व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> सफल वक्ता सफल व्यक्ति सफल वक्ता सफल व्यक्तिउज्जवल पाटनी
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व्यापक दृष्टिकोण और प्रभावशाली व्यक्तित्व सफलता के लिए अत्यंत आवश्यक है। यह पुस्तक इसके बारे में समीचीन जानकारी प्रदान करती है।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
आपके पास बेहतरीन मौलिक विचार है लेकिन अन्य लोग आपके विचारों को महत्त्व
नहीं देते। जब आप समूह में अपनी बात कहते हैं, अक्सर दूसरे उस पर ध्यान
नहीं देते परन्तु जब एक दूसरा व्यक्ति वही बात कहता है तो उसका जबर्दस्त
असर होता है। आप समाज में और संस्थान में मंच पर जाना चाहते हैं, परन्तु
भय आपको रोक देता है। आप एक लीडर के रूप में उभरने के लिए कड़ी मेहनत करते
हैं परन्तु अन्य लोग आपके नेतृत्व को स्वीकार नहीं करते। आप सच्चे दिल से
दूसरों के हित की बात कहते हैं परन्तु आपकी बातों का अक्सर गलत मतलब
निकाला जाता है। आप आत्मविश्वास की कमी से बेहतरीन अवसर हाथ से निकल जाता
है और आपको उतनी तरक्की व प्रसिद्धि नहीं मिलती जिसके आप हकदार हैं।
सफल वक्ता, सफल व्यक्ति आपको शतप्रतिशत प्रैक्टिकल तरीके बताएगी जिससे आप अपनी बातों से दूसरों का दिल जीत सकेंगे, मंच और माइक का बिना किसी भय के सामना कर सकेंगे, आपकी बातों को दूसरे महत्त्व देंगे एवं आप आत्मविश्वास से समूह और भीड़ में अपनी बात रख सकेंगे।
प्रख्यात लेखक एवं स्पीच गुरु डॉ. उज्जवल पाटनी की इस बेहतरीन कृति में पढ़िए-
1. भाषा का निर्माण और प्रस्तुति की कला।
2. स्टेज, माइक व भीड़ का भय कैसे हटाएँ।
3. बातचीत में लोकप्रियता।
4. श्रोताओं को जीतने की कला।
5. एंकरिंग से समाज व संस्थान में प्रसिद्धि।
6. इंटरव्यू, ग्रुप डिस्कशन व मीटिंग में आत्मविश्वास।
7. दूसरों को अपने विचारों से सहमत कैसे करें।
8.सेमिनार व रिपोर्ट प्रस्तुति में तकनीकों का उपयोग।
9.बोलने की कला से लीडर के रूप में कैसे उभरें।
‘‘प्रभावी बोलने की कला सीखकर आप कैसे अपना जीवन बदल सकते हैं, जानिए डॉ. पाटनी से’’
मैं सिर्फ आपको एक ऐसा व्यक्ति बनाने में मदद करना चाहता हूं जो अपने विचार और भावनाएं कहीं भीं, कभी भी और किसी के भी सामने सशक्त रूप से व्यक्त कर सके चाहे एक से बातचीत करनी हो या हजारों के बीच भाषण देना हो एक क्षण के लिए भी ना झिझक हो, न घबराहट हो, सिर्फ सफलता का विश्वास हो।
सफल वक्ता, सफल व्यक्ति आपको शतप्रतिशत प्रैक्टिकल तरीके बताएगी जिससे आप अपनी बातों से दूसरों का दिल जीत सकेंगे, मंच और माइक का बिना किसी भय के सामना कर सकेंगे, आपकी बातों को दूसरे महत्त्व देंगे एवं आप आत्मविश्वास से समूह और भीड़ में अपनी बात रख सकेंगे।
