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आदर्श घर-परिवार और महिलाएँ

सुधा गौतम

प्रकाशक : अमरसत्य प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 5617
आईएसबीएन :978-81-88466-54

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एक आदर्श परिवार के निर्माण के लिए कुछ मुख्य तथ्य ...

Aadarsh Ghar Parivaar Aur Mahileyen a hindi book by Sudha Gautam- आदर्श घर-परिवार और महिलाएँ - सुधा गौतम

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

‘आदर्श घर-परिवार और महिलाएँ’ पुस्तक में सुधा गौतम ने अपने अनुभवों के आधार पर जिन शीर्षकों के अंतर्गत जीवनोपयोगी महत्त्वपूर्ण बातों की जानकारी दी है, उनमें से कुछ शीर्षकों को यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है। आशा है, यह पुस्तक महिलाओं के साथ-साथ पूरे परिवार के लिए उपयोगी सिद्ध होगी :

भूमिका

महिलाएँ परिवार की धुरी हैं। जब एक युवती गृहस्थ आश्रम में प्रवेश कर अपना परिवार बढ़ाती है तो काफी कुछ जानने के बाद भी बहुत कुछ बातें ऐसी रह जाती हैं जो कि मामूली होते हुए भी काफी अनमोल होती हैं। घर में बड़े-बुजुर्ग, पति और बच्चों के साथ कैसे सामंजस्य बनाया जाए-बढ़ते बच्चों का आहार, अपना स्वास्थ्य और सौंदर्य-बच्चों की परेशानियों से कैसे निबटा जाए—पारिवारिक झगड़े, मनमुटाव दूर करने के सुझाव और साथ ही सबकी सेहत का ध्यान कैसे रखा जाए-इन सभी समस्याओं के लिए कुछ न कुछ अनमोल बातें जरूर हैं।
ये अनमोल बातें मैंने अपनी दादी, नानी और माँ के अनुभव से ली हैं और साथ ही पत्रिकाओं और समाचार-पत्रों का लाभ लिया है।
आशा है, यह पुस्तक महिलाओं के साथ-साथ पूरे परिवार के लिए भी महत्त्वपूर्ण एवं उपयोगी सिद्ध होगी।

-सुधा गौतम

जिन्दगी को खूबसूरत बनाने के लिए


विवाहित जीवन में जब दो भिन्न विचारधाराओं के लोग एक-दूसरे के साथ रहते हैं तो उनको छोटी-छोटी बातों को

भूलकर अपनी गृहस्थी सँभाले रखनी चाहिए। जीवन का असली सुख तो पति-पत्नी के अपने हाथों में ही है। यदि वे चाहें तो यह सुख वे धैर्य और अपनी समझ से पा सकते हैं। शादी से पहले हर लड़के या लड़की के मन में एक स्वस्थ, सुंदर और
रोमांटिक जीवनसाथी की छवि होती है, लेकिन सुंदर होना ही सबकुछ नहीं है बल्कि जीवनसाथी का गुणवान, धैर्यवान और दूरदर्शी होना ज्यादा अहमियत रखता है।
पति-पत्नी को एक-दूसरे की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए। उन्हें एक-दूसरे की खुशी और गम को बराबर शेयर करना चाहिए।
प्यार को खुलकर दर्शाएँ, जिससे रिश्ते में मजबूती आए।

अपनी कमियों और भूलों को स्वीकार कर लेना चाहिए, क्योंकि कमी तो हर इंसान में होती है।

विवाह को सफल बनाने के लिए एक-दूसरे पर अटूट विश्वास करें। किसी की भी बातों में आकर अपना विश्वास न तोड़ दें।
प्यार और दोस्ती के साथ रहकर जिंदगी को खूबसूरती से जिएँ।

