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पुराण एवं उपनिषद् >> श्रीमद्भागवत पुराण

श्रीमद्भागवत पुराण

विनय कुमार अवस्थी

प्रकाशक : किताबघर लखनऊ प्रकाशित वर्ष : 2002
पृष्ठ :264
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 521
आईएसबीएन :81-7951-002-6

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श्रीमद्भागवत सभी उपनिषदों का सार और भगवत तत्त्वज्ञान का प्रकाशक सर्वोत्कृष्ट ग्रन्थ है। श्रीमद्भागवत की महिमा अवर्णनीय है। अन्य सभी पुराणों में इसके महत्व का वर्णन किया गया है। पद्म पुराण में इसे सर्वोपरि बताते हुए कहा गया है: "श्रीमत्भागवतामिधः सुरतरुस्तांराकुरः सज्जनिः"।

Shrimadbhagwat Puran - A hindi book by Vinay Kumar Awasthi

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

इस महापुराण के बारह स्कन्धों में निम्न रूप से ज्ञानतत्त्व बतलाया गया है :

प्रथम स्कन्ध - भक्तियोग और उससे उत्पन्न एवं उसे स्थिर रखने वाला वैराग्य।
द्वितीय स्कन्ध - ब्रह्माण्ड की उत्त्पत्ति एवं उसमें विराट् पुरुष की स्थिति का स्वरूप।
तृतीय स्कन्ध - उद्धव द्वारा भगवान का बाल चरित्र का वर्णन।
चतुर्थ स्कन्ध - राजर्षि ध्रुव एवं पृथु आदि का चरित्र।
पंचम स्कन्ध - समुद्र, पर्वत, नदी, पाताल, नरक आदि की स्थिति।
षष्ठ स्कन्ध - देवता, मनुष्य, पशु, पक्षी आदि के जन्म की कथा।
सप्तम स्कन्ध - हिरण्यकश्यिपु, हिरण्याक्ष के साथ प्रहलाद का चरित्र।
अष्टम स्कन्ध - राजवंशों का विवरण।
दशम स्कन्ध - भगवान श्रीकृष्ण की अनन्त लीलाएं।
एकादश स्कन्ध - यदु वंश का संहार।
द्वादश स्कन्ध - विभिन्न युगों तथा प्रलयों और भगवान के उपांगों आदि का स्वरूप।

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