प्रख्यात लेखक एवं स्पीच गुरु डॉ. उज्जवल पाटनी की इस बेहतरीन कृति में पढ़िए-
1. भाषा का निर्माण और प्रस्तुति की कला।
2. स्टेज, माइक व भीड़ का भय कैसे हटाएँ।
3. बातचीत में लोकप्रियता।
4. श्रोताओं को जीतने की कला।
5. एंकरिंग से समाज व संस्थान में प्रसिद्धि।
6. इंटरव्यू, ग्रुप डिस्कशन व मीटिंग में आत्मविश्वास।
7. दूसरों को अपने विचारों से सहमत कैसे करें।
8.सेमिनार व रिपोर्ट प्रस्तुति में तकनीकों का उपयोग।
9.बोलने की कला से लीडर के रूप में कैसे उभरें।
‘‘प्रभावी बोलने की कला सीखकर आप कैसे अपना जीवन बदल सकते हैं, जानिए डॉ. पाटनी से’’
मैं सिर्फ आपको एक ऐसा व्यक्ति बनाने में मदद करना चाहता हूं जो अपने विचार और भावनाएं कहीं भीं, कभी भी और किसी के भी सामने सशक्त रूप से व्यक्त कर सके चाहे एक से बातचीत करनी हो या हजारों के बीच भाषण देना हो एक क्षण के लिए भी ना झिझक हो, न घबराहट हो, सिर्फ सफलता का विश्वास हो।
मेरे मन की बात
क्या आपने कभी सोचा है कि क्यों समान योग्यता वाले एक शिक्षक के पास छात्र
नहीं होते और दूसरे शिक्षक के यहां भीड़ होती है ? क्यों एक सैल्समैन
उन्हीं साधनों से बिक्री के तमाम लक्ष्य प्राप्त करता है और दूसरा असफल हो
जाता है ? क्यों एक एम.बी.ए. डिग्रीधारी को इंटरव्यू के बाद तुरंत नौकरी
मिल जाती है और दूसरे को निराशा हाथ लगती है ? क्यों एक गुरु का लाखों
भक्त इंतजार करते हैं और दूसरे को भक्तों का इंतजार होता है ? क्या समान
डिग्रीवाला एक डॉक्टर मरीजों में बेहद लोकप्रिय होता है और दूसरा
अलोकप्रिय ? क्यों एक छात्र ग्रुप डिस्कशन और इंटरव्यू में घबराहट की वजह
से फेल हो जाता है और दूसरा प्रश्नकर्ताओं का दिल जीत लेता है।
आखिर एक जैसी डिग्री और योग्यता होने पर सफलता में इतना बड़ा फर्क कैसे पैदा हो जाता है।
इसका अर्थ यह है कि हमारे शिक्षण संस्थानों में दी जाने वाली औपचारिक शिक्षा सफलता की गारंटी नहीं देती,
तो फिर जीतने के लिए कौन-सा गुण चाहिए ?
महान वक्ता कारनेगी कहते हैं- सफल और असफल व्यक्ति के बीच यह फर्क पैदा होता है प्रभावी बोलने की कला से और स्वयं को सटीक रूप में अभिव्यक्त करने की क्षमता से। चाहे सामना एक से हो या हजारों से, जो व्यक्ति बिना झिझक और भय के अपनी बात रखने का साहस रखता है। वहीं आम लोगों की भीड़ से अलग हटकर सफलता प्राप्त करता है।
आखिर एक जैसी डिग्री और योग्यता होने पर सफलता में इतना बड़ा फर्क कैसे पैदा हो जाता है।
इसका अर्थ यह है कि हमारे शिक्षण संस्थानों में दी जाने वाली औपचारिक शिक्षा सफलता की गारंटी नहीं देती,
तो फिर जीतने के लिए कौन-सा गुण चाहिए ?