पति को इस बात का घमंड नहीं होना चाहिए कि मैं कमाता हूँ और मेरी पत्नी आराम से घर में रहती है, क्योंकि पत्नी भी घर-गृहस्थी चलाने के लिए जी-तोड़ मेहनत करती है। और यही सच है, एक अकेला आदमी या औरत न गृहस्थी बसा सकते हैं और न ही चला सकते हैं।
लड़कियों को मायके की तारीफ नहीं करनी चाहिए, इसे ससुराल वाले अपना अपमान मान सकते हैं।
पति को ज्यादा व्यस्त न रह कर घर-परिवार के लिए समय जरूर निकालना चाहिए।
कुछ घरों में पति अपनी पत्नी से असम्मानजनक व्यवहार करते हैं, ऐसा करके वे अपनी पत्नी के दिल में अपने लिए प्यार और समर्पण की जगह नफरत पैदा करते हैं। पत्नी को भी इज्जत देना चाहिए।
पति-पत्नी का रिश्ता खून का नहीं होता, लेकिन उससे भी बढ़कर होता है। इस रिश्ते में प्यार, समर्पण और विश्वास होता है। इस रिश्ते की डोर बड़ी नाजुक होती है, इसे मजबूती से पकड़ कर रखना चाहिए।


छोटी-छोटी बातों से न हों परेशान



समस्याएँ सभी की जिंदगी में आती हैं। अगर आप छोटी-छोटी बातों से परेशान होंगे तो अपना स्वास्थ्य तो खराब करेंगे ही, साथ ही अपने घर का माहौल खराब करेंगे, जिसका असर बच्चों पर पड़ेगा।

बच्चों, रिश्तेदारों, पति या सहेली की छोटी-छोटी गलतियों को हँसकर टाल जाएँ क्योंकि टोका-टाकी से घर का माहौल तनावपूर्ण बनता है।

अगर आप बाजार गई हैं, आते समय रिक्शा किया है, अगर रिक्शे वाला एकाध रुपया ज्यादा माँग रहा है तो चीखें-चिल्लाएँ नहीं, शांति से उससे बात करें, नहीं तो दूसरा रिक्शा ले लें।

अगर मन में उलझन हो तो मन ही मन खीझने के बजाय शांत रहकर दूसरों की राय लेकर उसका समाधान करने की कोशिश करें।
टी.वी. पर आपका मनपसन्द कार्यक्रम आ रहा है और लाइट चली जाती है तो परेशान न होकर अपनी मनपसंद पत्रिका उलटने लगें या फिर अपना मनपसंद गाना सुनें। आप थोड़ी देर में टी.वी. की बात भूल जाएँगी।

अगर बच्चे स्कूल के टेस्ट में पिछले टेस्ट से कम नम्बर आए हैं तो उसे डाँटने या मारने की बजाय उससे पूछें कि क्या कारण है और उसे अच्छे नम्बर लाने के लिए प्रोत्साहित करें।

यदि कामवाली बाई ने घर का एक कोना बिना पोंछे छोड़ दिया है या कोई बर्तन जानबूझकर नहीं धोया है तो उस पर चीखने की बजाय उससे शांति से कहें कि ‘‘तुमने शायद यह बर्तन नहीं धोया है, इसे धो दो।’’ अगर इसके बाद भी वह साफ नहीं करती तो उसे खुद साफ कर लें या शाम तक उसी के लिए छोड़ दें। वह खुद ही समझ जाएगी।


बाँधे रखें पति को



पति के काम करने की जगह पर बेवजह बार-बार फोन करके उन्हें डिस्टर्ब न करें।

आप कहाँ हो, कैसे हो, क्या कर रहे हो, कब आ रहे हो, खाना खाया कि नहीं इत्यादि बातों से वे उकता सकते हैं।
आपके प्यार में बनावटीपन या औपचारिकता उन्हें आपसे दूर कर सकती है।

छुट्टी का दिन उनके लिए छोड़ दें और उन्हें अपनी मर्जी से दिन बिताने दें।

घर-परिवार के समारोह या किसी भी पार्टी में उन्हें हर पल अपने साथ रखने का खयाल मन से निकाल दें।
अपने पति को अपनी जागीर समझकर उन पर हर वक्त हक न जमाएँ।

उनकी हरकतों पर नजर रखना, शक करना, इन सब बातों से दूरियाँ बढ़ जाती हैं।
आप उन्हें प्यार तो करें, लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर अपनी शारीरिक हरकतों पर नियंत्रण रखें।

