंगे।’’
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