महान वक्ता कारनेगी कहते हैं- सफल और असफल व्यक्ति के बीच यह फर्क पैदा होता है प्रभावी बोलने की कला से और स्वयं को सटीक रूप में अभिव्यक्त करने की क्षमता से। चाहे सामना एक से हो या हजारों से, जो व्यक्ति बिना झिझक और भय के अपनी बात रखने का साहस रखता है। वहीं आम लोगों की भीड़ से अलग हटकर सफलता प्राप्त करता है।
पुस्तक लिखने का उद्देश्य
जब प्रतिभाशाली और मेहनती लोगों के मन में प्रभावी बातचीत या भाषण की कला
न होने से हीनभावना आ जाती है और उनकी तरक्की की राह में बाधा बन जाती है
तो मुझे बेहद दु:ख होता है। अफसोस इस बात का है कि लाखों लोग इस कमी की
वजह से मन में निराशा और कुंठा पाले बैठे हैं और अपने भविष्य के साथ
अन्याय कर रहे हैं।
यदि आप समझते हैं कि आपको जीवन में कभी समूह के सामने या मंच पर कोई भी प्रस्तुत देने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी तो आप गलत सोचते हैं कि भाषण या बातचीत की कला सीखी नहीं जा सकती तो आप भारी भूल कर रहे हैं। रिसर्च द्वारा यह प्रमाणित हो गया है कि कोई भी व्यक्ति प्रभावशाली संबोधन और बातचीत की कला सीखकर आत्मविश्वास से भरा वक्ता बन सकता है।
यदि आपको यकीन न हो तो इस पुस्तक को शुरू से अंत तक पढ़िए, इसमें बताई गई तकनीकों पर अमल कीजिए और फिर स्वयं के भीतर फर्क देखिए। यदि आप बेहतर बनना चाहते हो तो हमसे मिलिए।
यह कहना तो गलत होगा कि आप शुरू से ही राजनीतिज्ञों जैसा जोरदार भाषण दे पाएंगे परन्तु यह तय है कि हम आपसे मिलकर आपका भय, झिझक और तनाव जरूर हटा देंगे।
इस पुस्तक को लिखने का प्रमुख उद्देश्य यही है कि सामान्य और सहज तकनीकों से हर व्यक्ति में ऐसा गुण पैदा कर सकूं कि वह कहीं भी और कैसी भी परिस्थिति में आत्मविश्वास से अपनी बात रखे और सफलता पाए। वकृतव्य कला, मंच या माइक के डर से मेरे पाठक कभी हताश न हों।
यदि आप समझते हैं कि आपको जीवन में कभी समूह के सामने या मंच पर कोई भी प्रस्तुत देने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी तो आप गलत सोचते हैं कि भाषण या बातचीत की कला सीखी नहीं जा सकती तो आप भारी भूल कर रहे हैं। रिसर्च द्वारा यह प्रमाणित हो गया है कि कोई भी व्यक्ति प्रभावशाली संबोधन और बातचीत की कला सीखकर आत्मविश्वास से भरा वक्ता बन सकता है।
यदि आपको यकीन न हो तो इस पुस्तक को शुरू से अंत तक पढ़िए, इसमें बताई गई तकनीकों पर अमल कीजिए और फिर स्वयं के भीतर फर्क देखिए। यदि आप बेहतर बनना चाहते हो तो हमसे मिलिए।
यह कहना तो गलत होगा कि आप शुरू से ही राजनीतिज्ञों जैसा जोरदार भाषण दे पाएंगे परन्तु यह तय है कि हम आपसे मिलकर आपका भय, झिझक और तनाव जरूर हटा देंगे।
इस पुस्तक को लिखने का प्रमुख उद्देश्य यही है कि सामान्य और सहज तकनीकों से हर व्यक्ति में ऐसा गुण पैदा कर सकूं कि वह कहीं भी और कैसी भी परिस्थिति में आत्मविश्वास से अपनी बात रखे और सफलता पाए। वकृतव्य कला, मंच या माइक के डर से मेरे पाठक कभी हताश न हों।
क्या है इस पुस्तक में
यह पुस्तक बिल्कुल सहज शैली में लिखी गई है जिसे आप आसानी से समझकर दैनिक
जीवन में उपयोग कर सकेंगे। यह पुस्तक विभिन्न हिस्सों में विभाजित है। यह
हिस्से क्रम से लिए गए हैं। पुस्तक के प्रारंभिक अध्यायों में मंच का तनाव
