मनोरंजक कथाएँ >> समुद्री दुनिया की रोमांचकारी यात्रा समुद्री दुनिया की रोमांचकारी यात्राश्रीकान्त व्यास
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जुले वर्न का प्रसिद्ध उपन्यास ट्वेन्टी थाउजेण्ड लीग्स अण्डर द सी का हिन्दी रूपान्तर....
Samidri Duniya Ki Romanchkari Yatra A Hindi Book by Shrikant Vyas
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
समुद्री दुनिया की रोमांचकारी यात्रा
लगभग सौ साल पहले की बात है कि यूरोप और अमेरिका के जहाजी अधिकारियों और जहाज़ों में काम करने वाले कप्तानों, मल्लाहों और खलासियों वगैरह में बड़ी सनसनी फैली हुई थी। अटलांटिक महासागर या प्रशान्त महासागर की यात्रा से जहाज़ी लोग घबराने लगे थे। जहाज़ियों का कहना था।
कि समुद्र की सतह के नीचे कोई बड़ी भारी चीज़ तेजी से तैरती हुई नजर आती है। आकार में यह चीज़ किसी ह्वेल मछली से भी बड़ी है और चाल में उससे भी ज़्यादा तेज़ है। रात में समय-समय पर इससे तेज़ रोशनी भी निकलती है। कुछ दिनों बाद तो इस विचित्र चीज़ से कुछ जहाज़ियों की टक्टर होने की खबरें भी मिलने लगीं।
जहाज़ों के कप्तानों ने अपनी डायरियों में इस चीज़ के बारे में तरह-तरह के विवरण लिखे। इसके आकार प्रकार और चाल-ढ़ाल के बारे में तो सबका एक सा ही मत था लेकिन अभी तक कोई यह निश्चय नहीं कर पाया था कि यह चीज़ क्या है। यह कोई जीवधारी है या निर्जीव वस्तु है।
एक बड़े जहाज़ के कप्तान ने बताया कि जब उसका जहाज़ 20 जुलाई, 1866 को आस्ट्रेलिया के पूर्व तट के पास पहुँचा।
कि समुद्र की सतह के नीचे कोई बड़ी भारी चीज़ तेजी से तैरती हुई नजर आती है। आकार में यह चीज़ किसी ह्वेल मछली से भी बड़ी है और चाल में उससे भी ज़्यादा तेज़ है। रात में समय-समय पर इससे तेज़ रोशनी भी निकलती है। कुछ दिनों बाद तो इस विचित्र चीज़ से कुछ जहाज़ियों की टक्टर होने की खबरें भी मिलने लगीं।
जहाज़ों के कप्तानों ने अपनी डायरियों में इस चीज़ के बारे में तरह-तरह के विवरण लिखे। इसके आकार प्रकार और चाल-ढ़ाल के बारे में तो सबका एक सा ही मत था लेकिन अभी तक कोई यह निश्चय नहीं कर पाया था कि यह चीज़ क्या है। यह कोई जीवधारी है या निर्जीव वस्तु है।
एक बड़े जहाज़ के कप्तान ने बताया कि जब उसका जहाज़ 20 जुलाई, 1866 को आस्ट्रेलिया के पूर्व तट के पास पहुँचा।
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