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कैसे करें बच्चों का विकास ?

गीतिका गोयल

प्रकाशक : सुयश प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 5145
आईएसबीएन :978-81-904815-1

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बच्चों के विकास कैसे हों....

Kaise Kare Bachchon Ka Vikas

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

यह तो सभी जानते हैं कि आज के इस सामाजिक परिवेश में बच्चों के व्यक्तित्व का विकास कितना आवश्यक है। क्योंकि यदि हम अपने बच्चों के अंदर दबी हुई प्रतिभाओं को नहीं निखारेंगे अथवा उनके विकास में सहयोगी नहीं बनेंगे तो न ही हम उनका भविष्य बना पाएंगे और न ही देश के उज्जवल भविष्य में सहायक होगें। अतः यह आवश्यक है कि हम अपने बच्चों की प्रतिभा का विकास प्रारम्भ से ही शुरु करें। पुस्तक में बच्चों के व्यक्तित्व विकास से संबंधित अनेक विषयों पर चर्चा की गई हैं, जो आपके बच्चों के व्यक्त्वि-विकास में सहायक होंगे।
अंत में मैं पुस्तक से संबंधित उन सभी पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं का आभार व्यक्त करना चाहूँगी जिनके सहयोग के बिना पुस्तक को पूर्ण रूप देना असम्भव था। साथ ही चित्रकार मुकेश ‘नादान’ की भी आभारी हूँ जिन्होंने अपना अमूल्य समय देकर पुस्तक की कला-सज्जा का भार संभाला। अतः मुझे आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि यह पुस्तक प्रत्येक वर्ग के पाठकों के लिए संग्रहणीय एवं उपयोगी सिद्ध होगी।
-गीतिका गोयल

आपका बच्चा : ईश्वर का तोहफा


क्या आप जानते हैं कि आपके भीतर अपने बच्चों को प्रतिभाशाली बनाने की अद्भुत क्षमता है ? हाँ, आपके पास यह क्षमता है ! इस प्रगतिशील धारणा को पकड़कर रखिये। इसको अपनी मानसिक प्रक्रिया का एक हिस्सा बनाइये। और यह आपको या आपके बच्चे को एक साधारण तथ्य के कारण हीन या तुच्छ नहीं बनने देगा। यही सत्य है।
संसार के सभी बड़े-बड़े धर्मों तथा दर्शनों में, एक बच्चा ईश्वर का वरदान माना जाता है। क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की है कि ऐसा क्यों है ? क्योंकि प्रत्येक बच्चा कुदरत का चमत्कार है। जिस दिन शिशु का जन्म होता है, तब से ही स्पष्ट हो जाता है बच्चा अपनी छोटी-छोटी भुजाओं को हिलाता है, रोता है। एक नवजात शिशु यह सब प्रक्रियाएँ कैसे कर लेता है ?

जरा सोचो ! बचपन की अद्भुत घटनाओं को एक ताकत पूर्ण बल, बच्चों की विभिन्न लुभावनी प्रक्रियाएँ, ये सब प्रकृति द्वारा प्रदान की गयी, प्रेरणादायक घटनाएँ है। ईश्वर द्वारा दिया गया एक बड़ा तोहफा, जो बच्चे को बाह्य संसार से जोड़ता है। मस्तिष्क जो बहुत छोटा है; परन्तु इसका उपयोग बहुत अधिक है। एक स्थान जहाँ से वह अपने सपनों, प्रेरणाओं और इच्छाओं को पूरा करने के लिए बहुत से रास्तों को खोज लेता है, जो उसके लिए उपलब्ध हैं।

