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सुनील जोगी की एस एम एस शायरी

सुनील जोगी

प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :159
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6017
आईएसबीएन :81-288-1739-6

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प्रस्तुत है शायरी.....

DR. Sunil Jogi Ki SMS Shayari

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

समर्पण

राजनीति में सादगी सहजता, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा, परिश्रम और त्याग की प्रतिमूर्ति सीतापुर के लोकप्रिय सांसद लोकसभा में बसपा नेता अनुजवत स्नेह करने वाले आदरणीय श्री राजेश वर्मा जी को सादर समर्पित

डॉ. सुनील जोगी

आत्मकथ्य


जीवन आनन्द के लिए है, प्रेम के लिए है, उत्सव के लिए है, परोपकार के लिए है और मानवता की सेवा के लिए है। मैंने बाजार में अनेक एस.एम.एस. की पुस्तकें देखीं, पढ़ीं और पाया कि उनमें मौलिकता और स्तरीयता का अभाव है। नये विचार, नई सोच, नई शैली की कमी है। इसी कमी को पूरा करने के लिए मैंने और डायमण्ड के प्रकाशक श्री नरेन्द्र कुमार जी ने एक प्रयास किया है। हमें विश्वास है कि यह प्रयास आपको पसन्द आएगा।

आपके सुझावों का स्वागत है। आप हर पल हंसें, मुस्कराएं, उत्सव मनाएं और अपनी खुशबूं से पूरी दुनिया को महकाएं। इसी शुभकामना के साथ यह पुस्तक आपके हाथ-

डॉ. सुनील जोगी

डॉ. सुनील जोगी : एक परिचय


हिन्दी काव्य मंच के सशक्त हस्ताक्षर डॉ. सुनील जोगी आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। विभिन्न राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं और समाचार चैनलों में अपनी प्रतिभा को लोहा मनवाने वाले जोगी जी ने 75 पुस्तकें लिखी हैं और देश-विदेश में लगभग 2500 कवि सम्मेलनों में उनकी धूम है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. सुनील जोगी ने अनेक विधाओं में सृजन करके कई कैसेटों व फिल्मों में गीत लेखन भी किया है। कानपुर में जन्में दिल्ली में बसे डॉ. जोगी संसद भवन से लेकर विभिन्न मंत्रालयों व राज्यस्तरीय अकादमियों में उच्च पदों पर कार्य करते हुए निरन्तर सृजनधर्मिता का पालन करते रहे हैं।

प्रकाशक

मोहब्बत भरी शायरी



तेरी चाहत में सनम रो भी नहीं सकते हैं
पा लिया है तो तुझे खो भी नहीं सकते हैं
तुम्हारी याद में इतने दिनों के जागे हैं
नींद भी आ रही है सो भी नहीं सकते हैं।

दगा दे जायें उसे यार नहीं कहते हैं
ख़ुशी न दे उसे बहार नहीं कहते हैं
बस एक बार धड़कता है दिल किसी के लिये
जो दुबारा हो उसे प्यार नहीं कहते हैं।

तुम्हें पाकर के हम खोना भी नहीं चाहते हैं
अपनी पलकों को भिगोना भी नहीं चाहते हैं
अगर ठुकराओगे तो लौट के फिर आएंगे
हम किसी और के होना ही नहीं चाहते हैं।

हम दोनों को होठों पर, छलकें चाहत के जाम
यादों में खुशबू से महके, अपनी सुबहो-शाम
तुम गर साथ निभाओ, कर दूं मैं खुलकर ऐलान
बुरा भला कोई माने, या हो जाऊं बदनाम।

बहती नदियों के किनारे भी सो गये होंगे
जहां में दर्द के मारे भी सो गये होंगे
चांदनी रात से कह दो कि वो भी सो जाये
अब तो सब चांद सितारे भी सो गये होंगे।

