मनोरंजक कथाएँ >> काला फूल काला फूलश्रीकान्त व्यास
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अलेक्जेंडर ड्यूमा के प्रसिद्ध उपन्यास ब्लैक ट्यलिप का सरल रूपान्तर...
Kala Phol
प्रस्तुत है पुस्तक के कुछ अंश
1
यह हालैण्ड की राजधानी हेग नगर की एक कहानी है। 20 अगस्त, सन् 1672 की बात है। उस दिन नगर की सड़कें लोगों की भीड़ से खचाखच भरी थीं। लोगों में कुछ बेचैनी और हड़बड़ी मालूम होती थी। सब न जाने किस बात से बहुत उत्तेजित थे।
वैसे यह बहुत शान्त नगर था। यहाँ के लोग बहुत भले थे और शान्तिपूर्ण जीवन बिताने वाले थे। लेकिन उस दिन सवेरे ही लोग न जाने किस बात पर उत्तेजित हो उठे थे। वे हाथों में तलवारें, कुल्हाड़ियाँ, लाठियाँ और छुरे लिए दौड़े चले आ रहे थे। कुछ लोगों के पास पुराने ढंग की तोड़ेदार बन्दूकें भी थीं।
असल में बात यह थी कि नगर के बीचों-बीच स्थिति ‘बीतेनहोफ’ नामक भयानक जेल खाने में हालैण्ड के प्रधानमंत्री जॉन-द-विट का भाई कार्नेलियस-द विट हत्या के आरोप में कैद करके रखा गया था। उस भयानक जेलखाने का खण्डहर आज भी हेग नगर में विद्यमान है।
उस समय हालैण्ड कई प्रान्तों में बँटा हुआ था। इन प्रान्तों पर कई वर्षों तक जॉन और कार्नेलियस का शासन था। लेकिन जब से यह कहानी शुरू होती है उसके कुछ समय पहले फ्रांस के राजा लुई चौदहवें ने हालैण्ड पर आक्रमण किया और हालैण्ड के डच-निवासियों ने अपने देश की रक्षा के लिए यह उचित समझा कि शासन-व्यवस्था में परिवर्तन कर दिया जाए। उन्होंने तनतंत्र को समाप्त कर दिया और ओरेज के राजकुमार विलियम को पूरे राज्य का प्रधान नियुक्त कर दिया। यही विलियम आगे चलकर इंग्लैण्ड के विलिमय तृतीय के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यह इंग्लैण्ड के चार्ल्स प्रथम का नाती और विलियम द्वितीय का पुत्र था।
कार्नेलियस उन दिनों हालैण्ड की विधानसभा का सदस्य था। उसने जनतंत्र को समाप्त करने की योजना का विरोध किया। इसलिए लोग उसके विरुद्ध भड़क उठे। उसको कैद कर दिया गया। उस समय उसकी उम्र 49 वर्ष की थी। विलियम की उम्र 22 वर्ष की थी। कार्नेलियस का भाई जॉन उसका शिक्षक था। जब शासन-व्यवस्था बदली तो जॉन ने खुशी-खुशी नई व्यवस्था को स्वीकार कर लिया, लेकिन कार्नेलियस ने इसका डटकर विरोध किया। जॉन को प्रधानमंत्री बनाया गया, क्योंकि उसने नई शासन-व्यवस्था को स्वीकार कर लिया था। लेकिन इससे उसका कोई लाभ नहीं हुआ। कुछ ही दिनों बाद उसकी हत्या का षड्यंत्र हुआ और एक आदमी ने उसको छुरा मार दिया। इस हमले से उसकी जान तो नहीं गई, लेकिन वह बुरी तरह घायल हो गया।
जॉन जीवित बच गया, इससे उन लोगों को संतोष नहीं हुआ जो विलियम के पक्ष में थे और यह सोचते थे कि जब तक ये दोनों भाई इस देश में रहेंगे तब तक उनकी योजना सफल नहीं हो सकेगी। इसलिए उन्होंने अपनी चाल बदल दी। उन्होंने दोनों के विरुद्ध षड्यंत्र करना शुरू कर दिया।
इस षड्यंत्र में टाइकेलर नामक एक डॉक्टर भी शरीक था। उसने झूठी शिकायत दर्ज़ करा दी कि कार्नेलियस ने मुझको घूस दी है और राजकुमार विलियम की हत्या करने को कहा है।
जैसे ही राजकुमार के समर्थकों को यह शिकायत मिली, वे कार्नेलियस के खिलाफ भड़क उठे और 16 अगस्त को उसको गिरफ्तार करके जेल में ठूंस दिया गया। कार्नेलियस को जेल में खूब कष्ट दिया गया और उससे अपराध स्वीकार करने को कहा गया।
लेकिन कार्नेलियस बड़ा साहसी आदमी था। उसने एक भी बात स्वीकर नहीं की। वह चुपचाप सारी यातनाओं को सहता रहा। अन्त में हारकर न्यायाधीशों ने सज़ा सुनाई कि कार्नेलियस को सभी पदों से हटा दिया जाए, और उसको राज्य से बाहर निकाल दिया जाए।
