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गजलें और शायरी >> अहाना

अहाना

राजेन्द्र राज

प्रकाशक : आत्माराम एण्ड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 4958
आईएसबीएन :81-89373-15-3

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शायरी व कविता संग्रह....

Ahana a hindi book by Rajendra Yadav - अहाना -राजेन्द्र राज

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश


जो देखे तुम्हें निगाह भर
होश अपने खो बैठ
उस दीवाने को ज़िन्दगी भर
दीवानगी सताती रहे

अहाना

जादू तुम्हारी निगाहों में
बहार तुम्हारी बाँहों में
आरजू तुम्हारी राहों में
ज़िन्दगी तुम्हारी पनाहों में
प्रियम्

सितारों की वो प्रेयसी है
बहारों की रानी है
संगेमर्मर पर इबारत है
प्रेम की अद्भुत कहानी है

परी से प्यार

अरमानों की डोली उठती है
सितारों की बारात होती
चाँदनी से मुलाकात होती है
तुम्हारे हुस्न की बात होती है

जाने क्यों

वो सर्दी की कच्ची धूप है
शीतल चाँदनी का रूप है
वो जब मुस्कराती है
फूलों पे शबनम गिराती है

मिस 9225

भूमिका

दोस्तों,
    आपके सामने अपनी शायरी व प्रेम-कविताओं का संग्रह ‘अहाना’ प्रस्तुत कर रहा हूँ। अहाना महज एक नाम नहीं, बल्कि एक ख़ूबसूरत एहसास है, जो हर दिल में धड़कता है। प्यार कोई करे किसी से और आह न निकले दिल से, यह मुमकिन नहीं। जहाँ चाह है, वहाँ आह है और जहाँ आह है उसके पीछे किसी-न-किसी की चाह है।
इन्हीं चाहतों को शायरी व कविता में पिरोकर और एक हसीन नाम ‘अहाना’ देकर आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ। आशा करता हूँ कि आप इसे सराहेंगे और अपने अमूल्य प्यार से सुशोभित करेंगे।
‘धन्यवाद’

राजेन्द्र राज

अहाना


ज़िन्दगी तुम्हारे हसीन लबों पर
सदा मुस्कराती रहे
बहारें रोशन रुखसार पर
नूर बरसाती रहें
‘अहाना’

कोई आह न हो दिल में
न शिकवा जमाने से
हर हसीन न्यामत तुम्हारे पहलू में
खुद-ब-खुद आती रहे
‘अहाना’

जो देखें तुम्हें निगाह भर
होश अपने खो बैठे
उस दीवाने को ज़िन्दगी भर
दीवानगी सताती रहे
‘अहाना’

ख़ुदा ने बनाया तुम्हें
और जमीन पर भेज दिया
फरिश्तों को तुम्हारी याद
नींद से जगाती रहे
‘अहाना’

क्या जरूरत है तुम्हें
साज-ओ-श्रृंगार की
गुलाबी गालों पर रुत
शबनम के मोती लुटाती रहे
‘अहाना’

क्या मैं कहूँ
क्या तुम सुनो
काइनात तुम्हारे हुस्न के नग़में
फ़िज़ाओं में गुनगुनाती रहे
‘अहाना’

लुटे कितने अरमां दिलों के
किस-किसका चैन खोया है
आरज़ू हसीन फरियाद लेकर
आपके दर पे आती रहे
‘अहाना’

तुम्हें छूकर निगाहों से
पैमाने लड़खड़ाने लगे
तुम्हारे हुस्न की मैं
महफिल के होश उड़ाती रहे
‘अहाना’

ये नाज़-ओ-अन्दाज़
ये बल खाके चलना तेरा
खुदाई तुम्हारे कदमों में
खुशियाँ लुटाती रहे
‘अहाना’

गुजरो तुम जिस गली से
चिराग जल उठे राहों में
तुम्हारे रूप की रौशनी
जहां में जगमगाती रहे
‘अहाना’

आपके हुस्न के मुकाबिल
शै नहीं जमाने में कोई
मोहब्बत की ख़ुशबू
चमन को महकाती रहे
‘अहाना’

ख़्वाबों में भी आओ तो
होश खोने लगें
तसव्वुर की जुस्तज़ू
निगाहों से नींदें उड़ाती रहे
‘अहाना’।


प्रियम्


इन हसीन ज़ुल्फ़ों के साये में
सुरमई शाम सो जाती है
पलकें झुकाके उठा ली तो
सुबह हो जाती है
प्रियम्

झील-सी गहरी आँखों में
आशाओं के कमल खिलते हैं
लरजते हुए लबों पर
ज़ज्बात गले मिलते हैं
प्रियम्

गालों की रंगत देखकर
मुस्कराते हैं
हुस्न की ख़ुशबू से
भँवरें खिंचे चले आते हैं
प्रियम्

हजारों सालों से इन्सां ने
इस रूप को चाहा है
आखिरकार खुदा ने
इक चेहरा मुकम्मल बनाया है
प्रियम्

हर जन्म में धड़कनों ने
नग़मा यही गाया है
ख़्वाबों में आनेवाली अप्सरा
दिल तुमपे आया है
प्रियम्

इस रंग-रूप पे फ़िदा हैं
आस्मां के चाँद-सितारे
दामन से लिपटे रहते हैं
दिलकश हसीन नज़ारे
प्रियम्

चलो तुम जो बल खाके
जमाना रुक जाता है
हुस्न के नाज़-ओ-अन्दाज उठाने को
कदमों में झुक जाता है
प्रियम्

इश्क़ तुमसे जो कर बैठे
ठण्डी आहें भरता है
सुकून खोकर वो दीवाना
गली-गली फिरता है
प्रियम्

मीर की तुम ग़ज़ल हो
या खैय्याम की रुबाई
भोर की उजली किरण हो
या शाम की पुरवाई
प्रियम्

जादू तुम्हारी निगाहों में
बहार तुम्हारी बाँहों में
आरजू तुम्हारी राहों में
ज़िन्दगी तुम्हारी पनाहों में
प्रियम्।


कौन है वो


मुझे जिससे प्यार है
जिसका इन्तिज़ार है
दिल बेकरार है
‘कौन है वो’

नहीं मैं नहीं जानता
धड़कनों की नहीं मानता
जान को नहीं पहचानता
‘कौन है वो’

जिसके रेशमी बाल हैं
गुलाबी गाल हैं
निगाहें नर्गिस नूर
‘कौन है वो’

मेरा चैन खो गया है
दिल को ये क्या हो गया है
दीवाना हूं मैं जिसका
‘कौन है वो’

वो सुबह है या शाम है
साकी है या जाम है
सुध-बुध की बिसरानेवाली
‘कौन है वो’

खयालों में भी वो आए तो
होश बहकने लगें
दिलकश माहजबीं नाज़नीं
‘कौन है वो’

जिसके कदमों की आहट से
चिराग जल उठें राहों में
रूप की रोशनी
‘कौन है वो’

संगमर्मर की मूरत
ताज़ से ख़ूबसूरत
चाँदनी से बढ़के हसीन
‘कौन है वो’

फूलों की रानी
बहारों की मलिका
गुलिस्तां की शहजादी
‘कौन है वो’

नशे में चूर
यौवन भरपूर
पास होकर भी दूर
‘कौन है वो’

जिसके दीदार की हसरत में
परिश्ते फर्श पे आते हैं
परी है या अप्सरा
‘कौन है वो’

मुझे जिससे प्यार है
जिसका इन्तिज़ार है
दिल बेक़रार है
‘कौन है वो’


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