लोगों की राय

अमर चित्र कथा हिन्दी >> प्रह्लाद

प्रह्लाद

अनन्त पई

प्रकाशक : इंडिया बुक हाउस प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :32
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4972
आईएसबीएन :81-7508-413-8

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

148 पाठक हैं

प्रह्लाद की कथा...

Prahlad A Hindi Book by Anant Pai - प्रह्लाद - अनन्त पई

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

 

ब्रह्मा के पुत्र विष्णु के निवास-स्थान पर आये परन्तु जय तथा विजय नामक द्वारपालों ने उन्हें अन्दर नहीं जाने दिया। ब्रह्मा के पुत्र ने क्रोध में भरकर उन दोनों को शाप दे दिया कि ‘‘तुम तीन बार धरती पर जन्म लोगे। तीनों जन्मों में विष्णु या उनके अवतार के हाथों तुम्हारी मृत्यु होगी तभी तुम फिर से स्वर्ग में प्रवेश कर सकोगे।’’ जय और विजय के प्रथम बार हिरण्याक्ष तथा हिरण्यकशिपु असुरों, दूसरी बार रावण एवं कुम्भकर्ण राक्षसों, तथा तीसरी बार शिशुपाल और दन्तवक्र क्षत्रियों के रूप में जन्म लिया।

विष्णु ने वराह का रूप धारण कर के हिरण्याक्ष का संहार किया। अपने भाई की इस मृत्यु पर हिरण्यकशिपु विष्णु से द्वेष रखता था। परन्तु उसका पुत्र, प्रह्लाद, विष्णु का अनन्य भक्त था। प्रह्लाद को विष्णु से विमुख करने के लिए हिरण्यकशिपु ने बहुत प्रयत्न किये परन्तु सब व्यर्थ। और अन्त में वह स्वयं ही प्रयत्नों का शिकार हुआ और प्रह्लाद की भक्ति की विजय हुई।
लेखक ने यह कथा श्रीमद्भागवत एवं विष्णु पुराण के अधार पर प्रस्तुत की है।

 

प्रह्लाद

 

प्रह्लाद असुर हिरण्यकशिपु का पुत्र था। हिरण्यकशिपु के भ्राता, हिरण्याक्ष का संहार विष्णु ने किया था।
असुर बन्धुओ, मैं विष्णु का नाश करूँगा तथा देवताओं को स्वर्ग में पराधीन बनाकर रखूँगा।
बन्धुओ, तुम धरती पर जाओ और विष्णु के भक्तों को चुन-चुन कर समाप्त करो।
असुर स्वभाव से ही क्रूर होने के कारण खुशी से इस आज्ञा का पालन करने लगे।
असुर विष्णु के भक्तों को सताने लगे, तो देवता उनकी रक्षा करने को आये।


प्रथम पृष्ठ

विनामूल्य पूर्वावलोकन

Prev
Next
Prev
Next

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book