बाल एवं युवा साहित्य >> प्राणी-जगत के आश्चर्य प्राणी-जगत के आश्चर्यसुरेन्द्र
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प्राणी जगत के पशु पक्षियों का वर्णन।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
प्राणी जगत के आश्चर्य
‘उड़न-मत्स’ कितना भाग्यशाली है कि यह तैरती तो है ही, उड़ती
भी है। पर यह पक्षी की तरह नहीं उड़ती है। इनके पंख (fins) इतने ज्यादा
चौड़े होते हैं कि वे इसे हवा में कुछ देर तक उड़ाए रखें।
यह पानी की सतह के थोड़ा ही नीचे तैरती है। जैसे ही कोई बड़ी मछली इसका शिकार करने इसकी तरफ बढ़ती है यह पानी से ऊपर उछल जाती है और हवा में उड़ती सी दिखाई देती है, पर इतनी देर में यह काफी फासला तय कर लेती है।
पुराने जमाने के नाविकों ने इसे जब उड़ते देखा तो हैरान रह गए। दरअसल यह हवा में ग्लाइड कर रही थी। वे समझे कि यह हवा में उड़ रही है। यह मछली-जगत की एकमात्र मछली है जो उड़ सकती है या आप कह सकते हैं ग्लाइड कर सकती है। अपनी इसी विशेषता से यह दुश्मनों से बची रहती है।
बहुत से प्राणियों का शिकार मनुष्य ने इतनी निर्ममता से किया कि वे लुप्त हो गए।
उस जाति का कोई अन्तिम प्राणी भी न बचा। डोडो भी उन्हीं में से एक है।
उनका मांस स्वादिष्ट होने के कारण मनुष्य ने इसे अन्धा-धुन्ध मारा। यहाँ तक कि यह प्रजाति ही नष्ट हो गई। अब इसे म्यूजियम में ही देखा जा सकता है।
यह पानी की सतह के थोड़ा ही नीचे तैरती है। जैसे ही कोई बड़ी मछली इसका शिकार करने इसकी तरफ बढ़ती है यह पानी से ऊपर उछल जाती है और हवा में उड़ती सी दिखाई देती है, पर इतनी देर में यह काफी फासला तय कर लेती है।
पुराने जमाने के नाविकों ने इसे जब उड़ते देखा तो हैरान रह गए। दरअसल यह हवा में ग्लाइड कर रही थी। वे समझे कि यह हवा में उड़ रही है। यह मछली-जगत की एकमात्र मछली है जो उड़ सकती है या आप कह सकते हैं ग्लाइड कर सकती है। अपनी इसी विशेषता से यह दुश्मनों से बची रहती है।
बहुत से प्राणियों का शिकार मनुष्य ने इतनी निर्ममता से किया कि वे लुप्त हो गए।
उस जाति का कोई अन्तिम प्राणी भी न बचा। डोडो भी उन्हीं में से एक है।
उनका मांस स्वादिष्ट होने के कारण मनुष्य ने इसे अन्धा-धुन्ध मारा। यहाँ तक कि यह प्रजाति ही नष्ट हो गई। अब इसे म्यूजियम में ही देखा जा सकता है।
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