आप अपने पति से कितना प्यार करती हैं, इसका ढिंढोरा हर जगह न पीटें।
अपनी पति की भी बातें सुनने का प्रयास करें, न कि अपनी ही बात को लेकर उन पर हावी हो जाएँ।
अपने पति की छोटी-छोटी बातों को भूलना सीखें।

बार-बार टोका-टाकी से जीवन में तनाव आ जाता है।
पति के परिवार के सदस्यों को प्यार और इज्जत दें।

अब तो शादी हो गई है अब किसके लिए सजें, यह सोचना गलत हैं। पति के लिए सजें-सँवरें।

परिवार की छोटी-छोटी बातें बाहर न ले जाएँ। शांति से उन बातों पर विचार करें और अपने किसी विश्वसनीय मित्र की ही सहायता लें। पति को अपनी पत्नी और पत्नी को अपने पति की राय, कोई भी फैसला करने से पहले जरूर कर लेनी चाहिए।
अपने साथी से किसी भी विषय पर बात करें, लेकिन बातचीत को बहस में न बदलने दें।

तनाव के क्षणों में आप उनके पास रहकर तनाव का कारण समझने और समाधान करने का प्रयास करें।

व्यस्त दिनचर्या में भी एक-दूसरे के पास बैठने, गपशप करने और योजनाएँ बनाने के लिए वक्त निकालें।

पत्नियाँ पति के घर पहुँचते ही समस्याओं का रोना न रोएँ और पतियों को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे भी अपनी पत्नियों को यह बात न सुनाएँ कि मैं तो घर के खर्च से तंग आ गया हूँ।

तारीफ करें। अपनी तारीफ सुनना पति और पत्नी दोनों को ही अच्छा लगता है।

समय-समय पर एक-दूसरे को ‘सरप्राइज गिफ्ट’ देकर अपनी भावनाएँ प्रकट करनी चाहिए।

अपनी सभी महत्त्वपूर्ण बातों में एक-दूसरे को राजदार बनाएँ, इससे आपसी भरोसा बढ़ता है।

एक-दूसरे की आलोचना न करें।
सप्ताह के अंत में कुछ नयापन लाएँ, जिससे इस भाग-दौड़ की जिंदगी में कुछ चैन और सुकून मिले।

रोमांसपूर्ण आकर्षण के लिए अपने पहनावे पर पूरा ध्यान दें। वही कपड़े पहनें, जो एक-दूसरे को अच्छे लगते हों।
प्यार-भरा एक स्पर्श अपनेपन के अहसास को और भी महका देता है।

कड़वी यादें भुला दें


यदि आपको किसी की बात बुरी लगती है तो आप उससे कुछ दिनों तक बात न करें।
किसी की कही गई बात को दिल से न लगाएँ।
कड़वी यादों से परेशान होकर आप अनजाने में ही तनावग्रस्त हो जाएँगी।

तनावग्रस्त व्यक्ति के दिल की धड़कन सामान्य से ज्यादा होती है और हार्ट अटैक की सम्भानाएँ बढ़ जाती हैं।
कोई बात दिल से लगा लेने से उच्च रक्तचाप, मधुमेह इत्यादि की शिकायत हो सकती है।

कड़वी यादों को भूलने का सबसे सरल तरीका है, उसके बारे में सोचना ही बंद कर दें।
अगर कोई आपको कड़वी बातें याद कराए तो उससे विनम्रतापूर्वक कोई और बात करने के लिए कहें।

मीठी बातें याद करने का प्रयास करें, इससे मन में खुशी छा जाती है।

अपनी उर्जा को सही दिशा में लगाएँ, न कि दूसरों के दिए दुःख को दिल से लगाकर अपनी जिंदगी खराब करें।