हटाने के तरीके भाषण की रचना, भाषण की शुरूआत, मध्य और अंत को उदाहरण सहित
पेश किया गया है।
अगले हिस्से में श्रोताओं को प्रभावित करने वाले विशेष तत्त्व, हास्य, भाषा का उपयोग, बोलने का तरीका, आवाज का उतार-चढ़ाव और बातों में सच्चाई जैसे पहलुओं पर बेहद उपयोगी जानकारियां मैंने अपने वास्तविक अनुभवों के साथ बांटी हैं। नेत्र संपर्क, हाव-पाव और पहनावे जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों पर बात की है।
आधुनिक तकनीकों और कंप्यूटर के युग में तकनीकों की बात न हो, यह असंभव है। इस बेहतरीन अध्याय में माइक का उपयोग, टी.वी. व वीडियो प्रस्तुति, प्रोजेक्टर, फ्लिप चार्ट आदि विस्तार से शामिल हैं। समय का उपयोग, अवसर और सकारात्मकता पर बात करते हुए आपको भाषण की रिहर्सल से प्रथम प्रस्तुति तक सभी जानकारियां मिलेंगी।
इसके बाद बातचीत की कला पर लगभग 30 पृष्ठ मैंने विशेष रूप से लिखे हैं जो सामान्य जीवन में आपको तुरन्त परिणाम देंगे। ग्रुप डिस्कशन के विशेष टिप्स, क्या कहें और क्या न कहें जैसे अध्याय युवाओं के लिए उपयोगी होंगे। प्रकाशक के आग्रह पर वक्तृत्व कला के विशिष्ट रूप ‘एकरिंग’ को भी लघु रूप में स्पर्श किया गया है।
अंत में कहानियों और शायरी का छोटा-सा संग्रह दिया गया है। जिन्हें आप अपनी प्रस्तुतियों में उपयोग कर सकेंगे। यह संग्रह मित्रों के दबाव में मैंने शामिल किया है क्योंकि उसका मानना है कि कभी-कभार भाषण देने वाले लोगों को ढूंढने से भी सामान्य मंच पर बोलने योग्य शायरी नहीं मिलती। साथ ही कहानियां कौन-सी चुनें और कहां से लाएं इसको लेकर भी तनाव रहता है। यह छोटा-सा संग्रह सिर्फ इस क्षेत्र में आपकी रुचि पैदा करने के उद्देश्य से शामिल किया गया है।
अगले हिस्से में श्रोताओं को प्रभावित करने वाले विशेष तत्त्व, हास्य, भाषा का उपयोग, बोलने का तरीका, आवाज का उतार-चढ़ाव और बातों में सच्चाई जैसे पहलुओं पर बेहद उपयोगी जानकारियां मैंने अपने वास्तविक अनुभवों के साथ बांटी हैं। नेत्र संपर्क, हाव-पाव और पहनावे जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों पर बात की है।
आधुनिक तकनीकों और कंप्यूटर के युग में तकनीकों की बात न हो, यह असंभव है। इस बेहतरीन अध्याय में माइक का उपयोग, टी.वी. व वीडियो प्रस्तुति, प्रोजेक्टर, फ्लिप चार्ट आदि विस्तार से शामिल हैं। समय का उपयोग, अवसर और सकारात्मकता पर बात करते हुए आपको भाषण की रिहर्सल से प्रथम प्रस्तुति तक सभी जानकारियां मिलेंगी।
इसके बाद बातचीत की कला पर लगभग 30 पृष्ठ मैंने विशेष रूप से लिखे हैं जो सामान्य जीवन में आपको तुरन्त परिणाम देंगे। ग्रुप डिस्कशन के विशेष टिप्स, क्या कहें और क्या न कहें जैसे अध्याय युवाओं के लिए उपयोगी होंगे। प्रकाशक के आग्रह पर वक्तृत्व कला के विशिष्ट रूप ‘एकरिंग’ को भी लघु रूप में स्पर्श किया गया है।
अंत में कहानियों और शायरी का छोटा-सा संग्रह दिया गया है। जिन्हें आप अपनी प्रस्तुतियों में उपयोग कर सकेंगे। यह संग्रह मित्रों के दबाव में मैंने शामिल किया है क्योंकि उसका मानना है कि कभी-कभार भाषण देने वाले लोगों को ढूंढने से भी सामान्य मंच पर बोलने योग्य शायरी नहीं मिलती। साथ ही कहानियां कौन-सी चुनें और कहां से लाएं इसको लेकर भी तनाव रहता है। यह छोटा-सा संग्रह सिर्फ इस क्षेत्र में आपकी रुचि पैदा करने के उद्देश्य से शामिल किया गया है।
