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नाटक एवं कविताएं >> बकरी माँ

बकरी माँ

दयाशंकर मिश्र

प्रकाशक : परमेश्वरी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5032
आईएसबीएन :81-902485-8-8

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गीत के द्वारा बकरी के जीवन की रोचक कहानी।

Bakari Maa -A Hindi Book by Dayasankar Mishra - बकरी माँ - दयाशंकर मिश्र

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

बकरी माँ

एक जंगल था।
जंगल में एक बकरी थी।
बकरी के चार बच्चे थे।
बकरी बच्चों को बहुत प्यार करती थी।
मीठा-मीठा दूध पिलाती थी।
हरी-हरी घास खिलाती थी।
बकरी माँ शाम को घर लौटती थी।
दरवाजे पर आकर कहती थी-
‘‘बड़ी दूर से आई हूँ।
हरी घास मैं लाई हूँ।।
करने आई तुमको प्यार।
खड़बड़-खड़बड़ खोलो द्वार।’’
यह सुनकर बच्चे दौड़ते थे।
दौड़ कर किवाड़ खोलते थे।
एक दिन बकरी माँ शाम को लौटी
एक भेड़िया वहीं छिपा खड़ा था।
भेड़िये ने बकरी माँ की बात सुन ली।
दूसरे दिन बकरी जंगल में चली गई।
बकरी के जाते ही भेड़िया आया।
भेड़िए ने सोचा-मैं भी इसी तरह किवाड़ खुलवाऊँगा।
फिर चारों बच्चों को खा जाऊँगा।
भेड़िया दरवाजे पर आकर बोला-
‘‘बड़ी दूर से आई हूँ।
हरी घास मैं लाई हूँ।।
करने आई तुमको प्यार।
खड़बड़-खड़बड़ खोलो द्वार।।’’
बच्चे किवाड़ खोलने के लिए दौड़े।
छोटे बच्चे ने कहा-‘‘ठहरो !
यह अपनी बकरी माँ नहीं है।


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