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मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


“आप मुझे बतायें कि आप किससे शादी करना चाहते हैं?” जिन्न बोला-आपका हुक्म होते ही मैं उस लड़की को फौरन आपके सामने पेश कर दूंगा।”
“भाई जिन्न! मेरी नजर में फिलहाल तो कोई लड़की नहीं है।” अलादीन उसे समझाता हुआ बोला-“तुम्हें ही मेरे लिये लड़की तलाश करनी है। तुम इसी समय जाओ और पता लगाओ कि इस दुनिया में सबसे सुन्दर लड़की कौन है? मैं उसी से शादी करूंगा।”
“ठीक है, मेरे आका! मैं अभी पता लगाता हूँ।"
इतना कहकर जिन्न गायब हो गया। अलादीन वहीं बैठकर बेचैनी, से उसका इन्तजार करने लगा। लेकिन उसे ज्यादा देर इन्तज़ार नहीं करना पड़ा।
जिन्न थोड़ी देर बाद ही वापस लौट आया और अलादीन से बोला-“मेरे आका, मैं पूरी दुनिया का चक्कर लगा आया हूँ। मैंने हर मुल्क की राजकुमारियों और शहजादियों को बहुत ध्यान से देखा है लेकिन अपने देश बगदाद की शहंजादी नूरमहल मुझे सबसे अधिक खूबसूरत लगी। नूरमहल की सुन्दरता के सामने सारी दुनिया की राजकुमारियों व शहजादियों की खूबसूरती बेकार है।”
जिन्न के मुंह से शहजादी नूरमहल की खूबसूरती का जिक्र सुनकर अलादीन उससे शादी करने के बारे में सोचने लगा, लेकिन वह एक नजर शहजादी नूरमहल को देख लेना चाहता था। शहजादी रोज शाम के समय अपनी सोने की पालकी पर सवार होकर बाग की सैर करने के लिये निकलती थी, उसे उसी समय देखा जा सकता था।
उसी दिन शाम को अलादीन शहजादी नूरमहल की एक झलक पाने के लिये घर से चल पड़ा, वह उस रास्ते पर जाकर खड़ा हो गया, जिस रास्ते से। शहजादी की सोने की पालकी निकलती थी।
रोज की तरह उस दिन भी ठीक समय पर शहजादी की सवारी उधर से गुजरी।

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