उधर जब उसके भाई जॉन को इस अन्याय की खबर मिली तो उसने प्रधानमन्त्री पद से इस्तीफा दे दिया और वह एकान्त में रहने लगा। इस तरह राजकुमार विलियम का एकछत्र राज्य स्थापित हो गया। 20 अगस्त को कार्नेलियस को जेल से बाहर देश निकाला दिया जानेवाला था। लोग इसी लिए जेल खाने की तरफ दौड़े जा रहे थे कि देखें कार्नेलियस पर इस सज़ा का क्या असर पड़ा।
भीड़ में सबसे आगे-आगे वही धोखेबाज़ डॉक्टर टाइकेलर चल रहा था और लोगों को भड़काता जा रहा था। वह झूठ-मूठ लोगों को बताता जा रहा था कि किस तरह कार्नेलियस ने मुझको बहुत से रुपये दिए और राजकुमार की हत्या करने को कहा। जैसे-जैसे लोग उसकी कहानी सुनते थे, उनका गुस्सा बढ़ता जाता था और वे ज़ोर-ज़ोर से नारे लगाने लगते थे। लेकिन ज़ॉन भी इस समय चुप नहीं बैठा था। वह अपने एक नौकर के साथ घोड़ागाड़ी में बैठकर और लोगों की नज़र से बचते हुए जेलखाने के दरवाजे पर पहुँच गया। वहाँ पहुँचकर उसने जेलर से कहा, ‘‘देखो ग्राइफस, मैं अपने भाई को साथ ले जाने के लिए आया हूँ। तुम्हें तो मालूम है कि उसको देशनिकाले की सज़ा मिली है। मैं खुद उसको शहर से बाहर पहुँचा देना चाहता हूँ, क्योंकि लोगों की एक बहुत बड़ी भीड़ इधर आ रही है। बहुत मुमकिन है कि वे कार्नेलियस को मार डालने की कोशिश करें।’’
जेलर ने फाटक की खिड़की खोलकर जॉन को अन्दर ले लिया। जॉन जेलखाने में मुश्किल से कुछ दूर आगे बढ़ा होगा कि एक सुन्दर लड़की ने उसे नमस्कार किया। इस लड़की का नाम रोज़ा था और यह जेलर की बेटी थी। उसने उस कोठरी का रास्ता बता दिया जहाँ कार्नेलियस कड़ी यातना सहने के बाद अब पड़ा हुआ कराह रहा था।
जॉन ने कोठरी में जाकर देखा कि उसका भाई एक चौकी पर पड़ा था। उसकी कलाइयाँ तोड़ दी गई थीं और उंगलियों को कुचल दिया गया था। इस समय उसके घावों पर पट्टियाँ बाँध दी गई थीं, लेकिन फिर भी उसकी छाती और पीठ पर कोड़ों के निशान साफ दिखाई दे रहे थे। कई जगह उसकी चमड़ी छिल गई थी। जब उसने अपने भाई जॉन को देखा तो इतने दर्द में भी उसका चेहरा खुशी से खिल उठा।
कार्नेलियस बोला, ‘‘भैया, मैं जानता था कि तुम ज़रूर आओगे। देखो, जनता को कितना बड़ा धोखा दिया गया है। हम लोग पक्के देशभक्त हैं और हमेशा जनता की सेवा की है; लेकिन कुछ षड्यंत्रकारियों ने जनता को हमारे खिलाफ भड़का दिया। उल्टे उन लोगों ने हम पर आरोप लगाया है कि हमने फ्रांस से समझौता किया है और अपने देश के साथ गद्दारी की है !’’
जॉन बोला, ‘‘ये लोग मूर्ख हैं। इन्हें पता नहीं कि ये क्या कर रहे हैं। मोसियो लुवा के साथ जो तुम्हारा पत्र-व्यवहार हुआ था वही इस बात का प्रमाण है कि तुमने हालैण्ड के लिए कितना बड़ा त्याग किया है और उसकी स्वतंत्रता और गौरव की रक्षा के लिए तुमने कितना बड़ा बलिदान किया है। अच्छा, यह तो बताओ, तुमने उन पत्रों का क्या किया ? क्योंकि हमारे दुश्मन हमारे पक्ष के उस आखिरी सबूत को नष्ट कर डालने की कोशिश करेंगे।’’
कार्नेलियस ने मुस्कराकर कहा, ‘‘भैया, तुम घबराओ मत ! चिट्ठियों का पुलिंदा मैंने अपने पोते बार्ले को संभालकर रखने के लिए दिया है। वह बहुत ही साहसी और निडर लड़का है। वह इस भेद को किसी को नहीं बताएगा।
लेकिन जॉन ने चिंतित स्वर में कहा, ‘ठीक है, लेकिन बार्ले पर तुम्हें इतना भरोसा नहीं करना चाहिए। आखिर वह है तो लड़का ही। हो सकता है कि उसके मुँह से कोई बात निकल जाए। ऐसा होने पर सबसे पहले उसी पर खतरा आएगा और उसका सर्वनाश को हो जाएगा। हमारे दुश्मन उसको ज़िंदा नहीं छोड़ेंगे। इसलिए अच्छा तो यही होगा कि उसको कह दिया जाए कि वह पुलिंदे को जला डाले। मैं अपने साथ अपना नौकर लेता आया हूँ, उसी के हाथ में बार्ले के पास यह खबर भेज देनी चाहिए।
कार्नेलियस राजी हो गया। अचानक वह अपनी खिड़की से बाहर का दृष्य देखकर काँप उठा। बाहर हजारों की संख्या में लोग जमा हो गए थे और अपने हथियारों को उछाल-उछालकर चिल्ला रहे थे ‘‘देशद्रोहियों को मार डालो !’’
