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मनोरंजक कथाएँ >> नन्हे सूअर और चतुर भेड़िया

नन्हे सूअर और चतुर भेड़िया

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4767
आईएसबीएन :81-310-0385-5

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प्रस्तुत हैं बच्चों के लिए बालपयोगी एवं रोचक पुस्तक जो कि बहुत ही मजेदार और चटपटी हैं।

Nanhe Suar Aur Chatur Bhediya-A Hindi Book by A.H.W. Sawan OK

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

नन्हे सूअर और चतुर भेड़िया

बहुत दिन बीते, सूअर के प्यारे से नन्हे तीन बच्चे अपने माता-पिता के साथ अपने छोटे-से घर में रहते थे। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते गए वैसे-वैसे घर छोटा पड़ने लगा।

गर्मी के दिन थे। इस दौरान तीनों भाई जंगलों और मैदानों में यहां-वहां घूमते रहे और मस्ती करते रहे। तीनों बहुत खुश थे और जिंदगी का मजा ले रहे थे। यूं ही मौज-मस्ती में काफी समय बीत गया।
गर्मी का मौसम समाप्त होने वाला था, जंगल के सभी प्राणी आने वाली सर्दियों के लिए तैयारियों में जुट गए। वे अपने लिए भोजन इकट्ठा करने व सिर छिपाने की चिंता में थे। लेकिन तीनों नन्हे सूअर इससे बेफिक्र थे।
तीनों दोस्त बनाने में तो माहिर थे ही, साथ ही तीनों आपस में भी गहरे दोस्त थे। जो भी उनसे मिलता, खुश हो जाता और उनका दोस्त बन जाता।

फिर एक दिन....‘ओफ्फो ! अब यह कमरा बहुत भर गया है।’’ मां चिल्लाई। बोली, ‘‘बच्चो ! अब तुम बड़े हो गए हो। जाओ, अपना-अपना घर बसाओ। खुद अपने पैरों पर खड़े होकर दिखाओ।’’
‘‘मैं अपना घर खुद बनाऊंगा,’’ पहले नन्हे सूअर ने घोषणा की।
‘‘मैं भी बनाऊंगा,’’ दूसरा बोला।
‘‘मैं भी।’’ तीसरा क्यों पीछे रहता।

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