अतिरिक्त >> एकता का पुल एकता का पुलमो. अलीम
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एकता में कितनी ताकत है कितना जोश है पढ़िए इस कहानी में...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
करीम नदी के किनारे खड़ा था। वह नदी के वेग को देख रहा था। आज नदी पूरे
उफान पर थी। पानी का बहाव बहुत तेज था। ठांव पर बंधी नाव भी हिचकोले खा
रही थी। पार जानेवाले लोगों की भीड़ लगी थी। हर किसी को जल्दी थी।
सुबह-सुबह ही बाजार पहुंचना था। जाने वालों में खरीददार और दुकानदार दोनों
थे। दुकानदारों के सिर पर सामान से भरी टोकरियां रखी थीं।
इस घाट से हर दिन हजार लोग पार उतरते थे। वहां मोतीपुर नाम का एक बहुत बड़ा बाजार था। कोई सामान खरीदना हो या बेचना, सब लोग वहीं जाते थे। इसलिए यहां हमेशा भीड़ रहती।
उस जिले में किसी नाविक के पास अपनी नाव नहीं थी। एक ठेकेदार गरीब नाविकों को ठेके पर नाव दिया करता था। नाविक दिनभर मेहनत करते। आधी कमाई ठेकेदार ले लेता। बाकी में गुजर-बसर मुश्किल से होती। नाविकों को पैसे ही जरूरत होती। यात्रियों पार आने की जल्दी। नाव में अधिक यात्री भर जाते। कोई कुछ न बोलता।
आज भी यही हुआ। नाव में बोझ बढ़ गया। करीम को यह देखकर बड़ा गुस्सा आया। लेकिन वह कर भी क्या सकता था ? चुपचाप वह भी नाव में बैठ गया।
आज भी नाव में बोझ बढ़ गया।
नाविक ने नाव खोल दी। भार अधिक था। पानी का बहाव तेज। नाव डगमगाने लगी। कुछ ही देर में नाव का रुख पलट गया। वह बहाव के साथ बहने लगी। नाविक ने जोर-जोर से चप्पू चलाये। पर नाव ने दिशा नहीं पलटी। अब नाविक घबरा गया। यात्री भी डर गये। यात्री मदद के लिए चिल्लाने लगे। किनारे खड़े लोग देखते रहे। पूरे वेग से बहती नदी से उतरने का साहस किसी को नहीं हुआ।
इस घाट से हर दिन हजार लोग पार उतरते थे। वहां मोतीपुर नाम का एक बहुत बड़ा बाजार था। कोई सामान खरीदना हो या बेचना, सब लोग वहीं जाते थे। इसलिए यहां हमेशा भीड़ रहती।
उस जिले में किसी नाविक के पास अपनी नाव नहीं थी। एक ठेकेदार गरीब नाविकों को ठेके पर नाव दिया करता था। नाविक दिनभर मेहनत करते। आधी कमाई ठेकेदार ले लेता। बाकी में गुजर-बसर मुश्किल से होती। नाविकों को पैसे ही जरूरत होती। यात्रियों पार आने की जल्दी। नाव में अधिक यात्री भर जाते। कोई कुछ न बोलता।
आज भी यही हुआ। नाव में बोझ बढ़ गया। करीम को यह देखकर बड़ा गुस्सा आया। लेकिन वह कर भी क्या सकता था ? चुपचाप वह भी नाव में बैठ गया।
आज भी नाव में बोझ बढ़ गया।
नाविक ने नाव खोल दी। भार अधिक था। पानी का बहाव तेज। नाव डगमगाने लगी। कुछ ही देर में नाव का रुख पलट गया। वह बहाव के साथ बहने लगी। नाविक ने जोर-जोर से चप्पू चलाये। पर नाव ने दिशा नहीं पलटी। अब नाविक घबरा गया। यात्री भी डर गये। यात्री मदद के लिए चिल्लाने लगे। किनारे खड़े लोग देखते रहे। पूरे वेग से बहती नदी से उतरने का साहस किसी को नहीं हुआ।
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