विविध >> आपकी राशि और खानपान आपकी राशि और खानपानकौलाचार्य जगदीश शर्मा
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आपकी राशि और खान पान पर ग्रहों का प्रभाव...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
सृजनकर्ता इस सृष्टि को अपने अनुपम सृजन से इस प्रकार सजाता संवारता रहता
है कि प्रत्येक क्षण, प्रत्येक पल यह संपूर्ण श्रृंगारमयी नवयौवना की
भाँति स्फूर्ति स्मरणीय एवं कालात्मक बनी रहे। बोध भी जहां मूक हो जाए।
स्मृतियां स्मरण के गहरे पटल पर ऐसी छवि अंकित करे कि युगों-युगान्तरों तक
भी वह स्मरण मूल प्रकृति से जुडा़ रहे। विद्या अपने आप में विधी को
नियंत्रित करें एवं विधी-विधा के हाथों एक शालीन इतिहास बनकर प्रस्तुत हो।
समय की अमिट छाप भूत से वर्तमान और वर्तमान से भविष्य की ओर एक दृढ़ संकल्पित स्तम्भ के रूप में सम्मुख आती है। यही प्रेरणा वास्तव में संकल्पों- विकल्पों एवं अनेक प्रकार के वादों-विवादों को परिभाषा सहित पलटने का सामर्थ्य रखती है। कलाओं की परिक्रमा की दृष्टि भी सम्पूर्ण रूप से स्वयं में नियति द्वारा प्रदत्त वह ज्ञान है जहां प्रभु स्वयं अपनी प्रभुसता छोड़कर बाल रूप में आकर शिष्य तत्त्व को प्राप्त करते है और गुरु आदर देकर अपने ही हाथों परमोच्य स्थान पर प्रतिष्ठित कर अपने ही रूप स्वरूप का अभिवादान करते हैं। इस दृष्टिकोण में व्यापकता, साहसिकता और गरिमा लिये हुए वह व्यक्तित्व छलकता है जहाँ बोधमय हो जाता है। इस बोधमयी गंगा में जो स्नान कर गया वह तर गया अतः भागीरथ प्रयत्न के पश्चात ही गंगा दर्शन और गंगा स्नान संभव हुआ।
अलबेली दुनिया के अलबेले मालिक ने क्या-क्या नहीं प्रस्तुत किया। उसी प्रस्तुति की मूल कड़ी से जुड़ा एक नाम है कौलाचार्य जगदीशानन्द तीर्थ (आचार्य जगदीश शर्मा) जो कि अपने त्याग-उत्साह लगन व कठोर परिश्रम की मधुर बेला में बैठकर आज इस जगत को अपने अनुपम ज्ञान द्वारा गंगा की तरह तरणी को बोध लेकर प्रस्तुत है।
लेखक के गुरु कौलेश्वर प्रकाशानन्द तीर्थ जी द्वारा
समय की अमिट छाप भूत से वर्तमान और वर्तमान से भविष्य की ओर एक दृढ़ संकल्पित स्तम्भ के रूप में सम्मुख आती है। यही प्रेरणा वास्तव में संकल्पों- विकल्पों एवं अनेक प्रकार के वादों-विवादों को परिभाषा सहित पलटने का सामर्थ्य रखती है। कलाओं की परिक्रमा की दृष्टि भी सम्पूर्ण रूप से स्वयं में नियति द्वारा प्रदत्त वह ज्ञान है जहां प्रभु स्वयं अपनी प्रभुसता छोड़कर बाल रूप में आकर शिष्य तत्त्व को प्राप्त करते है और गुरु आदर देकर अपने ही हाथों परमोच्य स्थान पर प्रतिष्ठित कर अपने ही रूप स्वरूप का अभिवादान करते हैं। इस दृष्टिकोण में व्यापकता, साहसिकता और गरिमा लिये हुए वह व्यक्तित्व छलकता है जहाँ बोधमय हो जाता है। इस बोधमयी गंगा में जो स्नान कर गया वह तर गया अतः भागीरथ प्रयत्न के पश्चात ही गंगा दर्शन और गंगा स्नान संभव हुआ।
अलबेली दुनिया के अलबेले मालिक ने क्या-क्या नहीं प्रस्तुत किया। उसी प्रस्तुति की मूल कड़ी से जुड़ा एक नाम है कौलाचार्य जगदीशानन्द तीर्थ (आचार्य जगदीश शर्मा) जो कि अपने त्याग-उत्साह लगन व कठोर परिश्रम की मधुर बेला में बैठकर आज इस जगत को अपने अनुपम ज्ञान द्वारा गंगा की तरह तरणी को बोध लेकर प्रस्तुत है।
लेखक के गुरु कौलेश्वर प्रकाशानन्द तीर्थ जी द्वारा