उसके मार्गदर्शन के लिए आप उसे जो कुछ भी उपलब्ध कराते हैं, वह उसे ग्रहण करता है। वह अपनी अन्तर्मुखी प्रतिभाओं को विकसित करने का प्रयास करता है। इसके लिए उसे अपार शक्ति व ऊर्जा की आवश्यकता होती है। जो वह आपकी सहायता से प्राप्त कर लेता है। इसके लिए आप भी बच्चे की सहायता करते हैं। आप उसे विश्वास दिला सकते हैं कि वह सीख सकता है। यह आपका भी निश्चय है कि आप उसमें आत्मविश्वास जगाते हैं। बहुत ही कम उम्र में उसके अंदर अपने गुणों को पहुँचाते हैं। आपके सहारे के बिना तथा विश्वास के बिना बच्चा कुछ भी नहीं सीख पायेगा और उसे अपनी असफलता का अहसास कमजोर और असहाय बना देगा, जिससे उसमें हीन भावना उत्पन्न हो सकती है। इसके अतिरिक्त बड़े बच्चों में आत्मविश्वास विकसित होता है। जिससे वे अपनी अन-उपयोगी ऊर्जा को छोड, नयी ताकत को ग्रहण कर सकते हैं।
किसी एन साइक्लोपीडिया को देखो तुम्हें संसार के सात अजूबों की लिस्ट मिल जायेगी। इजिप्ट का स्पफीनिक्स, बेबीलोन का झलता बगीचा, चीन की विशाल दीवार, भारत का ताजमहल, रोम का कब्रिस्तान, पीसा की मीनार। लेकिन संसार के ये सभी अजूबे कैसे आये ? इन सभी संरचनाओं के प्रेरणादायक स्रोत क्या थे।

इसके उत्तर के लिए आप स्वयं अपने अन्दर झांकें-इसका एक ही उत्तर आपको मिलेगा, दिमाग (बुद्धि) जो बहुत छोटे आकार का है। मुश्किल से आधे किलो ग्राम (500 किलोग्राम) मशरूम के बराबर, जो सफेद और सबेटी उत्तकों द्वारा निर्मित है। जिसमें लगभग 30 हजार न्यूरौन्स तथा कम से कम 150 हजार ग्लीयल सेल (glial cells) उपस्थित हैं। तुम्हारा बच्चा भी इसी छोटी रचना के साथ ही जन्म लेता है। यह ईश्वर द्वारा प्रदान किया गया कितना अद्भुत तोहफा है। यह सोचने वाली बात है कि यदि यह बुद्धि मस्तिष्क से अलग हो जाए तो संसार के सभी टेलीफोन एक्सचेंज इकट्ठे हो जायेंगे, जिसके कारण कभी अविविकृत होने वाले सभी तार्किक कम्प्यूटर्स पराजित हो जायेंगे।

सर्वाधिक उत्तेजित करने वाली खबर यह है, कि तुम्हारे बच्चे के पास यह विचित्र बुद्धि है। तुम्हारे बच्चे में यह विशाल रचना पूर्वजों से मिला उत्पाद हैं। परन्तु इस प्रजनक का क्या उपयोग है, यदि आपमें इसके प्रयोग करने की क्षमता नहीं है। इसका नियन्त्रण आपके हाथ में है कि आप इसका प्रयोग कैसे करते हैं ?

एक स्वस्थ वातावरण को उत्पन्न करें

एक अच्छे माता-पिता के समान आप अपने बच्चे को आश्रय प्रदान करते हैं। पोशाक पहनाते हैं उसे भोजन बड़े प्यार से खिलाते हैं। उसके खाने में हर अच्छी, स्वस्थवर्धक, पौष्टिक खाद्य-पदार्थ उपलब्ध कराते हैं। इसी प्रकार बच्चे को सर्वोत्तम सुख-सुविधाओं के साथ एक अच्छा माहौल व वातावरण उपलब्ध कराते हैं, तथा अच्छे स्वास्थ्यवर्धक, पौष्टिक तत्त्वों तथा अच्छे विचारों द्वारा उसके मस्तिष्क को स्वस्थ, तेज बनाते हैं। ये सब बच्चों को प्रगतिशील बनाने के लिए, काफी हैं।
आपके बच्चे का मस्तिष्क तरोताजा और अप्रदूषित है जो असीमित जमीन के एक टुकड़े के समान है। जिसमें घनी, उपजाऊ मि्टटी की प्रधानता है। यदि आप इसकी उपेक्षा या अवहेलना करेंगे, तो उसका मस्तिष्क बजा (जाहिल), वीरान तथा मन्द हो जायेगा। लेकिन यदि आप इस बंजर भूमि में सावधानी से ध्यानपूर्वक अच्छी शिक्षा का बीजारोपण करेंगे, तो आप एक मूल्यवान फसल काट सकेंगे और प्रतिभा को शिक्षित करेंगे।

