लोगों की राय

मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

292 पाठक हैं

अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


उधर!
अलादीन ने छत पर उतरते ही जिन्न की मदद से एक अन्जान आदमी का वेश बनाया। उसने यह वेश जादूगर को धोखा देने के लिये बनाया था। छत पर एक अन्जान आदमी को देखकर शहजादी के मुंह से चीख निकल गई। वह फौरन ही पलटकर भागी। तभी पीछे से आवाज आई-“भागो मत शहजादी नूरमहल, ये मैं हूँ तुम्हारा अलादीन।”
आवाज को सुनते ही शहजादी के कदम जहाँ-के-तहाँ रुक गये। इस आवाज को वह लाखों में पहचान सकती थी, क्योंकि यह आवाज उसके सरताज अलादीन की थी। उसका मुरझाया हुआ चेहरा खिल उठा।
वह पलटकर तुरन्त बोली-“आप?”
“हाँ शहजादी, ये मैं ही हूँ, तुम्हारा अलादीन।” अलादीन ने अपनी दोनों बांहें फैला दीं।
“मेरे सरताज!”
और गम की मारी शहजादी दौड़कर अलादीन से लिपट गई। अलादीन के कंधे पर सिर रखकर वह सिसेक-सिसक कर रो पड़ी। अलादीन ने शहजादी को सीने से लगा लिया।
अलादीन, मेरे सरताज!” शहजादी जज्बाती होकर बोली-“तुमसे जुदा रहकर मेरे दिन कैसे गुजरे, इसका मैं बयान नहीं कर सकती।”
“मेरी हालत भी तुम्हारे बिना पागलों की-सी हो गई थी, इतना अंदाज भी शायद तुम न कर सको। मुझे तो तुमसे दोबारा मिलने की उम्मीद भी नहीं थी, लेकिन अल्लाह की मर्जी के आगे किसका बस चलता है, कुछ वक्त तड़पाकर ही सही, लेकिन उसने हमें दोबारा मिला दिया।”
“अगर तुम थोड़ी देर और न आते तो शायद तुम्हें मेरी लाश नजर आती, क्योंकि मैंने हीरा चाटकर मरने का इरादा कर लिया था। वह दुष्ट जादूगर आज शाम को आकर मेरे साथ शादी करना चाह रहा है और मैं इसके लिये कतई तैयार नहीं हूँ।”
“मरने की बात फिर कभी मत सोचना शहजादी!” अलादीन तड़पकरं बोला-“अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो मैं किसके सहारे जिन्दा रहता? खैर, अब तुम किसी बात की फिक्र मत करो। अब मैं आ गया हूँ तो वह जादूगर तुम्हारा बाल भी बांका नहीं कर सकता।”
"मुझे जल्दी-से-जल्दी यहाँ से ले चलो। अब मैं एक पल भी यहाँ नहीं रह सकती। जाने कब वह शैतान जादूगर यहाँ आ धमके।”
“मेरे होते हुए अब तुम्हें उस दुष्ट जादूगर से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। जब तक मैं यहाँ हूँ वह तुम्हारा बाल भी बांका नहीं कर सकता। तुम मुझे सिर्फ इतना बताओ कि वह जादूगर मेरे वाले चिराग को कहाँ रखता है?”

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book