तारे भी चमकते हैं
बादल भी बरसते हैं
तुम दिल में हो फिर भी हम
मिलने को तरसते हैं।

सिर्फ़ इमारत नहीं मोहब्बत का अनमोल ख़जाना है
शाहजहां मुमताज महल का प्यार भरा नज़राना है
सौ करोड़ के देश को अपनी ताक़त को अज़माना है
ताजमहल को फिर से दुनियां का सिरमौर बनाना है।

यूं तो कहने के लिए रोज बात होती है
चांद तारों के संग में बारात होती है
शाम ढलती है अंधेरा भी बिखर जाता है
तेरे ख़्वाबों में जो गुज़रे वो रात होती है।

दूरियां बढ़ती गईं तो उम्र भी घट जायेगी
रात जब गहराएगी तो रोशनी छंट जायेगी
अपनी यादों को हमारे साथ रहने दीजिये
चंद यादों के सहारे जिन्दगी कट जायेगी।

सबको पैगाम दे दिया जाये
एक अंजाम दे दिया जाये
हमने रिश्ता बना लिया लेकिन
अब चलो नाम दे दिया जाये।

जान तुझपे निसार करते हैं
हर घड़ी तुझसे प्यार करते हैं
तू एस.एम.एस. भले ही ना जाने
हम तेरा इन्तजार करते हैं।

जनम-जनम की आस अधूरी रहती है
बिछड़ी हुई तलाश अधूरी रहती है
जिनके हिस्से प्यार का सागर न आया
उन लोगों की प्यास अधूरी रहती है।

आँखों को इकरार भी कराना आता है
होठों को इन्कार भी करना आता है
जो नफ़रत करते हैं उनसे ये कह दो
हमको उनसे प्यार भी करना आता है।

इन पलकों पर ख़्वाब संजोना पड़ता है
हंसते-हंसते पल में रोना पड़ता है
प्यार सिर्फ पाने का नाम नहीं यारो
इसमें पा करके कुछ खोना पड़ता है।

इस दिल का अहसास हो तुम
जाने कितनी खास हो तुम
तुम बिन जिया नहीं जाता
शायद मेरी आस हो तुम।

ये बात अलग है कि हम कुछ कह नहीं पाते
पर दर्द जुदाई का सनम सह नहीं पाते
ये प्यार है या बेकसी हमको पता नहीं
पर आपके बगैर कहीं रह नहीं पाते।

किसी-किसी पे ही ये दिल निसार होता है
आप आते हैं तो ज़िक्रे-बहार होता है
बहुत आसान सी हो जाती है मंज़िल उसकी
जिसे ख़ुदा पे बड़ा ऐतबार होता है।

ना किसी जिगर की तलाश है
ना किसी के दर की तलाश है
मेरे दिल का हाल जो जान ले
मुझे उस नज़र की तलाश है।

टूट करके बिख़र गये होते
हम न जाने किधर गये होते
आपने दी है जिन्दगी मुझको
वरना हम कब के मर गये होते।

सुना है आपको सब आंख भर कर देखते हैं
बुर्ज़ुग लोग भी सब सज-संवर कर देखते हैं
है ऐसी बात तो फिर आजमाये लेते हैं
आपके शहर में हम भी ठहर कर देखते हैं।

बिखरे हुये हैं सपने आंखों में कुछ नमी है
छोटा सा आसमां है उम्मीद की ज़मीं है
सब कुछ तो ज़िन्दगी में हासिल है मुझे लेकिन
जो मुझको चाहता हो उस शख़्स की कमी है।

उसने हर शाम में मेरा निशां पाया होगा
आइने में मेरा चेहरा नज़र आया होगा
मैं जिसको चाहकर भी भूल न पाया अब तक
ना जाने कैसे मुझे उसने भुलाया होगा।

चैन दिल का आप भी खोने लगेंगे एक दिन
और रुसवा शहर में होने लगेंगे एक दिन
आपका दिल भी मोहब्बत में अगर टूटा कहीं
हंसते-हंसते आप भी रोने लगेंगे एक दिन।


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