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मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


उधर!
बगदाद में चारों ओर शोर मचा हुआ था कि अलादीन का विशाल महल अंचानक कहाँ गायब हो गया? हर तरफ हाहाकार मचा हुआ था। हर आदमी की जुबान पर एक ही सवाल था कि अलादीन का महल गया तो कहाँ गया? लेकिन जवाब किसी के पास नहीं था।
कल तक जहाँ इतना विशाल महल खड़ा था वहाँ आज मैदान नजर आ रहा था।
जंगल में आग की तरह यह खबर पहुँचते-पहुँचते बादशाह के महल में भी पहुंची। बादशाह यह खबर सुनकर भौचक्का रह गया। पूरे महल में खलबली-सी मंच गयी। सभी सोच रहे थे कि महल अचानक कहाँ गायब हो गया? बादशाह को तो महल से ज्यादा फिक्र अपनी बेटी शहजादी की हो रही थी। वह उसे लेकर इतना चिंतित हुए कि उनकी आंखों से झर-झर आंसू बहने लगे।
वजीर ने सोचा कि 'यही वक्त है जबकि बादशाह को अलादीन के खिलाफ भड़का दिया जाये। उसे अलादीन से बहुत चिढ़ थी। उसकी वजह से उसका बेटा दर-दर की ठोकरें खा रहा था। अब उसे उससे बदला लेने का सुनहरा मौका मिल गया था। इस मौके का फायदा उठाते हुए वह बादशाह से बोला- “हुजूर! मुझे तो पहले से ही अलादीन पर शक था। वरना इतनी दौलत अचानक किसी को कहाँ मिलती है। मुझे तो लगता है कि यह सब अलादीन ने अपने जादू के बल पर हासिल किया होगा। हमारी शहजादी की जान तो अब गई समझिये, क्योंकि मुझे नहीं लगता कि शहजादी अब कभी वापस आ सकेगी। मैंने उसके बारे में सब पता लगवा लिया है, उसका बाप हमारी रियासत के एक छोटे से गांव में मामूली-सा दर्जी था और खुद अलादीन गलियों में आवारागर्दी किया करता था।”
“ओह!...ओह!!” बादशाह एकदम भौचक्का रह गया। फिर एकंदम से ' वह भड़ककर बोला-“बेवकूफ वजीर! तुमने यह बात हमें पहले क्यों नहीं बताई?"
“मुझे भी शेहजादी की शादी होने के बाद ही यह बात पता चली। जहाँपनाह! लेकिन अलादीन के ठाठ-बाट देखकर मैं चुप रह गया। मैं तो बस यही सोचकर कुछ नहीं बोला कि हमारी शहजादी तो खुश है न बस।”
बादशाह अपने रोने पर काबू पाकर बोला-“अपनी मासूम शहजादी की शादी अलादीन से करवाकर अब मैं भी पछता रहा हूँ। अगर मुझे वह धोखेबाज अलादीन कहीं मिल जाये तो मैं उसे हाथी के पैरों के नीचे कुचलवा दूंगा।”
“अगर आप हुक्म करें तो मैं अलादीन को तलाश करने की कोशिश करता हूँ, आलमपनाह!”
बादशाह क्रोधित होकर बोला-“सिर्फ कोशिश ही नहीं उसे कहीं से भी तलाश करके हमारे सामने पेश करो। फौज के हर सिपाही को हुक्म दे दो कि वो किसी भी सूरत में अलादीन को तलाश करके हमारे सामने लायें। इसके लिये चाहे उन्हें आकाश-पाताल ही एक क्यों न करना पड़े।”
बादशाह का हुक्म पाते ही चारों दिशाओं में सैनिक फैल गये। सभी का एक ही मकसद था, अलादीन की तलाश।

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