जॉन दौ़ड़ा-दौड़ा गया और फाटक के पास खड़े अपने नौकर को बुला लाया। कार्नेलियस ने बड़ी मुश्किल से हाथ में पेंसिल ली और अपने पोते के नाम एक चिट्ठी लिख दी। उसमें लिखा था, ‘‘बेटा, जिन चिट्ठियों को मैं तुम्हें सौंप आया था, उन्हें फौरन जला डालो। उनका तुम्हारे पास रहना बहुत खतरनाक है। अगर चिट्ठियाँ तुम्हारे पास पकड़ी गईं तो लोग तुम्हारी जान ले लेंगे और हम लोगों को भी ज़िन्दा नहीं छोड़ेंगे। उनको फौरन जला डालना।’’ यह लिखकर उसने नीचे अपने दस्तखत कर दिए। चिट्ठी नौकर को दे दी गई। फिर जॉन ने कहा, ‘‘अच्छा, उठो, कार्नेलियस, अब हम लोगों को यहाँ से चल देना चाहिए, वरना लोगों की भीड़ जेलखाने के फाटक को घेर लेगी
वैसे यह बहुत शान्त नगर था। यहाँ के लोग बहुत भले थे और शान्तिपूर्ण जीवन बिताने वाले थे। लेकिन उस दिन सवेरे ही लोग न जाने किस बात पर उत्तेजित हो उठे थे। वे हाथों में तलवारें, कुल्हाड़ियाँ, लाठियाँ और छुरे लिए दौड़े चले आ रहे थे। कुछ लोगों के पास पुराने ढंग की तोड़ेदार बन्दूकें भी थीं।
असल में बात यह थी कि नगर के बीचों-बीच स्थिति ‘बीतेनहोफ’ नामक भयानक जेल खाने में हालैण्ड के प्रधानमंत्री जॉन-द-विट का भाई कार्नेलियस-द विट हत्या के आरोप में कैद करके रखा गया था। उस भयानक जेलखाने का खण्डहर आज भी हेग नगर में विद्यमान है।
उस समय हालैण्ड कई प्रान्तों में बँटा हुआ था। इन प्रान्तों पर कई वर्षों तक जॉन और कार्नेलियस का शासन था। लेकिन जब से यह कहानी शुरू होती है उसके कुछ समय पहले फ्रांस के राजा लुई चौदहवें ने हालैण्ड पर आक्रमण किया और हालैण्ड के डच-निवासियों ने अपने देश की रक्षा के लिए यह उचित समझा कि शासन-व्यवस्था में परिवर्तन कर दिया जाए। उन्होंने तनतंत्र को समाप्त कर दिया और ओरेज के राजकुमार विलियम को पूरे राज्य का प्रधान नियुक्त कर दिया। यही विलियम आगे चलकर इंग्लैण्ड के विलिमय तृतीय के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यह इंग्लैण्ड के चार्ल्स प्रथम का नाती और विलियम द्वितीय का पुत्र था।
कार्नेलियस उन दिनों हालैण्ड की विधानसभा का सदस्य था। उसने जनतंत्र को समाप्त करने की योजना का विरोध किया। इसलिए लोग उसके विरुद्ध भड़क उठे। उसको कैद कर दिया गया। उस समय उसकी उम्र 49 वर्ष की थी। विलियम की उम्र 22 वर्ष की थी। कार्नेलियस का भाई जॉन उसका शिक्षक था। जब शासन-व्यवस्था बदली तो जॉन ने खुशी-खुशी नई व्यवस्था को स्वीकार कर लिया, लेकिन कार्नेलियस ने इसका डटकर विरोध किया। जॉन को प्रधानमंत्री बनाया गया, क्योंकि उसने नई शासन-व्यवस्था को स्वीकार कर लिया था। लेकिन इससे उसका कोई लाभ नहीं हुआ। कुछ ही दिनों बाद उसकी हत्या का षड्यंत्र हुआ और एक आदमी ने उसको छुरा मार दिया। इस हमले से उसकी जान तो नहीं गई, लेकिन वह बुरी तरह घायल हो गया।
जॉन जीवित बच गया, इससे उन लोगों को संतोष नहीं हुआ जो विलियम के पक्ष में थे और यह सोचते थे कि जब तक ये दोनों भाई इस देश में रहेंगे तब तक उनकी योजना सफल नहीं हो सकेगी। इसलिए उन्होंने अपनी चाल बदल दी। उन्होंने दोनों के विरुद्ध षड्यंत्र करना शुरू कर दिया।
इस षड्यंत्र में टाइकेलर नामक एक डॉक्टर भी शरीक था। उसने झूठी शिकायत दर्ज़ करा दी कि कार्नेलियस ने मुझको घूस दी है और राजकुमार विलियम की हत्या करने को कहा है।
जैसे ही राजकुमार के समर्थकों को यह शिकायत मिली, वे कार्नेलियस के खिलाफ भड़क उठे और 16 अगस्त को उसको गिरफ्तार करके जेल में ठूंस दिया गया। कार्नेलियस को जेल में खूब कष्ट दिया गया और उससे अपराध स्वीकार करने को कहा गया।
लेकिन कार्नेलियस बड़ा साहसी आदमी था। उसने एक भी बात स्वीकर नहीं की। वह चुपचाप सारी यातनाओं को सहता रहा। अन्त में हारकर न्यायाधीशों ने सज़ा सुनाई कि कार्नेलियस को सभी पदों से हटा दिया जाए, और उसको राज्य से बाहर निकाल दिया जाए।
उधर जब उसके भाई जॉन को इस अन्याय की खबर मिली तो उसने प्रधानमन्त्री पद से इस्तीफा दे दिया और वह एकान्त में रहने लगा। इस तरह राजकुमार विलियम का एकछत्र राज्य स्थापित हो गया। 20 अगस्त को कार्नेलियस को जेल से बाहर देश निकाला दिया जानेवाला था। लोग इसी लिए जेल खाने की तरफ दौड़े जा रहे थे कि देखें कार्नेलियस पर इस सज़ा का क्या असर पड़ा।
भीड़ में सबसे आगे-आगे वही धोखेबाज़ डॉक्टर टाइकेलर चल रहा था और लोगों को भड़काता जा रहा था। वह झूठ-मूठ लोगों को बताता जा रहा था कि किस तरह कार्नेलियस ने मुझको बहुत से रुपये दिए और राजकुमार की हत्या करने को कहा। जैसे-जैसे लोग उसकी कहानी सुनते थे, उनका गुस्सा बढ़ता जाता था और वे ज़ोर-ज़ोर से नारे लगाने लगते थे। लेकिन ज़ॉन भी इस समय चुप नहीं बैठा था। वह अपने एक नौकर के साथ घोड़ागाड़ी में बैठकर और लोगों की नज़र से बचते हुए जेलखाने के दरवाजे पर पहुँच गया। वहाँ पहुँचकर उसने जेलर से कहा, ‘‘देखो ग्राइफस, मैं अपने भाई को साथ ले जाने के लिए आया हूँ। तुम्हें तो मालूम है कि उसको देशनिकाले की सज़ा मिली है। मैं खुद उसको शहर से बाहर पहुँचा देना चाहता हूँ, क्योंकि लोगों की एक बहुत बड़ी भीड़ इधर आ रही है। बहुत मुमकिन है कि वे कार्नेलियस को मार डालने की कोशिश करें।’’
जेलर ने फाटक की खिड़की खोलकर जॉन को अन्दर ले लिया। जॉन जेलखाने में मुश्किल से कुछ दूर आगे बढ़ा होगा कि एक सुन्दर लड़की ने उसे नमस्कार किया। इस लड़की का नाम रोज़ा था और यह जेलर की बेटी थी। उसने उस कोठरी का रास्ता बता दिया जहाँ कार्नेलियस कड़ी यातना सहने के बाद अब पड़ा हुआ कराह रहा था।
जॉन ने कोठरी में जाकर देखा कि उसका भाई एक चौकी पर पड़ा था। उसकी कलाइयाँ तोड़ दी गई थीं और उंगलियों को कुचल दिया गया था। इस समय उसके घावों पर पट्टियाँ बाँध दी गई थीं, लेकिन फिर भी उसकी छाती और पीठ पर कोड़ों के निशान साफ दिखाई दे रहे थे। कई जगह उसकी चमड़ी छिल गई थी। जब उसने अपने भाई जॉन को देखा तो इतने दर्द में भी उसका चेहरा खुशी से खिल उठा।
कार्नेलियस बोला, ‘‘भैया, मैं जानता था कि तुम ज़रूर आओगे। देखो, जनता को कितना बड़ा धोखा दिया गया है। हम लोग पक्के देशभक्त हैं और हमेशा जनता की सेवा की है; लेकिन कुछ षड्यंत्रकारियों ने जनता को हमारे खिलाफ भड़का दिया। उल्टे उन लोगों ने हम पर आरोप लगाया है कि हमने फ्रांस से समझौता किया है और अपने देश के साथ गद्दारी की है !’’
