मनोरंजक कथाएँ >> दोस्ती दोस्तीशिवमंगल सिंह
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प्रस्तुत है कहानी संग्रह दोस्ती, इसमें इसमें जंगली पशुओं के माध्यम से दोस्ती जैसे पवित्र बंधन को दर्शाने का प्रयास किय गया है.....
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
दोस्ती
शांति वन के निवासी मलूका खरगोश और सलोना हिरन अच्छे दोस्त थे। वे दोनों
हमेशा ही साथ-साथ रहते थे। और दोनों बड़े ही नटखट थे। उनकी शरारतों के
कारण कोई भी उन्हें अपने साथ नहीं रखता था । इस बात की दोनों को ही परवाह
नहीं थी। वे दोनों अपनी धुन में मस्त रहते थे। सारे दिन धमा-चौकड़ी
मचा–मचाकर दूर-दूर जंगल में घूम-घूमकर मुलायम घास तथा मीठी-मीठी
जड़ें खाया करते थे।
उस दिन मलूका और सलोना छुपा-छुपी खेल रहे थे। अचानक सलोना ने कहा, ‘अब खेलना बन्द करो मलूका मुझे जोरों की भूख लगी है। कहीं पर भोजन की तलाश करें।
‘थोड़ा और खेलते हैं। फिर चलेंगे।’ मलूका ने कहा। ‘नहीं अब नहीं।’ कह कर सलोना कुलाचें भरता हुआ नदी की ओर दौड़ पड़ा। ‘ये सलोना ! मैं भी चल रहा हूँ। रुको.....तो.....वह इतना भर कह पाया था कि तब तक सलोना नदी में कूद पड़ा और तैरने लगा।
मलूका भी उछल-उछल कर नदी की ओर बढ़ा उसने नदी पार की देखा तो सलोना उसे कहीं नजर ही नहीं आया।
सलोना के साथ होने के लिए मलूका ने लम्बी-लम्बी छलाँग भरना शुरू दी। अभी वह चार-पांच छलांग भर पाया था कि जंगल के राजा के दहाड़ने की आवाज सुनाई दी।
उस दिन मलूका और सलोना छुपा-छुपी खेल रहे थे। अचानक सलोना ने कहा, ‘अब खेलना बन्द करो मलूका मुझे जोरों की भूख लगी है। कहीं पर भोजन की तलाश करें।
‘थोड़ा और खेलते हैं। फिर चलेंगे।’ मलूका ने कहा। ‘नहीं अब नहीं।’ कह कर सलोना कुलाचें भरता हुआ नदी की ओर दौड़ पड़ा। ‘ये सलोना ! मैं भी चल रहा हूँ। रुको.....तो.....वह इतना भर कह पाया था कि तब तक सलोना नदी में कूद पड़ा और तैरने लगा।
मलूका भी उछल-उछल कर नदी की ओर बढ़ा उसने नदी पार की देखा तो सलोना उसे कहीं नजर ही नहीं आया।
सलोना के साथ होने के लिए मलूका ने लम्बी-लम्बी छलाँग भरना शुरू दी। अभी वह चार-पांच छलांग भर पाया था कि जंगल के राजा के दहाड़ने की आवाज सुनाई दी।
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