आप अपने बच्चों के मस्तिष्क में अच्छे विचारों का समावेश कराइये, दिमाग की ताजगी और शुद्धता को बनाये रखिये। यह आपके बच्चे को देने के लिए, सबसे अच्छा आधार होगा। इमरसन जो हमारे समय के सबसे बड़े विचारक हैं, उनके अनुसार एक व्यक्ति वह है जो पूरे दिन के बारे में अच्छी तरह से सोचता है। वह प्रत्येक व्यक्ति को स्वस्थ रहने के बारे में जागरूक करता है, जो शिक्षाप्रद अच्छे विचारों से आपके बच्चे को प्रेरित करता है। तत्पश्चात् एक स्वस्थ, शिक्षित जीवन का मार्गदर्शन करता है। इस प्रकार बच्चों के बहुत से उदाहरण हैं, जो स्वयं को अद्भुत व विचित्र प्रकार से प्रदर्शित करते हैं। ऐसा ही एक बच्चा था, जिसको वेदों के संस्कृत श्लोक कण्ठस्थ थे। इसी प्रकार एक अन्य बच्चा जो कम्पेचिया में स्थित अंकोरवार के मंदिर के बारे में आपको सारी जानकारी दे सकता था, वह आपको बताता था, कि यह मन्दिर भगवान विष्णु जी को समर्पित है। जो राजा सूर्यवर्मन द्वितीय द्वारा बनवाया गया था। यद्यपि एक अन्य बच्चा जो धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलने में सक्षम था। ऐसे बच्चे भी थे, जो किसी भी बड़ी संख्या की गणना एक ही दृष्टि में आपके कैलकुलेटर से पहले कर सकते थे।

क्या प्रत्येक ऐसा बच्चा प्रतिभाशाली (जीनियस) है ? हाँ, लेकिन जब हम ऐसे प्रतिभाशाली बच्चों को देखकर प्रभावित या अचम्भित होते हैं। हमें उनके कोमल, मस्तिष्क में, बहुत-सी भावनाओं व शुद्ध विचारों को भरना नहीं रोकते। अपने बच्चे में प्रतिभा जागरूक करने के लिए, माता-पिता बच्चे के लिए अच्छा वातावरण व माहौल प्रदान करते हैं, जो उनकी परवाह करते हैं, और सबसे महत्वपूर्ण उन पर विश्वास करते हैं।

अपने बच्चे को हौसला दो

यदि आप अपने बेटे को केवल एक उपहार देते हैं, जो वह उसका उत्साह बढ़ाता है। क्या आप उन गौरवशाली अभिभावकों के समान बनना पसन्द नहीं करेंगे जो आश्चर्य से चिल्लाकर कहते हैं, कि मेरा एक साल का बेटा पढ़ सकता है। क्यों नहीं, आप जरूर ऐसे अभिभावक बनना चाहेंगे, और आप इसे सच करके दिखला भी सकते हैं। लेकिन इस विधि को बताने से पहले मैं सोचता हूँ कि तु्म्हारे मस्तिष्क में एक अत्यधिक महत्वपूर्ण प्रश्न जाग्रत हो। यह प्रश्न है कि क्या आप एक जिम्मेदार माता-पिता है, स्वयं से पूछें। इसके लिए कुछ ईमानदार, अध्यात्मिक खोज की आवश्यकता है। लेकिन यह इसके लिए उचित होगा। क्यों ? दुबारा फिर से अपने आप से यह सवाल करो। मैं क्यों चाहता हूँ कि मेरा एक साल का बच्चा पढ़े ? मैं क्यों चाहता हूँ कि मेरा बेटा प्रतिभाशाली बने ? मैं इससे अधिक प्रयत्न नहीं कर सकता। सर्वाधिक महत्वपूर्ण-इस प्रश्न की परम आवश्यकता है। तुम्हारा अभिप्राय अपने उद्देश्य से सम्बन्धित होना चाहिए। क्योंकि इसका प्रभाव तुम्हारे बच्चे पर पड़ेगा।