जॉन बोला, ‘‘ये लोग मूर्ख हैं। इन्हें पता नहीं कि ये क्या कर रहे हैं। मोसियो लुवा के साथ जो तुम्हारा पत्र-व्यवहार हुआ था वही इस बात का प्रमाण है कि तुमने हालैण्ड के लिए कितना बड़ा त्याग किया है और उसकी स्वतंत्रता और गौरव की रक्षा के लिए तुमने कितना बड़ा बलिदान किया है। अच्छा, यह तो बताओ, तुमने उन पत्रों का क्या किया ? क्योंकि हमारे दुश्मन हमारे पक्ष के उस आखिरी सबूत को नष्ट कर डालने की कोशिश करेंगे।’’
कार्नेलियस ने मुस्कराकर कहा, ‘‘भैया, तुम घबराओ मत ! चिट्ठियों का पुलिंदा मैंने अपने पोते बार्ले को संभालकर रखने के लिए दिया है। वह बहुत ही साहसी और निडर लड़का है। वह इस भेद को किसी को नहीं बताएगा।
लेकिन जॉन ने चिंतित स्वर में कहा, ‘ठीक है, लेकिन बार्ले पर तुम्हें इतना भरोसा नहीं करना चाहिए। आखिर वह है तो लड़का ही। हो सकता है कि उसके मुँह से कोई बात निकल जाए। ऐसा होने पर सबसे पहले उसी पर खतरा आएगा और उसका सर्वनाश को हो जाएगा। हमारे दुश्मन उसको ज़िंदा नहीं छोड़ेंगे। इसलिए अच्छा तो यही होगा कि उसको कह दिया जाए कि वह पुलिंदे को जला डाले। मैं अपने साथ अपना नौकर लेता आया हूँ, उसी के हाथ में बार्ले के पास यह खबर भेज देनी चाहिए।
कार्नेलियस राजी हो गया। अचानक वह अपनी खिड़की से बाहर का दृष्य देखकर काँप उठा। बाहर हजारों की संख्या में लोग जमा हो गए थे और अपने हथियारों को उछाल-उछालकर चिल्ला रहे थे ‘‘देशद्रोहियों को मार डालो !’’
जॉन दौ़ड़ा-दौड़ा गया और फाटक के पास खड़े अपने नौकर को बुला लाया। कार्नेलियस ने बड़ी मुश्किल से हाथ में पेंसिल ली और अपने पोते के नाम एक चिट्ठी लिख दी। उसमें लिखा था, ‘‘बेटा, जिन चिट्ठियों को मैं तुम्हें सौंप आया था, उन्हें फौरन जला डालो। उनका तुम्हारे पास रहना बहुत खतरनाक है। अगर चिट्ठियाँ तुम्हारे पास पकड़ी गईं तो लोग तुम्हारी जान ले लेंगे और हम लोगों को भी ज़िन्दा नहीं छोड़ेंगे। उनको फौरन जला डालना।’’ यह लिखकर उसने नीचे अपने दस्तखत कर दिए। चिट्ठी नौकर को दे दी गई। फिर जॉन ने कहा, ‘‘अच्छा, उठो, कार्नेलियस, अब हम लोगों को यहाँ से चल देना चाहिए, वरना लोगों की भीड़ जेलखाने के फाटक को घेर लेगी
2
इधर जब जॉ़न अपने भाई को जेलखाने से बाहर ले जाने की तैयारी कर रह था तब उधर-बाईस तेईस साल का एक युवक लोगों को पार करता हुआ टाउन हाल की तरफ बढ़ा जा रहा था, क्योंकि उसे आशा थी कि वहाँ ताज़ी खबर मालूम हो सकेगी। वह बार-बार रुमाल से अपने माथे का पसीना पोंछता जा रहा था। जब वह टाउन हाल के पास पहुँचा तो उसने देखा कि ऊपर की एक खुली हुई खिड़की में एक आदमी खड़ा था और भाषण देने की तैयारी कर रहा था। उस युवक ने अपने पास ही खड़े एक अफसर से पूछा, ‘‘क्यों जनाब, इस आदमी को आप जानते हैं ? यह कैसा आदमी है ?
उस अफसर ने युवक को पहचान लिया और झुककर नमस्कार करते हुए कहा, ‘‘हाँ, राजकुमार, यह एक ईमानदार आदमी है। इसके बारे में मैं विशेष कुछ नहीं जानता, क्योंकि मेरा इससे निजी परिचय नहीं है।’’
यह युवक और कोई नहीं, राजकुमार विलियम स्वयं था। जो आदमी टाउन हाल की खिड़की से बोलने की कोशिश कर रहा था, उसका नाम बोवेल्ट था। उसने खूब ज़ोर-ज़ोर से बोलने की कोशिश की, लेकिन लोगों के शोर में उसकी आवाज़ डूब गई और वह अन्दर चला गया। कुछ देर बाद लोगों का एक दूसरा झुण्ड शोर मचाता हुआ वहाँ आ पहुँचा। उनमें सबसे आगे डॉक्टर टाइकेलर चल रहा था। भीड़ बढ़ती जा रही थी। टाउन हाल से लेकर जेल के दरवाज़े तक आदमी ठसाठस जमा थे। घुड़सवार पुलिस किसी तरह भीड़ को काबू करने की कोशिश कर रही थी। इतने में राजकुमार ने देखा कि डॉक्टर एक कागज़ को हिला-हिला कर कह रहा था, ‘‘मिल गया ! मिल गया ! यह हुक्मनामा मिल गया—इसी हुक्मनामें में कार्नेलियस को सज़ा देने का हुक्म दिया गया है !’’
