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80 दिन में दुनिया की सैर

श्रीकान्त व्यास

प्रकाशक : शिक्षा भारती प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5021
आईएसबीएन :9788174830128

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जुले वर्न के प्रसिद्ध उपन्यास एराउण्ट दि वर्ल्ड इन एट्टी डेज का सरल हिन्दी रूपान्तर..

80 Din Mein Duniya Ki Sair A Hindi Book by Srikant Vyas - 80 दिन में दुनिया की सैर -

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

80 दिन में दुनिया की सैर सन् 1872 की बात है। लन्दन के बर्लिंगटन गार्डन्स नामक मुहल्ले के उस मकान में, जिसमें कुछ बरस पहले प्रसिद्ध नाटककार शेरीडन रहता था, लन्दन के ‘रिफार्म क्लब’ के एक सदस्य मिस्टर फाग रहते थे। मिस्टर फाग हालांकि अंग्रेज थे, लेकिन वह लन्दन के बाहर नहीं गए। उनका काम था दिन-भर अखबार पढ़ना और शाम को क्लब में ताश खेलना। वह अपने मकान में अकेले रहते थे। उनके यहाँ कभी कोई मिलने-जुलने वाला भी नहीं आता था। सिर्फ एक नौकर उनके यहाँ काम करता था।

मिस्टर फाग कुछ सनकी दिमाग के आदमी थे। वह नौकर से पूरी मुस्तैदी से काम लेते थे। वह चाहते थे कि हर चीज़ ठीक हो, और जैसा हुक्म दिया जाए, उसका ठीक-ठीक पालन किया जाए। उनका नौकर जेम्स उनकी आदत समझ गया था और बहुत संभलकर काम करता था।

लेकिन जिस दिन से हमारी यह कहानी आरम्भ हो रही है, यानी दो अक्टूबर को मिस्टर फाग ने जेम्स को अपने यहाँ से काम छो़ड़कर चले जाने का नोटिस दे दिया। जेम्स का अपराध यह था कि वह मिस्टर फाग के लिए दाढ़ी बनाने का पानी 86 डिग्री फारेनहाइट के बजाय 84 डिग्री तक ही गरम कर के लाया था। बात छोटी-सी थी, लेकिन मिस्टर फाग इस तरह की लापरवाही को पसन्द नहीं करते थे। उन्होंने जेम्स की जगह एक अन्य नौकर को बुलवाया था और उसी की प्रतीक्षा में बैठे थे।

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