प्रत्यक्ष रूप से हम शुरू करें, तुम चाहते हो कि तुम्हारा बच्चा प्रतिभाशाली बने। क्योंकि तुम उसे अच्छा बनाना चाहते हो। तुम चाहती हो कि तुम्हारा बच्चे हमेशा सफलता प्राप्त करे। एक प्रशंसनीय लक्ष्य प्राप्त करें लेकिन वह एक उद्देश्य प्राप्त कर्ता होने वाला हो। तुम यह भी चाहते हो कि तुम्हारा बच्चा स्वतंत्र, प्रसन्न तथा परिपूर्ण व्यक्ति बने, वह एक अनोखा क्रियाशील व्यक्ति बने, वह जो भी करे उसका आनन्द प्राप्त करे। एक बार तुम्हें अपने दिमाग में स्पष्ट करना है कि तुम पहला कदम उठाने के लिए तैयार हो। परन्तु प्रत्येक कदम पर तुम्हें एक घनात्मक सिद्धांत याद रखना है, कि मैं अपने बच्चे के लिए सब कुछ अच्छा चाहता हूँ इसलिए मुझे अपने बच्चे के लिए अच्छे से अच्छा वातावरण प्रदान करना चाहिए। यह बात अपने दिमाग में रख लेनी चाहिए। जितना भी ज्यादा से ज्यादा आप इसे दोहराना चाहें दोहरा सकते हैं। इसे भी भोजन के समान अपनी दिनचर्या में शामिल कर लेना चाहिए। इस प्रकार तुम सचेत होकर एक उत्तेजित, ऊर्जावान वातावरण उत्पन्न कर सकोगे। तुम्हारे सकारात्मक सोच का तरीका तुम्हारे बच्चे की बुद्धिमत्ता को अत्यधिक शिक्षित करेगा। तथा इस नशे में जीवन को सक्रिय वातावरण मिलेगा, और तु्म्हारे बच्चे की प्रतिभा की उन्नति व विकास होगा।

बच्चे बहुत संवेदनशील होते हैं। इसलिए आपके डॉक्टर बोलने का या तीव्र ध्वनि का उनके मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है इसलिए आपको बच्चों से बातचीत के दौरान मधुर, विनम्र ध्वनि का प्रयोग करना चाहिए। यदि आप अपने बच्चों का मार्गदर्शन, बहुत समझदारी के साथ विनम्रतापूर्वक करते हैं तो वह कुछ भी सीखने के लिए उत्सुक रहता है। अर्थात् बच्चा प्यार से, सहजता से, बहुत जल्दी सीख सकता है। यदि आप उसे जोर-जबरदस्ती से कुछ भी कार्य उस पर थोप कर करवाते हैं तो वह मन मारकर उस कार्य को करेगा और जब वह मन लगाकर कार्य नहीं करेगा तो उसके सीखने की जिज्ञासा भी नष्ट हो जाती है। बच्चे के लिए कुछ भी सीखना एक आनन्दित अनुभव होता है। लेकिन तब जब बड़े उसे यह महसूस करायें कि उसमें सब कुछ सीखने की हर असम्भव कार्य करने की क्षमता है, अत: उसमें जिज्ञासा उत्पन्न करना जरूरी है।

बच्चों से कुछ खास उम्मीद ही रखें

बच्चों को शारीरिक रूप से लगभग छ: साल तक की उम्र ही प्राप्त है अर्थात् छ: साल तक की उम्र के सभी बच्चे मान जाते हैं। यदि आप बच्चों को किसी भी विषय के बारे में समझाते हैं तो वह दो मिनट से अधिक आपकी बात ध्यानपूर्वक नहीं सुन सकता। उदाहरणस्वरूप यदि आप अपनी बेटी को कुछ समझा रहे हैं तो वह दो मिनट के बाद आपकी बात में दिलचस्पी लेना बन्द कर देती है, और अपने आपको बंधा हुआ महसूस करती है तथा अपनी गुड़िया से खेलना शुरू कर देती है। बहुत प्रसिद्ध शिक्षाप्रद सीरियल जैसे (Sesame Street) ने इस बिन्दु को ध्यान में रखकर ही यह सीरियल बनाया जो बच्चों के लिए था। इसलिए बच्चे को कुछ भी सीखने के लिए या आपकी बात को मनाने के लिए दबाव डालने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। क्योंकि जबरदस्ती बच्चा कुछ भी नहीं सीख पाता। बल्कि वह झल्ला उठता है। आपको इसके लिए धैर्य से काम लेना होगा। यदि आप अपने बच्चे से बहुत बड़ी-बड़ी उम्मीद लगाये हुए बैठे हैं आपके अनुसार अपने बच्चे को ढालने की कोशिश कर रहे हैं तो इससे आपका बच्चा खिन्न हो जायेगा। और अपनी सारी ऊर्जा को ऐसे ही बरबाद कर देगा।

