भाषा एवं साहित्य >> 30 दिन में हिंदी सीखें 30 दिन में हिंदी सीखेंकुसुम वीर, मोहन सिंह दोहरे
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प्रस्तुत है हिंदी सीखने के लिए यह पुस्तक...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
This book primarily attempts to introduce to those whose mother tongue
is not Hindi by the most natural and simplest method. It adopts the
scientific approach, introducing alphabets, words, sentences in that
order and application of these in the most common situation of daily
life.
This book can also helpful to foreigners who are on a visit to India as tourists, scholars, diplomats and businessmen as it would enable them to move about in different parts of the country, transcending the language barriers.
This book can also helpful to foreigners who are on a visit to India as tourists, scholars, diplomats and businessmen as it would enable them to move about in different parts of the country, transcending the language barriers.
भूमिका
आज विश्व बड़ी तेजी से सिमटता जा रहा है। वैश्वीकरण की आंधी में प्रतिपल
गतिवान होती सूचना प्रौद्योगिकी ने समूचे विश्व को एक मणिमाला के रूप में
पिरो दिया है। अब समय और स्थान की दूरियां समाप्त प्रायः हो चली हैं। आज
विश्व के किसी भी एक छोर पर बैठा व्यक्ति, इंटरनेट के माध्यम से दूसरे छोर
पर बैठे व्यक्ति से विचारों का आदान-प्रदान कर सकने में समर्थ है। इससे न
केवल वैज्ञानिक और व्यापारिक क्षेत्रों में एक उछाल आया है, अपितु विश्व
की विभिन्न सामासिक संस्कृतियों की विवधता में भी एकता देखने को मिलने लगी
है।
भारत प्राचीन काल से ही अध्यात्म, ज्ञान एवं विश्व व्यापार का प्रमुख केन्द्र रहा है। प्राचीन काल से ही विभिन्न देशों से लोग भारत के बारे में जानने को उत्सुक रहे हैं और उन्होंने यहां की भाषाएं सीख कर भारतीय संस्कृति का गहन अध्ययन किया है। भारत की एक प्रमुख भाषा हिन्दी सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के कई देशों में बहुतायत से बोली व समझी जाती हैं, जैसे मारीशस, सूरीनाम, त्रिनिडाड, फिजी, गुयाना, दक्षिण अफ्रीका, म्यांमार, नेपाल, थाईलैंड, ब्रिटेन और अमरीका आदि देशों में आज हिंदी बोलने वाले तथा भारतीय संस्कृति को मानने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में हैं। जनसंख्या के आधार पर आज विश्व में हिंदी बोलने वालों की संख्या सर्वाधिक है।
निर्विवाद रूप से हिंदी भारत की संपर्क भाषा है भारत में मीडिया और फिल्मों में तो हिंदी को प्रमुख स्थान मिला ही है, दूरदर्शन के विदेशी चैनल भी अब अपना प्रसारण हिंदी में करने लगे हैं। भात में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आगमन एवं उनके उत्पादों के प्रचार-प्रसार और पर्याटन की दृष्टि से आने वाले पर्यटकों के लिए भी हिंदी का ज्ञान होना परम आवश्यक है।
अतः यह अनुभव किया गया कि हिंदी न जानने वाले भारतीयों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं पर्यटकों की सुविधा के लिए एक ऐसी पुस्तक तैयार किए जिससे वे थोड़े समय में सहता से हिंदी का व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त कर सकें और उनमें हिंदी बोलने, समझने, पढ़ने व लिखने की क्षमता विकसित हो सकें।
इस दिशा में यह पुस्तक हमारा छोटा सा प्रयास है। इस पुस्तक में हिंदी भाषा को सुरुचिपूर्ण तरीके से अति सरल एवं सहजतापूर्ण ढंग से समझाने का प्रयास किया गया है, ताकि पाठक इसे आसानी से ग्रहण कर सकें। इस पुस्तक के माध्यम से कोई भी हिंदी न जानने वाला व्यक्ति केवल एक माह के अल्प समय में ही व्यावहारिक हिंदी सीख सकता है।
आशा है कि यह पुस्तक हिंदीतर भाषी एवं विदेशों में रहने वाले हिंदी के जिज्ञासुओं को हिंदा सिखाने में बहुत ही अहम भूमिका निभाएगी।
भारत प्राचीन काल से ही अध्यात्म, ज्ञान एवं विश्व व्यापार का प्रमुख केन्द्र रहा है। प्राचीन काल से ही विभिन्न देशों से लोग भारत के बारे में जानने को उत्सुक रहे हैं और उन्होंने यहां की भाषाएं सीख कर भारतीय संस्कृति का गहन अध्ययन किया है। भारत की एक प्रमुख भाषा हिन्दी सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के कई देशों में बहुतायत से बोली व समझी जाती हैं, जैसे मारीशस, सूरीनाम, त्रिनिडाड, फिजी, गुयाना, दक्षिण अफ्रीका, म्यांमार, नेपाल, थाईलैंड, ब्रिटेन और अमरीका आदि देशों में आज हिंदी बोलने वाले तथा भारतीय संस्कृति को मानने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में हैं। जनसंख्या के आधार पर आज विश्व में हिंदी बोलने वालों की संख्या सर्वाधिक है।
निर्विवाद रूप से हिंदी भारत की संपर्क भाषा है भारत में मीडिया और फिल्मों में तो हिंदी को प्रमुख स्थान मिला ही है, दूरदर्शन के विदेशी चैनल भी अब अपना प्रसारण हिंदी में करने लगे हैं। भात में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आगमन एवं उनके उत्पादों के प्रचार-प्रसार और पर्याटन की दृष्टि से आने वाले पर्यटकों के लिए भी हिंदी का ज्ञान होना परम आवश्यक है।
अतः यह अनुभव किया गया कि हिंदी न जानने वाले भारतीयों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं पर्यटकों की सुविधा के लिए एक ऐसी पुस्तक तैयार किए जिससे वे थोड़े समय में सहता से हिंदी का व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त कर सकें और उनमें हिंदी बोलने, समझने, पढ़ने व लिखने की क्षमता विकसित हो सकें।
इस दिशा में यह पुस्तक हमारा छोटा सा प्रयास है। इस पुस्तक में हिंदी भाषा को सुरुचिपूर्ण तरीके से अति सरल एवं सहजतापूर्ण ढंग से समझाने का प्रयास किया गया है, ताकि पाठक इसे आसानी से ग्रहण कर सकें। इस पुस्तक के माध्यम से कोई भी हिंदी न जानने वाला व्यक्ति केवल एक माह के अल्प समय में ही व्यावहारिक हिंदी सीख सकता है।
आशा है कि यह पुस्तक हिंदीतर भाषी एवं विदेशों में रहने वाले हिंदी के जिज्ञासुओं को हिंदा सिखाने में बहुत ही अहम भूमिका निभाएगी।
कुसुम वीर
मनोहर सिंह दोहरे
मनोहर सिंह दोहरे
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