मनोरंजक कथाएँ >> अद्भुत द्वीप अद्भुत द्वीपश्रीकान्त व्यास
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जे.आर.विस के प्रसिद्ध उपन्यास स्विस फेमिली रॉबिन्सन का सरल हिन्दी रूपान्तर...
फ्रिट्ज और जैक लगातार किसी ऐसी जगह की खोज कर रहे थे जहां गुफा बनाई जा सके। लेकिन मुझे अधिक उम्मीद नहीं थी। चट्टानें इतनी कड़ी और ठोस थीं कि उनकी खुदाई करना बहुत ही कठिन था। ऐसी हालत में पूरे परिवार के रहने योग्य गुफा बना पाना बालू से तेल निकालने के समान था। फिर भी, बाकी बची बारूद की हिफाजत के लिए एक छोटी-मोटी खोह तो बनानी ही थी। इसलिए अंदाज से एक जगह हमने गड़ा खोदना शुरू कर दिया। शुरू-शुरू में थोड़ी परेशानी हुई। लेकिन जैसे ही हम ऊपरी चट्टान काटकर आगे खोदने लगे तो पत्थरों का कड़ापन कम होने लगा और काम आसान होता गया। पत्थर काटने का काम हम हथोड़ों और लोहे के छेनीनुमा लम्बे डण्डों से कर रहे थे। हालांकि काम बहुत कठिन था लेकिन हमारे बच्चों में उत्साह भी कम नहीं था। वे प्रसन्न मन से मेरी मदद कर रहे थे। इसलिए दो दिनों में ही हमने सात फीट गहरा गड्ढा खोद डाला।
तीसरे दिन एकाएक जैक की विस्मयपूर्ण आवाज सुनाई दी, ''अरे पापा, अरे पापा, यह तो नीचे धंस गया !'' वह छेनीनुमा डंडे की ओर इशारा करते हुए कह रहा था। हमने देखा, सचमुच डंडे का आधे से अधिक हिस्सा नीचे धंसा हुआ था। जब हमने उसे ऊपर को खींचा तो तनिक भी जोर नहीं लगाना पड़ा। डंडा बड़ी आसानी से बाहर निकल आया और उस जगह एक छेद बन गया।
जब उस छेद को थोड़ा और बड़ा किया गया तो लगा, जैसे अंदर से जहरीली गैस बाहर निकल रही है। वहां सचमुच एक गुफा थी। मैंने इधर-उधर से थोड़ी-सी सूखी घास इकट्ठा की और उसे जलाकर अन्दर फेंका। लेकिन अन्दर जाते ही घास बुझ गई और एक तेज झोके के साथ बाहर आ गई। ऐसा लगा मानो अन्दर से किसी ने तेजी-से उसे बाहर ठेल दिया हो। इससे मेरी बात की पूरी तरह पुष्टि हो गई। गुफा के अन्दर ऐसी गैस भरी हुई थी जिसमें आग नहीं जल सकती।
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