इस क्षेत्र में मेरा व्यक्तिगत अनुभव
प्रभावी भाषण और संप्रेषण (Effective Speaking and Communication) के
प्रशिक्षण के रूप में इतने लंबे कैरियर में मुझे बहुत से अद्भुत अनुभव हुए।
ऐसे कई लोग प्रशिक्षण कार्यक्रमों के दौरान मिले जिनके मन में यह बात गहराई तक बैठ गई थी कि वे कभी माइक, भीड़ या दूसरों का सामना नहीं कर सकेंगे और इस कमी को लेकर उनमें आक्रोश और दुख था।
कुछ घंटों के प्रशिक्षण के बाद जब उन्होंने साहस करके अपना पहला भाषण दिया तो फिर कुछ मत पूछिए। उन भीगी आँखों के आशीर्वाद को हमेशा मैं महसूस करता हूं। अस्फुट से स्वरों में मुझसे गले मिलकर वे होंठ जो मुझसे रहना चाह रहे थे, वह मैं बिना कहे ही समझ चुका था।
अधिकांश लोगों ने प्रशिक्षण के बाद अपने व्यवसाय और प्रोफेसर में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की और विजोताओं की श्रेणी में आ गए, वहीं कुछ प्रतिशत ऐसे लोग भी थे जिन्होंने कभी कोई प्रयास नहीं किया और जहां थे, वहीं रहे। लगातार पत्र, फोन और ई-मेल से हम सब संपर्क में रहते हैं। और एक-दूसरे की सफलताएं बांटते हैं।
हम कल्पना भी नहीं कर सकते कि अच्छा और प्रभावी बोलने की कला एक व्यक्ति को सामाजिक, आर्थिक और पारिवारिक, हर क्षेत्र में कितना विशिष्ट बना सकता है।
ऐसे कई लोग प्रशिक्षण कार्यक्रमों के दौरान मिले जिनके मन में यह बात गहराई तक बैठ गई थी कि वे कभी माइक, भीड़ या दूसरों का सामना नहीं कर सकेंगे और इस कमी को लेकर उनमें आक्रोश और दुख था।
कुछ घंटों के प्रशिक्षण के बाद जब उन्होंने साहस करके अपना पहला भाषण दिया तो फिर कुछ मत पूछिए। उन भीगी आँखों के आशीर्वाद को हमेशा मैं महसूस करता हूं। अस्फुट से स्वरों में मुझसे गले मिलकर वे होंठ जो मुझसे रहना चाह रहे थे, वह मैं बिना कहे ही समझ चुका था।
अधिकांश लोगों ने प्रशिक्षण के बाद अपने व्यवसाय और प्रोफेसर में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की और विजोताओं की श्रेणी में आ गए, वहीं कुछ प्रतिशत ऐसे लोग भी थे जिन्होंने कभी कोई प्रयास नहीं किया और जहां थे, वहीं रहे। लगातार पत्र, फोन और ई-मेल से हम सब संपर्क में रहते हैं। और एक-दूसरे की सफलताएं बांटते हैं।
हम कल्पना भी नहीं कर सकते कि अच्छा और प्रभावी बोलने की कला एक व्यक्ति को सामाजिक, आर्थिक और पारिवारिक, हर क्षेत्र में कितना विशिष्ट बना सकता है।
भाषण शब्द का उपयोग
भाषा की सरलता हेतु सभी प्रकार के संबोधन, वक्तृव्य, प्रजेन्टेशन आदि के
लिए मैंने शब्द का उपयोग किया है, इसलिए आप इस शब्द को विस्तृत रूप में
समझने का प्रयास करें। यह इंग्लिश शब्द Speech का हिन्दी रूपांतरण है। यह
मैं विशिष्ट रूप से इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि भाषण शब्द सुनते ही नेता और
राजनीति की याद आ जाती है परन्तु यहां वक्तृव्य कला के सभी पहलुओं को हमने
‘भाषण’ शब्द की मदद से स्पष्ट किया है।
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लोगों की राय
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