भोजन
अनमोल कथन
1. भोजन का वास्तविक सुख भूख से मिलता है।
2. तन भूखा रहे तो रहे मन को न भूखा रहने दो।
3. सात्विक मन में ईश्वर विद्यमान रहते हैं और सात्विक भोजन से ही मन सात्विक होता है।
4. खाने के लिये न जीयें बल्कि जीने के लिए खायें।
5. संसार में भोजन की अधिकता से मरने वालों की संख्या भोजन के अभाव में मरने वालों से कहीं अधिक है।
2. तन भूखा रहे तो रहे मन को न भूखा रहने दो।
3. सात्विक मन में ईश्वर विद्यमान रहते हैं और सात्विक भोजन से ही मन सात्विक होता है।
4. खाने के लिये न जीयें बल्कि जीने के लिए खायें।
5. संसार में भोजन की अधिकता से मरने वालों की संख्या भोजन के अभाव में मरने वालों से कहीं अधिक है।
प्रस्तावना
पुस्तक के विषय में
जिस प्रकार मिट्टी पौधों का पोषण करती है और उनके विकास व
विस्तार
में मुख्य भूमिका निभाते है उसी प्रकार भोजन और खाद्य पदार्थ हमारे
शारीरिक और मानसिक विकास का मुख्य आधार है।
नित्य प्रतिदिन नियम से भोजन करना हमारी जीवन शैली का अभिन्न हिस्सा है जिसमें प्रयुक्त होते हैं अनेकानेक प्रकार के खाद्य पदार्थ जिनमें से कुछ तरल रूप में होते हैं जैसे दूध, दही, घी, तेल, जूस, इत्यादि, तो कुछ तैयार रूप में ही उपलब्ध होंते हैं जैसे फल सब्जियाँ इत्यादि, तो कुछ पकाकर खा जाते हैं जिनकी असंख्य किस्में उपलब्ध हैं जो स्थान विशेष और व्यक्ति विशेष की स्थिति परिस्थिति रुचि-अभिरुचि व उपलब्धताओं के अनुसार प्रयोग में लाई जाती है।
देश काल और परिस्थिति अनुसार भोजन और भोज्य पदार्थों की अनगिनत विधियाँ पाई जाती है जिनकी प्रयोग में लाई जाती है।
देश काल और परिस्थिति अनुसार भोजन और भोज्य पदार्थों की अनगिनत विधियाँ पाई जाती हैं जिनकी गणना लगभग अंसभव है।
भोजन के अतिरिक्त भोज्य पदार्थों से संबंधित कुछ रोचक ज्ञानवर्धक, आश्चर्यजनक, नवीन तथ्यों से आपका परिचय कराना चाहता हूँ जो आपको भोजन और भोज्य पदार्थों से संबंधित ऐसी नवीन जानकारी उपलब्ध कराएगा जिसका तात्पर्य मात्र भोजन करने से ही नहीं अपितु भोजन से प्राप्त होने वाली उर्जा, स्वाद और भोजन की आपके लिए अनुकूलता से है ताकि आप मात्र पेट भरने हेतु ही भोजन न करें बल्कि अपने शरीरिक, चारित्रिक मानसिक और बौद्धिक विकास हेतु भोजन का चयन करें।
भोजन और भोज्य पदार्थों द्वारा ग्रहों को भी अपने अनुकूल किया जा सकता है। इसी नवीन विषय पर आधारित है यह पुस्तक जिसमें आप अपनी ग्रह दशाओं के अनुसार भोजन का चयन कर सकते हैं और अपनी जन्मपत्री की दशाओं-महादशाओँ का उपचार भी कर सकते हैं।
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार रसोईघर में नवग्रहों अर्थात 9 ग्रहों का वास होता है जिसका मुख्य आधार हैं मसाले जिनमें मुख्य रूप से 9 प्रकार के मसालों को मान्यता दी गई है जो अपने गुणों, स्वाद व रंगों के आधार पर भिन्न-भिन्न ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसीलिये इन मामलों को रसोईघर में एक साथ इकट्ठा अथवा पास-पास रखने का प्रावधान है चाहे वह मसालदानी के रूप में हो अथवा अलग-अलग प्रकार से डिब्बों आदि में एक साथ एक स्थान पर रखे जाएं।
आइए जानें कि ये 9 मसाले कौन से है और ये किस प्रकार ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं व इनके पीछे छिपी वैज्ञानिकता क्या है ?