राजकुमार ने अपने साथ के अफसर को इशारा किया और उसने जाकर डॉक्टर के हाथ से वह हुक्मनामा छीन लिया। लोग चीखते-चिल्लाते रह गए, और वह अफसर भीड़ में गायब हो गया। लोगों ने उस पर हमला करना चाहा, लेकिन सैनिकों ने उसको बचा लिया। और उसके साथ-साथ वहाँ से चले गए।
उधर जॉन अपने भाई कार्नेलियस को भीड़ से बचाकर ले जाने की तरकीब सोच रहा था। जेलखाने के दरवाज़े पर भीड़ जमा थी। इसलिए जेलर की लड़की रोज़ा ने गाड़ी को पिछवाड़े वाले फाटक के पास खड़ा करवा दिया था। रोज़ा को यह मालूम हो गया था कि उसका पिता कार्नेलियस को चुपचाप भागने नहीं देगा, इसलिए वह पिछवाड़े वाले फाटक की ताली भी लेती आई। लोगों का शोर बढ़ता जा रहा था। रोज़ा ने जल्दी-जल्दी इन लोगों को पिछवाड़े के रास्ते से बाहर एक गली में निकाल दिया। वहाँ जॉन की गाड़ी तैयार खड़ी थी। दोनों भाई फौरन दिया। कोचवान ने तेज़ी से घोडों को दौड़ा दिया।
उधर जेल के फाटक पर लोगों का शोर बढ़ता जा रहा था। और अब वे दरवाज़ा तोड़ने की कोशिश कर रहे थे। जेलर अपनी लड़की के साथ एक गुप्त कोठरी में जा छिपा। लोगों की भीड़ दरवाज़ा तोड़कर जेल में घुस आई। लेकिन कार्नेलियस को लेकर जॉन की गा़ड़ी अब तक जेल से काफी दूर निकल चुकी थी।
बन्दरगाह को जाने वाले रास्ते पर कुछ दूर पहले लोहे का एक फाटक पड़ता था। वह इस समय बन्द था। गाड़ी फाटक के पास जाकर रुक गई। इसी बीच दो-तीन आदमियों ने जॉन और कार्नेलियस को पहचान लिया। वे लोग दौड़ते हुए अपने साथियों को बुलाने चल दिए।
इधर जॉन ने पहरेदार से फाटक खोलने के लिए कहा तो उसने बताया कि फाटक का खोलना सम्भव नहीं है क्योंकि लोगों ने सवेरे ही ताली छीनकर अपने कब्ज़े में कर ली थी। जॉन ने कोचवान से कहा, ‘‘कोचवान, तुम गाड़ी को घुमा लो और दूसरे फाटक की तरफ चलो ! हम लोगों को किसी-न-किसी तरह अपनी जान तो बचानी ही है !’’
कोचवान ने जब गाड़ी घुमाई तो वह यह देखकर घबरा गया कि कुछ दूर सड़क पर लोगों की भीड़ जमा हो गई थी और वे रास्ता रोककर खड़े थे। उसने घोड़ों को तेज़ी से दौड़ाते हुए भीड़ के बीच से गाड़ी निकालने की कोशिश की। लेकिन भीड़ के पास पहुंचते ही घोड़े खड़े हो गए। तब तक वहाँ काफी लोग इकट्ठे हो गए थे। उनके हाथों लाठियाँ, छुरे तथा लोहे की छड़ें थीं। एक आदमी ने हथौड़ी से घोड़े के सिर पर वार किया। घोड़ा चीख़कर ज़मीन पर लेट गया।
दूसरे लोगों ने चिल्लाते हुए गाड़ी पर हमला कर दिया और कार्नेलियस को खींच कर बाहर निकाल लिया। किसी ने लोहे की छड़ से उसके सिर पर वार किया और तुरन्त उसके प्राण निकल गए। जॉन ने अपने भाई को बचाने की कोशिश की, लेकिन लोगों ने उसको भी नहीं छोड़ा। एक आदमी ने उसकी पीठ पर छुरा भोंक दिया और दूसरे ने उसके माथे पर पिस्तौल दाग दी। इस तरह दोनों देशभक्त भाई अपने देश की मूर्ख जनता के हाथों मारे गए।
इधर जब हेग निवासी जॉन और कार्नेलियस की हत्या कर रहे थे, तब उधर जॉन का स्वामिभक्त नौकर क्राइके कार्नेलियस की चिट्ठी लेकर उसके पोते से मिलने के लिए चला जा रहा था। रास्ते में उसे किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई। एक सराय में उसने अपना घोड़ा छोड़ दिया। और फिर नाव के ज़रिए दोरद्रेख्त की ओर बढ़ना शुरू किया, जहाँ कार्नेलियस का भतीजा डॉक्टर वान बार्ले रहता था।
उस अफसर ने युवक को पहचान लिया और झुककर नमस्कार करते हुए कहा, ‘‘हाँ, राजकुमार, यह एक ईमानदार आदमी है। इसके बारे में मैं विशेष कुछ नहीं जानता, क्योंकि मेरा इससे निजी परिचय नहीं है।’’
यह युवक और कोई नहीं, राजकुमार विलियम स्वयं था। जो आदमी टाउन हाल की खिड़की से बोलने की कोशिश कर रहा था, उसका नाम बोवेल्ट था। उसने खूब ज़ोर-ज़ोर से बोलने की कोशिश की, लेकिन लोगों के शोर में उसकी आवाज़ डूब गई और वह अन्दर चला गया। कुछ देर बाद लोगों का एक दूसरा झुण्ड शोर मचाता हुआ वहाँ आ पहुँचा। उनमें सबसे आगे डॉक्टर टाइकेलर चल रहा था। भीड़ बढ़ती जा रही थी। टाउन हाल से लेकर जेल के दरवाज़े तक आदमी ठसाठस जमा थे। घुड़सवार पुलिस किसी तरह भीड़ को काबू करने की कोशिश कर रही थी। इतने में राजकुमार ने देखा कि डॉक्टर एक कागज़ को हिला-हिला कर कह रहा था, ‘‘मिल गया ! मिल गया ! यह हुक्मनामा मिल गया—इसी हुक्मनामें में कार्नेलियस को सज़ा देने का हुक्म दिया गया है !’’
