मनोरंजक कथाएँ >> प्रेरक बाल कहानियाँ प्रेरक बाल कहानियाँमुकेश नादान
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बाल कहानी संग्रह...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
लालच का फल
बहुत समय पहले की बात है। किसी गाँव में एक ब्राह्मण परिवार
रहता
था। पण्डित दीनदयाल उस परिवार के मुखिया थे। गांव के सभी लोग पण्डित जी का
आदर करते थे।
एक दिन अचानक पण्डित जी के घर से उनकी पत्नी व बच्चों के रोने की आवाज आई। लोगों ने जैसे ही पण्डित जी के घर जाकर देखा उन्हें पता लगा कि पण्डित जी का अचानक देहान्त हो गया है। परिवार का रोना-बिलखना देखकर गांव वालों की आँखों में भी आँशू आ गए। सभी गाँव वालों ने मिलकर पंण्डित जी का दाह-संस्कार कर दिया।
धीरे-धीरे समय बीतता गया। पण्डित जी के परिवार वालों को भी धैर्य आ गया। मनुष्य जन्म लेता है और मरता है, किन्तु आत्मा नहीं मरती। आत्मा केवल शरीर बदलती है। पण्डित जी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उनकी आत्मा ने एक सुनहरे हंस का रूप ले लिया। हंस को अपना पूर्व जन्म अभी तक याद था।
वह जब भी अकेला होता अपने परिवार की याद उसे सताने लगती। वह यह सोचकर दुखी रहता कि न जाने उसकी पत्नी व बच्चे किस हाल में होंगे। यह सोचते-सोचते वह दूर अपने परिवार की खोज में निकल पड़ा।
एक दिन अचानक पण्डित जी के घर से उनकी पत्नी व बच्चों के रोने की आवाज आई। लोगों ने जैसे ही पण्डित जी के घर जाकर देखा उन्हें पता लगा कि पण्डित जी का अचानक देहान्त हो गया है। परिवार का रोना-बिलखना देखकर गांव वालों की आँखों में भी आँशू आ गए। सभी गाँव वालों ने मिलकर पंण्डित जी का दाह-संस्कार कर दिया।
धीरे-धीरे समय बीतता गया। पण्डित जी के परिवार वालों को भी धैर्य आ गया। मनुष्य जन्म लेता है और मरता है, किन्तु आत्मा नहीं मरती। आत्मा केवल शरीर बदलती है। पण्डित जी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उनकी आत्मा ने एक सुनहरे हंस का रूप ले लिया। हंस को अपना पूर्व जन्म अभी तक याद था।
वह जब भी अकेला होता अपने परिवार की याद उसे सताने लगती। वह यह सोचकर दुखी रहता कि न जाने उसकी पत्नी व बच्चे किस हाल में होंगे। यह सोचते-सोचते वह दूर अपने परिवार की खोज में निकल पड़ा।
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