1. नमक (पिसा हुआ) सूर्य
2. लाल मिर्च (पिसी हुई) मंगल
3. हल्दी (पिसी हुई ) वृहस्पति
4. जीरा (साबुत या पिसा हुआ) राहु-केतु
5. धनिया (पिसा हुआ) बुध
6. काली मिर्च (साबुत या पाउडर) शनि
7. अमचूर (पिसा हुआ) केतु
8. गर्म मसाला (पिसा हुआ) राहु
9. मेथी मंगल
जिस प्रकार मसाले अपने गुणों के आधार पर किसी न किसी ग्रह का प्रतिनिधित्व करते हैं उसी प्रकार सभी खाद्य पदार्थ चाहे वे किसी भी रूप-स्वरूप में हों जैसे तरल खाद्य पदार्थ, अनाज, दाले, फल, सब्जियाँ, मेवे इत्यादि भी अपने-अपने गुणों व स्वादों के अनुसार किसी न किसी ग्रह का प्रतिनिधित्व करते हैं।
दीर्घायु और निरोगी रहने के लिये रसोई घर में बैठकर भोजन करना अत्यन्त लाभदायक होता है क्योंकि भोजन सामग्री पकाते समय उठने वाली सुगंध स्वयं में ऐसी दवाई है जो रामबाण का कार्य करती है। जिसे ग्रहण करने मात्र से छोटे-छोटे रोग स्वयं ही दूर भाग जाते है और यही कारण है कि स्त्रियों की आयु पुरुषों की अपेक्षा अधिक होती है। रसोई घर में भोजन करने के अनेकानेक लाभ है। जैसेः-
भोजन ताजा रूप में ग्रहण किया जाता है जो पोषक तो होता ही है शीघ्र हजम भी हो जाता है।
रसोईघर में भोजन करने से काया निरोगी रहती है।
रसोई घर में भोजन करने से आयु में वृद्ध होती है।
रसोईघर में भोजन करने से याददाश्त बढ़ाई जा सकती है।
रसोईघर में इकट्ठा बैठकर भोजन करने से पारिवारिक सदस्यों में प्यार और सौहार्द बढ़ता है व घर का वातावरण सुखी व समृद्ध होता है।
आइये अपने विषय पर लौट चले।
प्रस्तुत पुस्तक में भोजन और भोज्य पदार्थों से संबंधित अनेकानेक जानकारियाँ उपलब्ध कराई गई है। जिसमें आप अपनी ज्योतिषीय समस्याओं को निराकरण तो कर ही सकेंगे अपितु स्वयं को भी ऐसी नवीन दुविधा में पाएँगे जो आपके लिए अदभुत और आश्चर्यजनक होने के साथ-साथ गागर में सागर चरितार्थ करेगी।
नित्य प्रतिदिन नियम से भोजन करना हमारी जीवन शैली का अभिन्न हिस्सा है जिसमें प्रयुक्त होते हैं अनेकानेक प्रकार के खाद्य पदार्थ जिनमें से कुछ तरल रूप में होते हैं जैसे दूध, दही, घी, तेल, जूस, इत्यादि, तो कुछ तैयार रूप में ही उपलब्ध होंते हैं जैसे फल सब्जियाँ इत्यादि, तो कुछ पकाकर खा जाते हैं जिनकी असंख्य किस्में उपलब्ध हैं जो स्थान विशेष और व्यक्ति विशेष की स्थिति परिस्थिति रुचि-अभिरुचि व उपलब्धताओं के अनुसार प्रयोग में लाई जाती है।
देश काल और परिस्थिति अनुसार भोजन और भोज्य पदार्थों की अनगिनत विधियाँ पाई जाती है जिनकी प्रयोग में लाई जाती है।
देश काल और परिस्थिति अनुसार भोजन और भोज्य पदार्थों की अनगिनत विधियाँ पाई जाती हैं जिनकी गणना लगभग अंसभव है।
भोजन के अतिरिक्त भोज्य पदार्थों से संबंधित कुछ रोचक ज्ञानवर्धक, आश्चर्यजनक, नवीन तथ्यों से आपका परिचय कराना चाहता हूँ जो आपको भोजन और भोज्य पदार्थों से संबंधित ऐसी नवीन जानकारी उपलब्ध कराएगा जिसका तात्पर्य मात्र भोजन करने से ही नहीं अपितु भोजन से प्राप्त होने वाली उर्जा, स्वाद और भोजन की आपके लिए अनुकूलता से है ताकि आप मात्र पेट भरने हेतु ही भोजन न करें बल्कि अपने शरीरिक, चारित्रिक मानसिक और बौद्धिक विकास हेतु भोजन का चयन करें।