राजकुमार ने अपने साथ के अफसर को इशारा किया और उसने जाकर डॉक्टर के हाथ से वह हुक्मनामा छीन लिया। लोग चीखते-चिल्लाते रह गए, और वह अफसर भीड़ में गायब हो गया। लोगों ने उस पर हमला करना चाहा, लेकिन सैनिकों ने उसको बचा लिया। और उसके साथ-साथ वहाँ से चले गए।
उधर जॉन अपने भाई कार्नेलियस को भीड़ से बचाकर ले जाने की तरकीब सोच रहा था। जेलखाने के दरवाज़े पर भीड़ जमा थी। इसलिए जेलर की लड़की रोज़ा ने गाड़ी को पिछवाड़े वाले फाटक के पास खड़ा करवा दिया था। रोज़ा को यह मालूम हो गया था कि उसका पिता कार्नेलियस को चुपचाप भागने नहीं देगा, इसलिए वह पिछवाड़े वाले फाटक की ताली भी लेती आई। लोगों का शोर बढ़ता जा रहा था। रोज़ा ने जल्दी-जल्दी इन लोगों को पिछवाड़े के रास्ते से बाहर एक गली में निकाल दिया। वहाँ जॉन की गाड़ी तैयार खड़ी थी। दोनों भाई फौरन दिया। कोचवान ने तेज़ी से घोडों को दौड़ा दिया।
उधर जेल के फाटक पर लोगों का शोर बढ़ता जा रहा था। और अब वे दरवाज़ा तोड़ने की कोशिश कर रहे थे। जेलर अपनी लड़की के साथ एक गुप्त कोठरी में जा छिपा। लोगों की भीड़ दरवाज़ा तोड़कर जेल में घुस आई। लेकिन कार्नेलियस को लेकर जॉन की गा़ड़ी अब तक जेल से काफी दूर निकल चुकी थी।
बन्दरगाह को जाने वाले रास्ते पर कुछ दूर पहले लोहे का एक फाटक पड़ता था। वह इस समय बन्द था। गाड़ी फाटक के पास जाकर रुक गई। इसी बीच दो-तीन आदमियों ने जॉन और कार्नेलियस को पहचान लिया। वे लोग दौड़ते हुए अपने साथियों को बुलाने चल दिए।
इधर जॉन ने पहरेदार से फाटक खोलने के लिए कहा तो उसने बताया कि फाटक का खोलना सम्भव नहीं है क्योंकि लोगों ने सवेरे ही ताली छीनकर अपने कब्ज़े में कर ली थी। जॉन ने कोचवान से कहा, ‘‘कोचवान, तुम गाड़ी को घुमा लो और दूसरे फाटक की तरफ चलो ! हम लोगों को किसी-न-किसी तरह अपनी जान तो बचानी ही है !’’
कोचवान ने जब गाड़ी घुमाई तो वह यह देखकर घबरा गया कि कुछ दूर सड़क पर लोगों की भीड़ जमा हो गई थी और वे रास्ता रोककर खड़े थे। उसने घोड़ों को तेज़ी से दौड़ाते हुए भीड़ के बीच से गाड़ी निकालने की कोशिश की। लेकिन भीड़ के पास पहुंचते ही घोड़े खड़े हो गए। तब तक वहाँ काफी लोग इकट्ठे हो गए थे। उनके हाथों लाठियाँ, छुरे तथा लोहे की छड़ें थीं। एक आदमी ने हथौड़ी से घोड़े के सिर पर वार किया। घोड़ा चीख़कर ज़मीन पर लेट गया।
दूसरे लोगों ने चिल्लाते हुए गाड़ी पर हमला कर दिया और कार्नेलियस को खींच कर बाहर निकाल लिया। किसी ने लोहे की छड़ से उसके सिर पर वार किया और तुरन्त उसके प्राण निकल गए। जॉन ने अपने भाई को बचाने की कोशिश की, लेकिन लोगों ने उसको भी नहीं छोड़ा। एक आदमी ने उसकी पीठ पर छुरा भोंक दिया और दूसरे ने उसके माथे पर पिस्तौल दाग दी। इस तरह दोनों देशभक्त भाई अपने देश की मूर्ख जनता के हाथों मारे गए।
इधर जब हेग निवासी जॉन और कार्नेलियस की हत्या कर रहे थे, तब उधर जॉन का स्वामिभक्त नौकर क्राइके कार्नेलियस की चिट्ठी लेकर उसके पोते से मिलने के लिए चला जा रहा था। रास्ते में उसे किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई। एक सराय में उसने अपना घोड़ा छोड़ दिया। और फिर नाव के ज़रिए दोरद्रेख्त की ओर बढ़ना शुरू किया, जहाँ कार्नेलियस का भतीजा डॉक्टर वान बार्ले रहता था।
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डॉक्टर वान बार्ले अपने पुश्तैनी घर में रहता था। इसी घर में उसके पिता और दादा भी अपनी मृत्यु के पहले रहे थे। उसके पिता ने भारत में व्यापार करके कई हज़ार रुपये इकट्ठे किए थे, जो बाद में बार्ले को मिले। इसके अलावा बार्ले के पास और भी बहुत बड़ी सम्पत्ति थी, जिससे कई हज़ार रुपये सालाना की आमदनी होती थी।
बार्ले को खाने-पीने की कोई चिन्ता नहीं थी। इसलिए उसने एक खर्चीला शौक पाल रखा था। वह फूलों के तरह-तरह के पौधे तैयार किया करता था। दूर-दूर तक उसके गुलाबों की चर्चा थी। लोग उसका बाग देखने आते थे। शहर भर में उसके फूलों की क्यारियों, पौधों और गमलों की चर्चा रहती।
इस नगर के लोग बार्ले को बहुत मानते थे, क्योंकि वह शहर के राजनीतिक झगड़ों में नहीं पड़ता था और अपने बगीचे की क्यारियों में मगन रहता था। उसके नौकर-चाकर भी उसको खूब चाहते थे। इतना होने पर भी बार्ले का एक बहुत बड़ा शत्रु था, जिसके बारे में बार्ले को भी कुछ मालूम नहीं था।