ये दोनों बिन्दु आपके लिए क्यों बहुत महत्वपूर्ण हैं ? क्योंकि माता-पिता को ही अपने बच्चे के लिए मानवीय होना पड़ेगा। क्योंकि वे अपने प्रति उत्सुक रहते हैं अपने बच्चे के लिए। और अपने आपको अति व्याकुल बना लेते हैं। तुम्हारी अधीरता में यद्यपि तुम्हारे उतावलापन में भी बच्चे की प्रतिभा दब जाती है। इस उतावले पन में बच्चा एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारक भूल जाता है वह है बच्चे की अपनी खुशी। जहाँ ऐसी सम्भावना हो वहाँ इसको नियन्त्रित कर इसके अध्ययन की आवश्यकता है। तुम्हारा सहज ज्ञान तु्म्हें तुम्हारे बच्चे के मार्ग दर्शन के लिए प्रेरित करेगा। बच्चे, (बेटे या बेटी) की प्रतिभा तुम्हारे आशीर्वाद और खुशी के कारण होनी चाहिए, एक बोझ के कारण कभी नहीं।
सर जुलियन हवसले ने लिखा था-हम मनुष्य पृथ्वी का विशाल भविष्य बनाने की भी सम्भावना रखते हैं। और इसके लिए अधिक से अधिक परिस्थितियों को वास्तविक स्वरूप देते हैं। इससे हम अपने ज्ञान और प्रेम को बढ़ाते हैं। प्रेम और ज्ञान वह है जिससे आपको अपने बच्चे को गुप्त ज्ञान देना चाहिए।

आज हम ऐसे संसार में रह रहे हैं जहाँ प्रतिभा के लिए उपयुक्त परिस्थितियाँ हैं। कभी नयी-नयी खोजें, कभी उत्परिवर्तन, कभी अन्तरिक्ष की ऊँचाइयों को छूने की चेष्टा, आदि आज के युग में सम्भव है। आज संसार के प्रत्येक कोने में हमारे लिए नयी-नयी सूचनाएँ अधिक से अधिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं। ज्ञान से आपके बच्चे को नये संसार के रिश्तों के बारे में समझने में सहायता मिलेगी। शताब्दियाँ गुजर जाने के उपरान्त संसार बपर्फ युग के पत्थरों के युग में विकसित हुआ। पिफर कांस्य युग और इस प्रकार युगों में बदलता रहा। प्रत्येक युग में मनुष्य ने बहुत बड़े-बड़े बदलाव किये। और शुरू से बड़ी-बड़ी चुनौतियाँ स्वीकार कीं, यद्यपि अपने जीवन को सुविधाजनक व अच्छा बनाने के लिए उसने अत्यधिक चुनौतीपूर्ण वातावरण को स्वीकार किया। अब वह सूचना प्रौद्योगिकी के युग में हैं। जहाँ वह विभिन्न प्रकार के मीडियाओं से घिरा हुआ है। जैसे अखबार, पत्रिकाएँ, वीडियो, कम्प्यूटर और इस प्रकार की अन्य सामग्री। लेकिन इन विशाल जटिल, अत्यधिक कुतर्क पूर्ण रचनाओं के जाल का सम्बन्ध आपस में बहुत कमजोर है जो कि मनुष्य के दिमाग की उपज है।

इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है कि हमें यह महसूस हो कि संसार सिकुड़ रहा है। मस्तिष्क एक साथ कई चीजों को एकत्र कर सकता है, ग्रहण कर सकता है और पचा सकता है। और इन सूचनाओं के विस्तृत स्वरूप की प्रतिक्रिया कर सकता है। वस्तुत: तुम्हारा बच्चा जिस दिन पैदा हुआ है। उस दिन से वह सूचना के युग का नागरिक बन गया। जिस क्षण से नवजात शिशु ने जोर-जोर से रोकर इस युग में प्रवेश करने की घोषणा कर दी उस दिन से बच्चे ने इस वातावरण में कदम रख दिया। और तब ही से उसने अपनी योग्यताओं की परीक्षा देनी शुरू कर दी। और यदि आप अपने बच्चे के साथ समझदारी से पेश आते हैं, उसे समझते ही उसकी योग्यताओं और क्षमताओं से उसे अवगत कराते हैं तो वह सब कुछ इतनी आसानी से पा लेगा जितनी आसानी से एक केक खाता है।

प्रेम और सहजता से बच्चे को ज्ञान दें

एक जिम्मेदार अभिभावकों के समान तुम्हें एक तथ्य पहचानना पड़ेगा तथा उसे स्वीकार करना पड़ेगा कि तुम और तुम्हारा बच्चा एक परिवर्तन शील युग में कदम रख चुके हैं या उसमें प्रवेश कर चुके हैं। शिक्षा के एक नये युग में जहाँ आप बच्चे को बड़े प्रभावशाली ढंग से आधुनिक तरीके से और गतिशील विचारों से शिक्षित कर सकते हैं। जहां पारम्परिक शिक्षा की अपेक्षा आधुनिक शिक्षा की महत्ता हो। वस्तुत: शिक्षित माता-पिता अपने बच्चे को घर पर ही अच्छी शिक्षा देकर उसे प्रतिभाशाली बना सकते हैं। और सही माता-पिता के समान उनका अच्छा मार्ग-दर्शन कर सकते हैं। आप बहुत आरम्भिक उम्र में ही बच्चे की बुद्धिमत्ता को बढ़ा सकते हैं, तथा उसे प्रेरित कर सकते हैं। वह कम उम्र में ही अच्छा बन सकता है।
जैसा कि यह पहले ही बताया गया कि तुम्हारा ही स्वभाव तुम्हारे बच्चे पर पड़ेगा जैसा व्यवहार आप करेंगे, आपका बच्चा भी वैसा ही सीखेगा। यदि आप सही वातावरण उत्पन्न करेंगे या सीखने का मजाकिया ढंग अपनाएंगे तो आपका बच्चा भी इसी रास्ते पर चलकर प्रतिभाशाली बनेगा। मैं आपको हमेशा यही सुझाव दूँगा कि बच्चे पर कभी भी बोझ न डालें जिससे वह ऊबकर अपनी सारी जिज्ञासाओं को मार डाले।

फिर भी यदि आप एक शिक्षित माता-पिता हैं तो आप अच्छी तरह से कैसे करें बच्चों का विकास ? पूछ सकते हैं कि मेरा एक साल का बच्चा (बेटा या बेटी) पढ़ना सीख कर, क्या प्राप्त कर पायेगा। मुझे उस तरह अपनी बात रखने दो- कि तुम्हारे बच्चे के पास सीखने के लिए सब कुछ है, और छोड़ने के लिए कुछ भी नहीं। जैसे ही मैं इसे जारी करूँगा, मैं इस बारे में कहूँगा।

बहुत कम उम्र में ही बच्चे को पढ़ना सिखाना या पढ़ने से अवगत कराने से आप एक ताजगी भरे दिमाग में ज्ञान की ताकतवर धरा प्रवाहित कर रहे हैं। और ऐसा करके आप बहुत बड़े संसार का दरवाजा खोल रहे हैं। जो एक पारम्परिक वातावरण से घिरा हुआ है। वह इस वातावरण में तब प्रवेश करेगा जब वह 4 या 5 साल का होगा। ऐसा करके आप उसे सबसे ऊंचा सितारा प्रदान कर रहे हैं। इस प्रकार उसको बहुत प्रेरित या उद्दीपित कर आप बच्चे की प्रदर्शित योग्यताओं को उठा रहे हैं या उसे बढ़ावा दे रहे हैं, इस प्रकार संसार में काल्पनिक सोच की आवश्यकता है।

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