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एक थी सुल्ताना

नासिरा शर्मा

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :23
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6145
आईएसबीएन :81-237-4560-2

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नासिरा शर्मा द्वारा रचित कहानी एक थी सुल्ताना ....

Ek Thi Shultana -A Hindi Book by Nasira Sharma

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

एक थी सुल्ताना

 कल्लू दर्जी की एक लड़की थी। उसका नाम सुल्ताना था। सुल्ताना को कल्लू दर्जी बहुत चाहता था। वह उसकी इकलौती लड़की थी। कल्लू उसकी शादी किसी पढ़े-लिखे लड़के से करना चाहता था। जब सुल्ताना जवान हुई तो सारे मुहल्ले की नजर उस पर थी। सब उसे अपनी बहू बनाना चाहते थे, सुल्ताना बहुत हँसमुख थी। घर का सब काम जानती थी चार कलास पास थी। शबरातन की बहन जुमेरातन अपने बेटे शकूर से उसकी शादी करना चाहती थी। शकूल पांच कलास पास था। वह एक बिजली की दुकान में नौकर था। कल्लू ने शादी करने से मना कर दिया।

कुछ दिनों बाद सुल्ताना के लिए करीम का रिश्ता आया। लड़का बारह कलास पास था। नौकरी नहीं करता था मगर खाता पीता घराना था। कल्लू ने झट से हाँ कर दी। खूब धूमधाम से बेटी की शादी की। सुल्ताना जब दोबारा ससुराल से मायके आई तो शबरातन को वह थकी-थकी सी लगी। माँ बाप के पूछने पर उसने बताया कि करीम को लाटरी के टिकट खरीदने की लत है। सिनेमा भी रोज देखता  है। घर में पैसा न मिलने पर मां से लड़ता है। घर से भाग जाने की धमकी देता है कमाने का उसे शौक नहीं है। करीम की माँ को उम्मीद है कि बहू बेटे को सुधार लेगी। करीम सुल्ताना से ज्यादा दोस्तों के साथ रहता है। दो-दो बजे रात को घर लौटता है।

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