बात यह थी कि जब बार्ले ने अपनी गुलाब की क्यारियों को तैयार करना शुरू किया तब उसके पड़ोस में इज़ाक बाक्सलेट नाम का एक आदमी रहता था जो कई साल से गुलाब की खेती किया करता था। उसे भी अच्छी से अच्छी किस्म के गुलाब तैयार करने का नशा था। वह बार्ले की तरह धनवान नहीं था, लेकिन फिर भी उसने बड़ी कोशिश करके अपने घर के पास ही गुलाब का एक बाग तैयार किया। लोगों में उसके फूलों की चर्चा होने लगी और उसकी बिक्री भी बढ़ने लगी।
लेकिन इसी बीच बार्ले को भी गुलाब और दूसरी तरह के फूल तैयार करने की सनक सवार हुई। इसके लिए उसने अपने घर में कुछ मरम्मत शुरू की और छत पर एक कमरा और बनवा लिया। इसका नतीजा यह हुआ कि इज़ाक की फूल की क्यारियों पर धूप का जाना रुक गया और उसके फूल खराब होने लगे। इज़ाक ने एतराज़ किया तो बार्ले ने बहाना बना दिया कि वह चित्रकारी करता है और इसलिए उसको अपनी छत पर एक कमरे की ज़रूरत है। कानून ने भी बार्ले का साथ दिया।
इज़ाक को यह मालूम होते देर नहीं लगी कि पड़ोसी बार्ले उसका रोज़गार बर्बाद करना चाहता है और अच्छी किस्म के फूल तैयार करके नाम कमाना चाहता है। बस तभी से इज़ाक बार्ले का शत्रु हो गया था और मन ही मन उससे बदला लेने की योजना बनाया करता था।
कभी-कभी वह सोचता था कि चुपचाप नज़र बचाकर वह बार्ले के बाग में घुस जाए और उसके सारे पौधों को नष्ट-भ्रष्ट कर डाले। लेकिन वह ऐसा नहीं कर सकता था क्योंकि कोई भी फूलों का शौकीन व्यक्ति अपने हाथ से फूल के पौधों को किसी आदमी की हत्या से बढ़कर होता है।
इज़ाक ने सोचा कि मैं अब बार्ले की क्यारियों में पत्थर और मिट्टी के ढेले और लकड़ियों के टुकड़े फेंककर उसके पौधों को नष्ट कर डालूँगा। लेकिन वह यह भी नहीं कर सका। उसे डर था कि अगर कहीं चोरी पकड़ी गई तो उसे न सिर्फ़ सज़ा मिलेगी बल्कि उसकी बड़ी बदनामी होगी, और योरोप भर के वे लोग उससे नफ़रत करने लगेंगे जो फूल उगाने का कारोबार करते हैं।
अन्त में उसने एक तरकीब सोची। उसने दो बिल्लियाँ पकड़ीं और उन दोनों के पिछले पैरों में छः फुट लम्बी एक डोरी बाँध दी। फिर उसने बिल्लियों को उठाकर अपने मकान की छत से बार्ले की क्यारियों में फेंक दिया। बिल्लियाँ घबराकर क्यारियों में इधर-उधर भागने लगीं। दोनों एक-दूसरे को विपरीत दिशा में खींचने की कोशिश करती थीं और रस्सी के झटके से पौधे टूट जाते थे। इज़ाक यह सोचकर मन ही मन प्रसन्न हो रहा था कि उसकी योजना कामयाब रही।
सवेरे जब बार्ले उठा और अपनी क्यारियों को देखने गया तो वहाँ का दृश्य देखकर उसके पाँव तले ज़मीन खिसक गई। कई पौधे टूट गए थे। करीब पन्द्रह-बीस फूल, जिन्हें उसने बड़ी मुश्किल से इतना बड़ा बनाया था, कुचले हुए ज़मीन पर पड़े थे। ऐसा लगता था जैसे किसी ने एक लम्बी छड़ी लेकर पूरी क्यारी को रुई की तरह धुन डाला हो।
लेकिन बार्ले को यह देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि उस क्यारी में उसने जो काले फूल के पौधे उसने तैयार किए थे उनमें से किसी का भी फूल नहीं टूटा था। काले फूल और उनकी कलियाँ अब भी सिर उठाए खड़ी थीं और हवा में धीरे-धीरे हिल रही थीं।
इज़ाक को जब यह मालूम हुआ तो उसने अफसोस से अपना सिर पीट लिया, क्योंकि उसकी सारी योजना असफल सिद्ध हुई। वह असल में काले फूलों के पौधों को ही नष्ट करना चाहता था। बार्ले उस दिन से बहुत चौकन्ना रहने लगा। उसने एक माली को रात-भर वहीं क्यारी के पास सोने के लिए नियुक्त कर दिया। कुछ दिनों बाद फूलों की एक अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी हुई जिसमें बार्ले को गहरा काला फूल तैयार करने के लिए एक लाख रुपये का इनाम मिला, क्योंकि अब तक कोई भी वैसा काला फूल तैयार नहीं कर सका था और इस काम को लगभग असंभव माना जाता था। इस खबर को सुनकर इज़ाक ईर्ष्या से जल उठा और बार्ले को नुकसान पहुँचाने की नई तरकीब सोचने लगा।
यहाँ यह जान लेना ज़रूरी है कि जब बार्ले और इज़ाक में इस तरह फूलों की खेती के सिलसिले में झगड़ा चल रहा था, तब उन दिनों कार्नेलियस किसी जरूरी काम से नगर में आया था और बार्ले के घर पर ही ठहरा था। यह जनवरी, सन् 1672 की बात है।
बार्ले को खाने-पीने की कोई चिन्ता नहीं थी। इसलिए उसने एक खर्चीला शौक पाल रखा था। वह फूलों के तरह-तरह के पौधे तैयार किया करता था। दूर-दूर तक उसके गुलाबों की चर्चा थी। लोग उसका बाग देखने आते थे। शहर भर में उसके फूलों की क्यारियों, पौधों और गमलों की चर्चा रहती।