भोजन और भोज्य पदार्थों द्वारा ग्रहों को भी अपने अनुकूल किया जा सकता है। इसी नवीन विषय पर आधारित है यह पुस्तक जिसमें आप अपनी ग्रह दशाओं के अनुसार भोजन का चयन कर सकते हैं और अपनी जन्मपत्री की दशाओं-महादशाओँ का उपचार भी कर सकते हैं।
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार रसोईघर में नवग्रहों अर्थात 9 ग्रहों का वास होता है जिसका मुख्य आधार हैं मसाले जिनमें मुख्य रूप से 9 प्रकार के मसालों को मान्यता दी गई है जो अपने गुणों, स्वाद व रंगों के आधार पर भिन्न-भिन्न ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसीलिये इन मामलों को रसोईघर में एक साथ इकट्ठा अथवा पास-पास रखने का प्रावधान है चाहे वह मसालदानी के रूप में हो अथवा अलग-अलग प्रकार से डिब्बों आदि में एक साथ एक स्थान पर रखे जाएं।
आइए जानें कि ये 9 मसाले कौन से है और ये किस प्रकार ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं व इनके पीछे छिपी वैज्ञानिकता क्या है ?
1. नमक (पिसा हुआ) सूर्य
2. लाल मिर्च (पिसी हुई) मंगल
3. हल्दी (पिसी हुई ) वृहस्पति
4. जीरा (साबुत या पिसा हुआ) राहु-केतु
5. धनिया (पिसा हुआ) बुध
6. काली मिर्च (साबुत या पाउडर) शनि
7. अमचूर (पिसा हुआ) केतु
8. गर्म मसाला (पिसा हुआ) राहु
9. मेथी मंगल
जिस प्रकार मसाले अपने गुणों के आधार पर किसी न किसी ग्रह का प्रतिनिधित्व करते हैं उसी प्रकार सभी खाद्य पदार्थ चाहे वे किसी भी रूप-स्वरूप में हों जैसे तरल खाद्य पदार्थ, अनाज, दाले, फल, सब्जियाँ, मेवे इत्यादि भी अपने-अपने गुणों व स्वादों के अनुसार किसी न किसी ग्रह का प्रतिनिधित्व करते हैं।
दीर्घायु और निरोगी रहने के लिये रसोई घर में बैठकर भोजन करना अत्यन्त लाभदायक होता है क्योंकि भोजन सामग्री पकाते समय उठने वाली सुगंध स्वयं में ऐसी दवाई है जो रामबाण का कार्य करती है। जिसे ग्रहण करने मात्र से छोटे-छोटे रोग स्वयं ही दूर भाग जाते है और यही कारण है कि स्त्रियों की आयु पुरुषों की अपेक्षा अधिक होती है। रसोई घर में भोजन करने के अनेकानेक लाभ है। जैसेः-
भोजन ताजा रूप में ग्रहण किया जाता है जो पोषक तो होता ही है शीघ्र हजम भी हो जाता है।
रसोईघर में भोजन करने से काया निरोगी रहती है।
रसोई घर में भोजन करने से आयु में वृद्ध होती है।
रसोईघर में भोजन करने से याददाश्त बढ़ाई जा सकती है।
रसोईघर में इकट्ठा बैठकर भोजन करने से पारिवारिक सदस्यों में प्यार और सौहार्द बढ़ता है व घर का वातावरण सुखी व समृद्ध होता है।
आइये अपने विषय पर लौट चले।
प्रस्तुत पुस्तक में भोजन और भोज्य पदार्थों से संबंधित अनेकानेक जानकारियाँ उपलब्ध कराई गई है। जिसमें आप अपनी ज्योतिषीय समस्याओं को निराकरण तो कर ही सकेंगे अपितु स्वयं को भी ऐसी नवीन दुविधा में पाएँगे जो आपके लिए अदभुत और आश्चर्यजनक होने के साथ-साथ गागर में सागर चरितार्थ करेगी।
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लोगों की राय
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