विविध >> हमारा स्वास्थ्य हमारा स्वास्थ्यशाम अष्टेकर
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नेशनल बुक ट्रस्ट की सतत् शिक्षा पुस्तकमाला सीरीज़ के अन्तर्गत एक रोचक पुस्तक
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
हाल में ही हम इक्कीसवीं सदीं में प्रवेश कर चुके हैं। मानवता के इतिहास में बीसवीं सदी सबसे अधिक शानदार रही। इस सदी में मानव ने विज्ञान-तंत्रज्ञान के द्वारा अभूतपूर्व छलांग मारी। पूरे विश्व में अनाज की पैदावार बढ़ गई। नई-नई दवाइयों की खोज एवं निर्माण से अचानक मौत की घटनाएं काफी कम हो गई और मानव ने कई बीमारियों पर विजय प्राप्त की। इसी समय पृथ्वी पर जनसंख्या बढ़ी, जीवन-मान बढ़ा, बाल-मृत्यु की दर एक प्रतिशत से भी कम हो गई। यातायात का विकास हुआ और दूरसंचार के साधनों में बढ़ोत्तरी हुई। इससे ज्ञान का विस्तार हुआ। कम्प्यूटर का अविष्कार तो एक क्रान्ति ही साबित हुआ। यह मानव को प्रगति की उस दुनिया में ले गया जहाँ सारा विश्व एक गांव बन गया।
यूरोप, अमेरिका में यह प्रगति सबसे तेज रफ्तार से हुई। विज्ञान में प्रगति की यह लहर हमारे यहाँ भी पहुँची, लेकिन औसत आयुर्मान, बाल-मृत्यु, पोषण व शारीरिक विकास, बीमीरियों की दर आदि विषयों में हमारी गिनती पिछड़े देशों में होती है। हजारों सालों की सांस्कृतिक प्रगति के बाद यह स्थिति गौरवपूर्ण नहीं है। विज्ञान की वजह से सहज-सुलभ बनी प्रगति का आस्वाद लेना है तो भारत को कुछ खास़ प्रयास करने होंगे।
आजादी के बाद के पचास सालों में भारत में क्या-क्या हुआ, क्या करना रह गया, इसकी समीक्षा इस पुस्तक में की गई है। भारत की प्रगति के आंकड़े विश्व की तुलना में पुस्तक के अन्त में दिये गये है।
आइये निश्चय करते हैं कि हम हर कमी को मिटाकर हमें दुनिया के उन्नत राष्ट्रों की पंक्ति में बैठना है।
यूरोप, अमेरिका में यह प्रगति सबसे तेज रफ्तार से हुई। विज्ञान में प्रगति की यह लहर हमारे यहाँ भी पहुँची, लेकिन औसत आयुर्मान, बाल-मृत्यु, पोषण व शारीरिक विकास, बीमीरियों की दर आदि विषयों में हमारी गिनती पिछड़े देशों में होती है। हजारों सालों की सांस्कृतिक प्रगति के बाद यह स्थिति गौरवपूर्ण नहीं है। विज्ञान की वजह से सहज-सुलभ बनी प्रगति का आस्वाद लेना है तो भारत को कुछ खास़ प्रयास करने होंगे।
आजादी के बाद के पचास सालों में भारत में क्या-क्या हुआ, क्या करना रह गया, इसकी समीक्षा इस पुस्तक में की गई है। भारत की प्रगति के आंकड़े विश्व की तुलना में पुस्तक के अन्त में दिये गये है।
आइये निश्चय करते हैं कि हम हर कमी को मिटाकर हमें दुनिया के उन्नत राष्ट्रों की पंक्ति में बैठना है।
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