इस नगर के लोग बार्ले को बहुत मानते थे, क्योंकि वह शहर के राजनीतिक झगड़ों में नहीं पड़ता था और अपने बगीचे की क्यारियों में मगन रहता था। उसके नौकर-चाकर भी उसको खूब चाहते थे। इतना होने पर भी बार्ले का एक बहुत बड़ा शत्रु था, जिसके बारे में बार्ले को भी कुछ मालूम नहीं था।
बात यह थी कि जब बार्ले ने अपनी गुलाब की क्यारियों को तैयार करना शुरू किया तब उसके पड़ोस में इज़ाक बाक्सलेट नाम का एक आदमी रहता था जो कई साल से गुलाब की खेती किया करता था। उसे भी अच्छी से अच्छी किस्म के गुलाब तैयार करने का नशा था। वह बार्ले की तरह धनवान नहीं था, लेकिन फिर भी उसने बड़ी कोशिश करके अपने घर के पास ही गुलाब का एक बाग तैयार किया। लोगों में उसके फूलों की चर्चा होने लगी और उसकी बिक्री भी बढ़ने लगी।
लेकिन इसी बीच बार्ले को भी गुलाब और दूसरी तरह के फूल तैयार करने की सनक सवार हुई। इसके लिए उसने अपने घर में कुछ मरम्मत शुरू की और छत पर एक कमरा और बनवा लिया। इसका नतीजा यह हुआ कि इज़ाक की फूल की क्यारियों पर धूप का जाना रुक गया और उसके फूल खराब होने लगे। इज़ाक ने एतराज़ किया तो बार्ले ने बहाना बना दिया कि वह चित्रकारी करता है और इसलिए उसको अपनी छत पर एक कमरे की ज़रूरत है। कानून ने भी बार्ले का साथ दिया।
इज़ाक को यह मालूम होते देर नहीं लगी कि पड़ोसी बार्ले उसका रोज़गार बर्बाद करना चाहता है और अच्छी किस्म के फूल तैयार करके नाम कमाना चाहता है। बस तभी से इज़ाक बार्ले का शत्रु हो गया था और मन ही मन उससे बदला लेने की योजना बनाया करता था।
कभी-कभी वह सोचता था कि चुपचाप नज़र बचाकर वह बार्ले के बाग में घुस जाए और उसके सारे पौधों को नष्ट-भ्रष्ट कर डाले। लेकिन वह ऐसा नहीं कर सकता था क्योंकि कोई भी फूलों का शौकीन व्यक्ति अपने हाथ से फूल के पौधों को किसी आदमी की हत्या से बढ़कर होता है।
इज़ाक ने सोचा कि मैं अब बार्ले की क्यारियों में पत्थर और मिट्टी के ढेले और लकड़ियों के टुकड़े फेंककर उसके पौधों को नष्ट कर डालूँगा। लेकिन वह यह भी नहीं कर सका। उसे डर था कि अगर कहीं चोरी पकड़ी गई तो उसे न सिर्फ़ सज़ा मिलेगी बल्कि उसकी बड़ी बदनामी होगी, और योरोप भर के वे लोग उससे नफ़रत करने लगेंगे जो फूल उगाने का कारोबार करते हैं।
अन्त में उसने एक तरकीब सोची। उसने दो बिल्लियाँ पकड़ीं और उन दोनों के पिछले पैरों में छः फुट लम्बी एक डोरी बाँध दी। फिर उसने बिल्लियों को उठाकर अपने मकान की छत से बार्ले की क्यारियों में फेंक दिया। बिल्लियाँ घबराकर क्यारियों में इधर-उधर भागने लगीं। दोनों एक-दूसरे को विपरीत दिशा में खींचने की कोशिश करती थीं और रस्सी के झटके से पौधे टूट जाते थे। इज़ाक यह सोचकर मन ही मन प्रसन्न हो रहा था कि उसकी योजना कामयाब रही।
सवेरे जब बार्ले उठा और अपनी क्यारियों को देखने गया तो वहाँ का दृश्य देखकर उसके पाँव तले ज़मीन खिसक गई। कई पौधे टूट गए थे। करीब पन्द्रह-बीस फूल, जिन्हें उसने बड़ी मुश्किल से इतना बड़ा बनाया था, कुचले हुए ज़मीन पर पड़े थे। ऐसा लगता था जैसे किसी ने एक लम्बी छड़ी लेकर पूरी क्यारी को रुई की तरह धुन डाला हो।
लेकिन बार्ले को यह देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि उस क्यारी में उसने जो काले फूल के पौधे उसने तैयार किए थे उनमें से किसी का भी फूल नहीं टूटा था। काले फूल और उनकी कलियाँ अब भी सिर उठाए खड़ी थीं और हवा में धीरे-धीरे हिल रही थीं।
इज़ाक को जब यह मालूम हुआ तो उसने अफसोस से अपना सिर पीट लिया, क्योंकि उसकी सारी योजना असफल सिद्ध हुई। वह असल में काले फूलों के पौधों को ही नष्ट करना चाहता था। बार्ले उस दिन से बहुत चौकन्ना रहने लगा। उसने एक माली को रात-भर वहीं क्यारी के पास सोने के लिए नियुक्त कर दिया। कुछ दिनों बाद फूलों की एक अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी हुई जिसमें बार्ले को गहरा काला फूल तैयार करने के लिए एक लाख रुपये का इनाम मिला, क्योंकि अब तक कोई भी वैसा काला फूल तैयार नहीं कर सका था और इस काम को लगभग असंभव माना जाता था। इस खबर को सुनकर इज़ाक ईर्ष्या से जल उठा और बार्ले को नुकसान पहुँचाने की नई तरकीब सोचने लगा।
यहाँ यह जान लेना ज़रूरी है कि जब बार्ले और इज़ाक में इस तरह फूलों की खेती के सिलसिले में झगड़ा चल रहा था, तब उन दिनों कार्नेलियस किसी जरूरी काम से नगर में आया था और बार्ले के घर पर ही ठहरा था। यह जनवरी, सन् 1672 की बात है।
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विनामूल्य पूर्वावलोकन
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