नाटक एवं कविताएं >> पीली सरसों पीली सरसोंमृदुला प्रधान
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पीली सरसों का खिलना खुशी और उत्साह का द्योतक है। किताब के नाम के पीछे यही भावना है।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
भूमिका
बसंत ऋतु के आगमन के साथ-साथ ही खेतों में
सरसों के फूल भी खिल जाते हैं।
पीली सरसों का खिलना खुशी और उत्साह का द्योतक है।
किताब के नाम के पीछे यही भावना है।
बच्चों के मन की बातें उन्हीं के अंदाज में लिखने का एक अलग ही आनन्द है।
उनकी बाल-सुलभ निश्छलता से और उनकी नन्ही किलकारियों से ही यह पुस्तक लिखी है।
आशा है आपको भी पढ़कर अच्छा लगेगा।
सरसों के फूल भी खिल जाते हैं।
पीली सरसों का खिलना खुशी और उत्साह का द्योतक है।
किताब के नाम के पीछे यही भावना है।
बच्चों के मन की बातें उन्हीं के अंदाज में लिखने का एक अलग ही आनन्द है।
उनकी बाल-सुलभ निश्छलता से और उनकी नन्ही किलकारियों से ही यह पुस्तक लिखी है।
आशा है आपको भी पढ़कर अच्छा लगेगा।
मृदुला प्रधान
पीली सरसों
पीली सरसों खिली-खिली
आया वसंत।
कोयल कूकी डाली-डाली
आया वसंत ।
खुशबू आई जो गली-गली
आया वसंत।
पुरवाई है चली-चली
आया वसंत।
आया वसंत।
कोयल कूकी डाली-डाली
आया वसंत ।
खुशबू आई जो गली-गली
आया वसंत।
पुरवाई है चली-चली
आया वसंत।
छुट्टी आई
पापा देखो छुट्टी आई
मुझे जरा बाजार घुमा दो,
लम्बी मोटर चाभी वाली
पटरी वाली रेल दिला दो।
पापा देखो छुट्टी आई
चलो-चलो आइसक्रीम खिला दो,
फोन एक मोबाइल लाल
और कम्प्यूटर का खेल दिला दो।
पापा देखो छुट्टी आई
यहाँ-वहाँ की सैर करा दो,
आज मुझे और मम्मी को
तुम ‘मैक डोनल’ में ‘लंच’ करा दो।
मुझे जरा बाजार घुमा दो,
लम्बी मोटर चाभी वाली
पटरी वाली रेल दिला दो।
पापा देखो छुट्टी आई
चलो-चलो आइसक्रीम खिला दो,
फोन एक मोबाइल लाल
और कम्प्यूटर का खेल दिला दो।
पापा देखो छुट्टी आई
यहाँ-वहाँ की सैर करा दो,
आज मुझे और मम्मी को
तुम ‘मैक डोनल’ में ‘लंच’ करा दो।
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