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उपासना एवं आरती >> जैकारा शेरां वाली का माता की भेंटें

जैकारा शेरां वाली का माता की भेंटें

साजन पेशावरी

प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :152
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6013
आईएसबीएन :81-288-1782-5

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प्रस्तुत है पुस्तक माता की भेंटें.....

Jaikara Shera Vali Ka Mata Ki Bhenten

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश


मोह माया जगत की सभी छोड़ दूं
ये ही बेहतर है उसके भवन को चलूं
रोशनी बन के आएगी माता मेरी
रास्ते में अगर रात हो जाएगी
मेरी मां से मुलाकात.........

ढोल ब्रह्मा बजाएंगे खड़ताल शिव
शंख फूकेंगे विष्णु जी और लक्ष्मी
शेर पे सजके माता चलेगी अगर
साथ संतों की बारात हो जाएगी
मेरी मां से मुलाकात.........

तोता बोले, मैना बोले, और बोले जग सारा
द्वार पे मां के आके सारे, बोलो जै-जैकारा
जै-जै शेरां वालिए, जै-जै मेहरां वालिए
तीतर, मोर, पपीहा बोले, सुनकर भक्त का मनवां डोले
सच्चे मन से सारे मिल के, बोलो जै-जैकारा
जै-जै लाटा वालिए, जै-जै जोता वालिए
दीन-दु:खी सब द्वारे आए, मां के चरणों में सीस झुकाए
भवन बना है मां का देखो कितना प्यारा-प्यारा
जै-जै भवनां वालिए, जै-जै मेहरां वालिए
ममता सबसे मां की न्यारी, करती है जो सिंह सवारी
जिसकी महिमा से मिट जाए देखो सब अंधियारा

इसी संकलन से

भगतो
प्रस्तुत पुस्तक में जिन गीतकारों, गायकों और गायिकाओं द्वारा रचित एवं गाई गई सुप्रसिद्ध भेटों को लिया गया है-मैं उनका दिलो-जान से शुक्र गुजार हूँ। खास कर गुरु भाई अरविन्द कुमार शर्मा ‘अश्क’ देहलवी का आभारी हूं जिन्होंने भेंटें उपलब्ध कराने में पूरा-पूरा सहयोग दिया है।

साजन पेशावरी

मत्थे रोलियां गला दे विच अट्टे



मत्थे रोलियां, गला दे विच अट्टे
मारे मेहर दे जिनां नूं माई छिट्टे
ओ बचड़े निहाल हो गए

आइयां जिनां नूं पवन उत्तो चिट्ठियां
पाइयां उनां ने मुरादां मुट्ठियां
ओ लाल, लालो लाल हो गए
तेरे बचड़े निहाल हो गए

चित्त कलियां तो कोमल तेरा
मन मोह ममता दा डेरा
अक्खां दो अमृत दे सागर
तू नूर है नूरी सवेरा
तेरे दर ते मां शेरां वाली
लें के आए जो सवाल सवाली
हो पूरे ओ सवाल हो गए
तेरे बचड़े निहाल हो गए

तेरी करनी दे कौतुक हजारां
किवें भेंटा दे विच में अंगारां
पत्थरा चों फुल पए उगदे
पतझड़ विच खिड़न बहारां
तैनूं परखया शहनशाह दे कहरां

सिर सुट्ट गइयां नहर दियां लहरां
हो जलबे कमाल हो गए
तेरे बचड़े निहाल हो गए

नित मन वाला मनका फेरां
हजूं दीदयां तो दीद लई केरां
दिल वाले शीशे दे उत्ते
दाती पया जान तरेड़ा
तेरा दरस जिनां ने पाया
हे जग जननी महामाया
ओ बाल खुशहाल हो गए
तेरे बचड़े निहाल हो गए

गीतकार : अज्ञात


गायक : नरेन्द्र चंचल


माई मैंनूं लाल बख्स दे



पूजां कंजकां मैं लौंकड़ा मनावां
माई मैंनूं लाल बख्स दे
मां मैं वी किसे दी कहावां
ओ माई मैंनूं लाल बख्स दे
लाल बख्स दे, माई बाल बख्स दे.....

तेरी गोदी फुल्लां भरी ते मेरी गोदी खाली ए
कुल दा चिराग दे दे, मैय्या जोतां वाली ए
सुख दे दे, मैं सुखना चढ़ावां
ओ माई मैंनूं लाल बख्स दे
लाल बख्स दे, माई बाल बख्स दे.........

निक्की जही मंग मंगा लख ते करोड़ ना
मैं हां थुड़ी होई दाती तेरे दर थोड़ ना
दे लाल, लाल चोला ले के आवां
माई मैंनूं लाल बख्स दे
लाल बख्स दे, माई बाल बख्स दे....
सुक्के-सड़े बंजरा च दाने तू उगाए मां
डुबदे बचाए लक्खां, उजड़े वसाए मां
भरी झोली, झोली बाल लयावां
ओ माई मैंनूं लाल बख्स दे
लाल बख्स दे माई बाल बख्स दे.......

गीतकार : चमनलाल ‘जोश’

गायक : नरेन्द्र चंचल


कंजकां खेडदियां



दाती दे दरबार कंजकां खेडदियां
मैय्या दे दरबार कंजकां खेडदियां
मेरी रानी दे दरबार कंजकां खेडदियां
महारानी दे दरबार कंजकां खेडदियां

सज्जे कंजकां, खब्बे कंजकां
कंजकां आसे-पासे
जग-जननी नाल खेडां खेडण
खिड़-खिड़ निकलन हासे
कंजकां खेडदियां
शेरां वाली दे दरबार, कंजकां खेडदियां

रंग-बिरंगी चुन्नियां सिर ते
इक तों इक है चंगी
हवा च उडण तां इंज जापण
जिवें पींघ कोई सतरंगी
कंजकां खेडदियां
लाटां वाली दे दरबार कंजकां खेडदियां

हीरे-पन्ने नीलम दे हाथ
गीटे लै भुडकावन
जगत रचावण वलीयां जग नूं
खेड़ां-खेड दिखावन
कंजकां खेडदियां
जोता वाली दे दरबार कंजकां खेडदियां

लक्ष्मी खेडे सरस्वती खेडे
खड़े कांगडे वाली
चिन्तपूरनी चामुण्डा खेडे
खेड रही महाकाली
कंजकां खेडदियां
भौणां वाली दे दरबार कंजकां खेडदियां
माता वैष्णों दे झूले नूं
सब्बे देण दुलारे
सखियां गांवण किकलियां पावण
‘जोश’ मैया दे द्वारे
कंजकां खेडदियां
मेरी अम्बे दे दरबार कंजकां खेडदियां
जगदम्बे दे दरबार कंजकां खेडदियां

गीतकार : चमनलाल ‘जोश’

गायक : नरेन्द्र चंचल



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