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मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


उस समय बगदाद और ईरान में भयंकर लड़ाई छिड़ी हुई थी, उस लड़ाई को लेकर बादशाह जहनी तौर पर बहुत परेशान था। फिर भी उन्होंने अलादीन की मां कों अकेले में अपने महल में बुलवाया और कहा-“कहिये मोहतरमा, क्या कहना चाहती हैं आप?”
“मेरा बेटा अलादीन आपकी बेटी नूरमहल से मुहब्बत करता है और उससे शादी करना चाहता है।”
उसकी बात सुनकर बादशाह गुस्से से भड़क उठा। उसका पारा सातवें आसमान पर पहुँच गया। उसने गुस्से में दांत पीसते हुए कहा-“अगर तू बूढ़ी औरत न होती तो मैं अभी तेरा सिर धड़ से अलग करवा देता। बेवकूफ औरत तूने सोच भी कैसे लिया कि मैं किसी ऐरे-गैरे से अपनी बेटी की शादी कर दूंगा।”
“हुजूर, मेरा बेटा ऐरा-गैरा नहीं है।” इतना कहकर अलादीन की मां हीरों की पोटली खोलकर बादशाह को देते हुए बोलीं-“मेरे बेटे ने आपको यह नजराना भेजा है।”
उन बेशकीमती हीरों को देखकर बादशाह हैरान रह गया। आज तक उसने इतने अनमोल हीरे नहीं देखे थे। उन हीरों की कीमत करोड़ों में थी। हीरे देखकर बादशाह ने सोचा कि जरूर यह औरत किसी अमीर आदमी की मां है।'
कुछ सोचकर बादशाह अलादीन द्वारा भेजे गये हीरे कुबूल करता हुआ वह बोला-“यदि तुम्हारा बेटा हमारे पड़ोसी देश ईरान को लड़ाई में हरा देगा, ‘तो मैं अपनी बेटी की शादी उससे कर दूंगा।”
अलादीन की मां का चेहरा खुशी से खिल उठा।
वह घर पहुंचीं और अलादीन को सारी बात बताई। उन्होंने उसे बादशाह की शर्ते भी सुनाईं। जिसे सुनकर अलादीन बोला- “बस इतनी-सी बात है। मैं आज ही ईरान को लड़ाई में हरा देता हूँ।”
अलादीन ने अपना चिराग घिसा तो उसमें से जिन्न हाजिर हुआ।
वह तेजी से बोला-“क्या हुक्म है मेरे आका?”
"मैं बहुत परेशान हूँ जिन्न!” अलादीन कहने लगा-“मेरी दुल्हन तो तुमने खोज ली, लेकिन मुझे उसको पाने के लिये एक इम्तिहान से गुजरना होगा।”
“कैसा इम्तिहान मेरे आका?" जिन्न ने पूछा।
"बादशाह की यह शर्त हैं कि मैं अगर उसके दुश्मन देश ईरान को लड़ाई में हरा दें, तब वह शहजादी से मेरी शादी करेगा। अतः अब तुम्हें ईरान को लड़ाई में हराना होगा।”
"ये कौन-सी बहुत बड़ी बात है मेरे आका!” जिन्न मुस्कराकर बोला-“मैं अभी जाकर ईरान को तहस-नहस कर डालता हूँ और उसकी सेना के छक्के छुड़ा देता हूँ।”

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