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अ फ्यू स्टेप्स इन लर्निंग हिंदी

कुसुम वीर, मोहन सिंह दोहरे

प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :118
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6052
आईएसबीएन :81-288-1749-3

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प्रस्तुत है पुस्तक झटपट हिंदी सीखें ....

A Few Steps In Learning HindiJhatpat Hindi Sikhen A Hindi Book by Kusum Vir Mohan Singh Dohare - अ फ्यू स्टेप्स इन लर्निंग हिंदी झटपट हिंदी सीखें -कुसुम वीर मोहन सिंह दोहरे

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

PREFACF

The world has reduced to a global village. Anybody could access anywhere in the World through modern gadgets in no time. One could fly anywhere across the continents from few minutes to a couple of hours, through connecting airlines between various countries.

One finds tourism as an outlet, to find work or do job or get training, and to fly from one region to another or from one language zone to another. It is necessary that one should acquaint with the language or the country of interest one frequents. It would help in appreciating routine chores in an effective manner. Else, we had to face many obstacles.

Indians are quite proud that Hindi had been known and appreciated everywhere in the world. The continents of the book have been framed, to enables to readers to acquaint with the nuances of the language from non-Hindi belt in India or non-Hindi Speaking country to the Hindi heartland across the country. S(he) could express him (her) self in a hotel suite, departmental stores, hospital, house, birthday party effectively, following the examples carried out in the book.

We are extremely grateful to the invaluable efforts to Dr. Thakur Das in drafting the contents. We believe those persons unable to express themselves lucidly in Hindi Would find this book as bonanza.

Kusum Vir Mohar Singh Dohre

भूमिका


आज पूरा विश्व सिमट कर एक गाँव बन गया है। आधुनिक यंत्रों के माध्यम से विश्व के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से हम क्षण भर में संपर्क कर सकते हैं। वायुयान के माध्यम से कुछ ही मिनटों या घंटों में हम एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंच सकते हैं।

आज पर्यटन, नौकरी या किसी अन्य कार्य के लिए एक देश से दूसरे देश या एक भाषायी क्षेत्र में जाने की आवश्यकता पड़ती है। ऐसी स्थिति में हम जिस भाषायी क्षेत्र से दूसरे भाषायी क्षेत्र में जाने की आवश्यकता पड़ती है। ऐसी स्थिति में हम जिस भाषायी क्षेत्र या देश में जा रहे हैं, आवश्यकतानुसार वहाँ की थोड़ी बहुत भाषा जानना उपयोगी होता है, जिससे हम अपने दैनिक कार्यों को सुचारु रुप से चला सकते हैं। ऐसा न होने पर हमें तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

जहाँ तक हिन्दी की बात है, हिन्दी आज पूरे विश्व में बोली और समझी जानेवाली भाषा बन गई है। आज गैर हिन्दी भाषी क्षेत्र से या गैर हिन्दी भाषी देश से हिन्दी भाषी क्षेत्र में जाने पर इस तरह की असुविधा न हो, इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर इस पुस्तक की रचना की गई है।

कोई भी गैर हिन्दी भाषी व्यक्ति जो अंग्रेजी समझता है, वह अंग्रेजी में दिए गए हिन्दी वाक्य को रोमन लिपि में पढ़कर हिन्दी का उच्चारण कर सकता है। इस तरह वह होटल में, दुकान में, अस्पताल में, घर में, जन्मदिन पार्टी के अवसर के बारे में दिए गए नमूनों की सहायता से हिन्दी में अपनी बात कह सकता है।
इस पुस्तक की रचना में डॉ. ठाकुर दास का हमें अप्रतिम सहयोग प्राप्त हुआ है जिसके लिए हम उनके आभारी हैं। हमें आशा है कि इस पुस्तक के माध्यम से हिन्दी न जानने वाले व्यक्ति हिन्दी में आसानी से बात कर सकेंगे।

कुसुमवीर, मोहर सिंह दोहरे


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