जब आप फोटो खिंचवाने जाएँ


अच्छा फोटो आए, इसके लिए आपको ऑरिजिनल ही लगना चाहिए, न कि कुछ खास मुद्रा बना लें। कुछ लोग ज्यादा ही कॉन्शस हो जाते हैं, जिससे उनके लुक पर प्रभाव पड़ता है।
अगर आप दिन में फोटो खिंचवा रही हैं तो ध्यान रहे कि सूर्य की रोशनी आपके चेहरे पर पड़े, जिससे चेहरे पर चौंध पैदा न हो।
फोटो खिंचवाते समय ठीक-ठीक मेकप करें। ऐसा नहीं लगना चाहिए कि मेकप से आपका चेहरा ओवर मेकप का शिकार हो गया है।
मेकप करते समय फाउंडेशन का इस्तेमाल जरूर करें, क्योंकि इसके प्रयोग से दाग-धब्बे तो छुप ही जाते हैं, साथ-साथ यह चेहरे को एकसार भी बना देता है।
अगर ज्यादा मेकप हो भी गया है तो उसे हल्का कर लें, क्योंकि ज्यादा मेकप से जबड़ों के पास की रेखाएँ और आँखों के आसपास की लाइने फोटो में अलग से ही दिखाई देंगी।
आई मेकप जरूर करें। इससे फोटो को नया लुक मिलेगा।
कपड़े अपने कॉम्पलेक्शन और शरीर से मैच करते हुए ही पहनें। लाल रंग चेहरे को स्वस्थ और ताजगी देता है। काला रंग लाइट को अवशोषित करता है, अतः फोटो थोड़ा काला आता है।

आप और आपका शारीरिक गठन


यदि आप कंधे झुका कर चलती हैं तो आपको स्पांडिलाइटिस की परेशानी हो सकती है।
रीढ़ की हड्डी सीधी नहीं रखेंगी तो कमर-दर्द हो जाएगा।

सीढ़ियाँ चढ़ते-उतरते समय अपने पाँव, कमर तथा गर्दन को सीधा रखें।

सही चप्पल का चुनाव करें। आपकी चप्पल न तो ज्यादा हाई हील वाली हो और न ही बिल्कुल सपाट हो। पेंसिल हील वाली न ही पहने तो अच्छा रहेगा।

कुर्सी पर बैठें तो रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।

जब आप चलें तो देखें, कहीं आप पैरों को घसीट तो नहीं रही हैं।
जब आप मुड़ें तो आराम से मुड़ें।

जब आप खड़ी हों तो एक पैर पर वजन न डालें, दोनों पैर पर बराबर बोझ डालें।

शरीर की सही स्थित जानने के लिए दीवार के सहारे सीधी खड़ी हो जाइए। पैरों की दीवार से तीन इंच की दूरी हो। सिर व कंधों को दीवार से सटा लें। पेट को अंदर की तरफ खींच लें। कूल्हों तथा घुटनों को एक सीध में रखें। पाँवों को 900 के कोण पर रखें। दोनों हाथों को सीधे साइड में रखें। आप अपनी शारीरिक गठन आदमकद शीशे में आसानी से देख सकती हैं।

आप और आपका परिधान यदि आप पतली दिखना चाहती हैं तो हल्के रंग पर खड़ी लाइनों वाले प्रिंट्स का चुनाव करें।

यदि आप पतली नहीं दिखना चाहती हैं तो हल्के रंग पर समानांतर लाइनों वाले प्रिंट्स का चुनाव करें।

यदि आप पीअर शेप्ड हैं तो लंबे व गहरे रंग के कार्डिगन पहनिए, इससे आप स्लिम लगेंगी।

यदि आप छोटे कद की हैं तो आपको कपड़े एक ही रंग के चुनने चाहिए। यानी आपका आउटफिट कंट्रास्ट न हो।

यदि आप मोटी हैं तो गहरे रंग के कपड़े पहनिए, जो ऊपर से नीचे तक एक ही रंग के हों।

यदि आप कुछ ज्यादा ही लंबी हों तो पोल्का डॉट प्रिंट का चुनाव करते समय कपड़े का बैकग्राउंड हलके रंग की हो। अगर

आप पतली और लंबी दिखना चाहती हैं तो छोटे और हल्के रंग के डॉट्स हों, पर बैकग्राउंड गहरे रंग की हो।
अगर आपका रंग साफ है और गुलाबी रंगत लिए हुए है तो आपको प्योर व्हाइट रंग का चुनाव करना चाहिए। यदि आपका कॉम्पलेक्शन पीच, आलिव या ब्राउन-ब्लैक लिए हुए है तो आपको ऑफ व्हाइट का चुनाव करना चाहिए।


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